Wednesday, November 16, 2022

संतान प्राप्ति के सटीक उपाय

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1. यदि किसी दम्पति को संतान की प्राप्ति नहीं हो रही है तो वह स्त्री
शुक्ल पक्ष में अभिमंत्रित संतान गोपाल यंत्र को अपने घर में स्थापित
करके लगातार 16 गुरुवार को ब्रत रखकर केले और पीपल के वृक्ष की
सेवा करें उनमे दूध चीनी मिश्रित जल चड़ाकर धुप अगरबत्ती जलाये फिर
मासिक धर्म से ठीक तेहरवीं रात्रि में अपने पति से रमण करें संतान सुख
अति शीघ्र प्राप्त होगा।
2. पति पत्नी गुरुवार का व्रत रखें या इस दिन पीले वस्त्र पहने, पीली
वस्तुओं का दान करें यथासंभव पीला भोजन ही करें..... अति शीघ्र योग्य
संतान की प्राप्ति होगी।
के
3. संतान सुख के लिए स्त्री गेंहू के आटे की 2 मोटी लोई बनाकर उसमें
भीगी चने की दाल और थोड़ी सी हल्दी मिलाकर नियमपूर्वक गाय को
खिलाएं... शीघ्र ही उसकी गोद भर जाएगी।
4. शुक्ल पक्ष में बरगद के पत्ते को धोकर साफ करके उस पर कुंकुम से
स्वस्तिक बनाकर उस पर थोड़े से चावल और एक सुपारी रखकर सूर्यास्त
से पहले किसी मंदिर में अर्पित कर दें और प्रभु से संतान का वरदान देने
| के लिए प्रार्थना करें...निश्चय ही संतान की प्राप्ति होगी।
5. किसी भी गुरुवार को पीले धागे में पीली कौड़ी को कमर में बांधने से
संतान प्राप्ति का प्रबल योग बनता है।
6. संतान प्राप्ति के लिए स्त्री पारद शिवलिंग का नियम से दूध से
अभिषेक करें... उत्तम संतान की प्राप्ति होगी।
7. हर गुरुवार को भिखारियों को गुड़ का दान देने से भी संतान सुख प्राप्त होता है...

Posted By KanpurpatrikaWednesday, November 16, 2022

Tuesday, November 15, 2022

हल्दी को हल्के में ना लें♥️

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हल्दी को हल्के में ना लें♥️

 हल्दी की गांठ (पीले कपड़े में हल्दी की गांठ और सरसों के कुछ दाने बांधकर दाई बाजू में या लॉकेट की तरह गले में पहनना) या पुखराज एक बराबर फायदा करते हैं और हल्दी की गांठ थोड़ा ज्यादा करती है क्योंकि उससे जातक के पैसें बचते हैं, मेरा उद्देश्य ये कहना कतई नहीं था कि पुखराज रत्न खराब है या कम असरदार है, लेकिन मेरा उद्देश्य ये हमेशा रहता है कि अगर दस का काम पाँच में और पाँच का काम मुफ्त में हो रहा हो तो मैं जातक को मुफ्त वाला रास्ता बताऊँ, क्योंकि शायद वही रास्ता जानने जातक ज्योतिषी के पास आता भी है।

उस पोस्ट पर बहुत सकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिली कई लोगों ने कहा हमने इस तरह कभी सोचा ही नहीं आगे से ऐसे भी सोचेंगे, कुछ ने कहा हम इसे आजमाकर देखेंगे, पर कुछ लोग राशन पानी लेकर मुझ पर चढ़ गए उनमें से कुछ ने कहा ये बड़ी फालतू बात है कुछ ने कहा कि पुखराज देशी घी है और हल्दी डालडा दोनों की कोई तुलना नहीं।

मुझे इस विषय पर बस थोड़ी सी बात कहनी है जो उस दिन रह गयी थीं, हल्दी और पुखराज की तुलना ही गलत है पुखराज एक रत्न है जिसका दूसरा या तीसरा उपयोग मैं नहीं जानता, उसकी तुलना में हल्दी एक औषधीय पौंधा है जो ना सिर्फ औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है बल्कि उसका अपना धार्मिक महत्व भी है, हल्दी इतनी गुणकारी है कि अमेरिका जैसे देश की एक यूनिवर्सिटी ने उसका पेटेंट करवा लिया था फिलहाल केस में भारत को जीत मिल चुकी है ।

हाँ एक बात से मैं पूरी तरह सहमत हूँ पुखराज पहनना मॉर्डन लगेगा हल्दी की गांठ गले में पहनना या दायीं बाजू में बांधना उतना कूल नहीं लगेगा, हल्दी, पीला कपड़ा और पीला धागा शुरुआत में रंग भी छोड़ेगा जिससे कपड़े खराब हो सकते हैं।

अंत में मैं फिर से वही कहूँगा मेरा उद्देश्य ये कहना कतई नहीं है कि पुखराज रत्न खराब है या कम असरदार है उसकी अपनी उपयोगिता है लेकिन हल्दी को हल्के में ना लें।🌺🙏🏻

नोट:- पीले कपड़े में हल्दी की गांठ और काली सरसों के बीज बाँधकर/सिलकर पीले डोरे के साथ उसे दाएं बाजू या गले में गुरूवार के दिन सूर्योदय के समय गंगा जल और कच्चे दूध से धोकर धारण कीजिए ठीक उस तरह जिस तरह रत्न धारण करते हैं।

#हल्दी_बनाम_पुखराज
#ज्योतिष_दर्शन 
#विपुल
#रिपोस्ट

Posted By KanpurpatrikaTuesday, November 15, 2022

मूंगा रत्न पहनने के 15 चमत्कारी फायदे -

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मूंगा रत्न पहनने के 15 चमत्कारी फायदे - 

मूंगा रत्न स्वयं किसी चमत्कार से कम नहीं है, यह एक जैविक रत्न है, जो विभिन्न जीवो के द्वारा समुद्र के गर्भ में इसका निर्माण होता है, यह देखने में रक्त के समान लाल रंग का होता है तथा इसमें प्राकृतिक रूप से विद्यमान अनेक प्रकार की सफेद रेखाएं मौजूद होती है, जो इसे और अधिक अद्भुत बनाती हैं, मूंगा रत्न पूरी दुनिया में सबसे उत्तम गुणवत्ता वाला इटली का माना जाता है इसीलिए इटालियन मूंगा रत्न लोगों में काफी लोकप्रिय है, इसके विशिष्ट गुणों के वजह से इसके लाभ भी बहुत अधिक प्राप्त होते हैं।

मूंगा रत्न मंगल ग्रह से संबंधित एक रत्न होता है तथा विविध प्रकार की चीजें जैसे- प्रशासनिक विभाग, सेना, पुलिस , मकान या निर्माण, हथियार आदि का नेतृत्व मंगल ग्रह के द्वारा किया जाता है, मंगल ग्रह अग्नि तत्व को निरूपित करता है, इसी वजह से हमारे अंदर ऊर्जा का कारक मंगल ग्रह को माना जाता है। 

नौ ग्रहों में मंगल ग्रह को सेनापति की उपाधि से अलंकृत किया जाता है, सेनापति जिसके बिना अनुमति के कोई भी किसी राज्य में प्रवेश नहीं कर सकता है सूर्य नौ ग्रहों के राजा है और मंगल सेनापति इसलिए राजा सूर्य तथा सेनापति मंगल की युक्ति जातक को हमेशा अद्भुत लाभ प्रदान करते हैैैै।

मूंगा रत्न को धारण करने से किसी भी जातक के जीवन में निम्नलिखित चमत्कार हो सकते हैं -

• मूंगा रत्न मंगल ग्रह को निरूपित करता है इसकी वजह से जिस भी जातक के द्वारा इस रत्न को धारण किया जाता है, उसके जीवन में आलस्य जैसी समस्या को यह रत्न दूर कर उसे ऊर्जावान बनाता है एवं उसे अपने कर्तव्यों के प्रति निष्ठावान बनाता है।

• मूंगा रत्न का उपयोग छोटे बच्चों के सुरक्षा घेरा को और अधिक मजबूत बनाने के लिए किया जाता है, छोटे बच्चे को मूंगा रत्न को सोना चांदी या तांबा में जड़वा कर पहनाया जाता है, जिससे उस पर ऊपरी शक्तियां हावी नहीं होती है या ऊपरी शक्तियां बच्चे के आभामंडल को दूषित नहीं कर पाती हैं, बच्चे के ऊपर टोना टोटका जादू नजर दोष आदि चीजें विफल हो जाती हैं, यह रत्न ऐसी चीजों का दुष्प्रभाव पूरी तरह नष्ट करने की क्षमता रखता है।

• मूंगा रत्न धारण करने से जातक दृढ़ निश्चय दृढ़ संकल्पित व्यक्तित्व वाला व्यक्ति बनता है, जिससे उसके लक्ष्य को बाधित करने वाले कितने भी विघ्न या बाधा क्यों नहीं आते, फिर भी जातक का दृढ़ संकल्प एवं दृढ़ निश्चय स्वभाव को बदलने में सक्षम नहीं हो पाते हैं तथा जातक परिस्थितियों से जूझते हुए अपने स्वर्णिम लक्ष्य को प्राप्त करने की संभावना को बहुत अधिक बढ़ा देता है।

• बहुत से ऐसे लोग होते हैं जिनमें आलस्य जैसी चीज उनका जीवन पूरा बर्बाद कर देती है, आलस्य होने की वजह से उनमें व्याप्त अविश्वसनीय गुण भी बेकार हो जाता है क्योंकि सही समय पर अपने गुणों का उपयोग करने की जगह जातक आलस्य प्रवृत्ति होने की वजह से अपने कार्यों को पूरी तरह से टालता रहता है, जिसके दुष्प्रभाव के कारण वह जिस भी क्षेत्र से संबंधित होता है उसमें उसे हानि ही होती है, उसके कार्य का दिनोंदिन क्षरण होता चला जाता है, ऐसे में यह रत्न ऐसे लोगों के लिए किसी चमत्कार या किसी वरदान से कम नहीं है क्योंकि यह उनकी संरचना को सुधारने में बहुत मदद करता है तथा आलस्य जैसी बीमारी को दूर करने में बहुत कारगर होता है एवं जातक का पूरा ध्यान उसके कार्यों की ओर केंद्रित करता है जिससे जातक अपने अविश्वसनीय कौशलों का उपयोग अपने कार्यों को पूर्ण करने में लगाता है।

• रक्त से संबंधित विकार हो या मिर्गी जैसी बीमारी हो या पीलिया जैसे रोग इन सभी रोगों में यह रत्न चमत्कारिक रूप से अपना असर दिखाता है तथा जातक को अप्रतिम रूप से स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है।

• मूंगा रत्न हमारे आत्मविश्वास को बढ़ाता है, इसके साथ-साथ हमारे मन में व्याप्त किसी भी प्रकार का भय को यह पूरी तरह से नष्ट कर देता है, यह हमारे अंदर के नकारात्मकता को दूर करता है, जिससे हमारे अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचरण होने लगता है एवं हम अपने कार्यों का निर्वहन बहुत ही अच्छे तरीके से कर पाते हैं।

• मूंगा रत्न को धारण करने से जातक के अंदर अद्भुत नेतृत्व क्षमता का विकास होता है, जिससे जीवन में आने वाली विभिन्न प्रकार की विषम परिस्थितियों में भी जातक अचल रहता है, उसका निडर व्यक्तित्व का गुण विषम परिस्थितियों पर भी विजय प्राप्त करने की प्रेरणा देते हैं।

• इस रत्न के चमत्कार के कारण किसी ऐसी महिला जो गर्भ धारण करना चाहती है एवं चाहती है कि उसके गर्भ का पात ना हो तो ऐसी परिस्थिति में उसे गर्भ के शुरुआती कुछ महीनों में यह रत्न अवश्य धारण करना चाहिएl यह रत्न उसके गर्व की सुरक्षा करने में बहुत कारगर सिद्ध होता है।

• हमारे पूर्वजों के द्वारा मूंगा रत्न का उपयोग विभिन्न प्रकार के विषधर के विष को कम करने के लिए उपयोग में लाया जाता था, जब कभी किसी को कोई विषधर काट लेता तो ऐसी परिस्थिति में इस रत्न को उक्त जगह पर रगड़ने से विष का प्रभाव बहुत हद तक कम हो जाता था, आज भी यह पद्धति बहुत से सुदूर इलाकों में उपयोग में लाया जाता है किंतु विस्तृत ज्ञान के अभाव में यह पद्धति लोगों में अधिक प्रचलित नहीं है।

• प्रशासनिक विभाग में ऊंचे पद पर प्रतिष्ठित होने के लिए मंगल ग्रह का बहुत मजबूत होना आवश्यक होता है यह रत्न मंगल ग्रह के अनुकूल प्रभाव को और अधिक मजबूत एवं प्रभावशाली बनाता है इसलिए प्रशासनिक विभाग के लोगों के द्वारा मूंगा रत्न धारण किए जाने पर उन्हें अप्रतिम लाभ प्राप्त होता है।

• मंगल ग्रह की भौतिक ऊर्जा को प्राप्त करने के लिए भी इस रकम का उपयोग लोगों के द्वारा किया जाता है।

• मंगल ग्रह के द्वारा विभिन्न प्रकार के ग्रहों के साथ मिलकर बनाए गए अन्य अशुभ योग में भी मूंगा रत्न बहुत कारगर सिद्ध होता है, जैसे- मांगलिक योग में भी इस रत्न का बहुत अधिक गहरा प्रभाव पड़ता है, वैवाहिक जीवन में स्थिरता लाने के लिए भी यह रत्न धारण किया जाता है दांपत्य जीवन खुशियों से भरा रहे इसलिए भी यह रत्न धारण किया जाता है, इस रत्न के प्रभाव से किसी भी जातक के दांपत्य जीवन के विभिन्न कष्ट दूर होते हैं एवं सुख समृद्धि कावास उनके घर में आसीन होता है।

अभिमंत्रित मूंगा रत्न कहाँ से प्राप्त करें ? 

मित्रों यदि आप चाहें तो हमारे नवदुर्गा ज्योतिष केंद्र से अभिमंत्रित मूंगा रत्न मंगा सकते हैं जो हमारे यहाँ लम्बा मूंगा 300 रुपए रत्ती मिल जायेगा और त्रिकोण मूंगा 400 रुपये रत्ती मिल जाएगा, लैब सर्टिफिकेट और गारंटी कार्ड साथ में दिया जाएगा साथ ही साथ मुफ्त में अभिमंत्रित भी करके दिया जाएगा – Call and Whatsapp – 7567233021

Posted By KanpurpatrikaTuesday, November 15, 2022

Monday, November 14, 2022

अचानक धन वृद्धि मंत्र

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अचानक धन वृद्धि मंत्र “ ॐ नमो भगवती पद्म - पद्मावती ॐ ह्रीं श्रीं ॐ
पूर्वाय दक्षिणाय पश्चिमाय उत्तराय अन्नपूर्णास्ति सर्वजन वश्यं कुरू
कुरू स्वाहा।।
108 बार बिस्तर में जपे । उसके बाद दस दस बार मानसिक जप कर चारों दिशाओं “ क्लाक वाइज' फूंक मार दे तो भाग्यवृद्धि और अचानक धन की प्राप्ति  होती है ।

#विशेष प्रयोग: किसी भी अमावस्या को 108 आटे की गोली बनाएं और प्रत्येक गोली पर दिए मंत्र को पढ़ फूंक मारें फिर मछलियों को किसी तालाब नदी में डाल दें।।
आप देखेंगे अचानक धन की वृद्धि हो रही है।।
#सक्षम बनें
#mahakalitantra 
#सिद्ध_मंत्र

Posted By KanpurpatrikaMonday, November 14, 2022

Sunday, November 13, 2022

मुख्य द्वार के सामने दूसरे भवन का कोना होना द्वार दोष होता है*

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*मुख्य द्वार के सामने दूसरे भवन का कोना होना द्वार दोष होता है*

👉 अगर किसी भवन के मुख्य द्वार के ठीक सामने किसी अन्य भवन का कोना आता है तो वो मार्ग प्रहार की श्रेणी के अंतर्गत आता है !! 

👉 वास्तु शास्त्र में मुख्य द्वार का महत्वपूर्ण स्थान होता है !!

*द्वार दोष :-*
अगर आप अपने भवन का मुख्य द्वार जहां बनवा रहे हैं, उसके ठीक सामने ही अगर किसी भी तरीके का बिजली का खंभा, बड़ा पेड़ और किसी के घर का कोना पड़ता है तो आपको उस जगह पर भवन का मुख्य द्वार नहीं निकालना चाहिए। 

👉 वास्तु के अनुसार कहा जाता है कि अगर आपके घर के मुख्य द्वार पर बिजली का खंभा है तो उस बिजली के खंभे से निकलने वाली ऊर्जा आपके भवन के लिए उचित नहीं होती है और आपके शारीरिक स्वास्थ्य और कार्यक्षेत्र के प्रगति को रोक देती है।


Pt.Deonarayan Sharma Vastu Shastri 
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Posted By KanpurpatrikaSunday, November 13, 2022

Saturday, November 12, 2022

दक्षिण दिशा के दोष निराकरण के लिए हनुमानजी की स्थापना करना चाहिए*

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*दक्षिण दिशा के दोष निराकरण के लिए हनुमानजी की स्थापना करना चाहिए*

👉 श्रीराम भक्त हनुमान साक्षात एवं जाग्रत देव हैं। हनुमानजी की भक्ति जितनी सरल है उतनी ही कठिन भी। कठिन इसलिए की इसमें व्यक्ति को उत्तम चरित्र और मंदिर में पवित्रता रखना जरूरी है अन्यथा इसके दुष्परिणाम भुगतने होते हैं

👉 हनुमानजी की भक्ति से चमत्कारिक रूप से संकट खत्म होकर भक्त को शांति और सुख प्राप्त होता है। विद्वान लोग कहते हैं कि जिसने एक बार हनुमानजी की भक्ति का रस चख लिया वह फिर जिंदगी में अपनी बाजी कभी हारता नहीं। जो उसे हार नजर आती है वह अंत में जीत में बदल जाती है। ऐसे भक्त का कोई शत्रु नहीं होता।

👉 जिस घर में हनुमानजी का चित्र होता है वहां मंगल, शनि, पितृ और भूतादि का दोष नहीं रहता। 

Posted By KanpurpatrikaSaturday, November 12, 2022

Tuesday, November 8, 2022

*गुस्सा दूर करने के उपाय*🔶🔹🔶🔹🔶🔹🔶🔹🔶

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*गुस्सा दूर करने के उपाय*
🔶🔹🔶🔹🔶🔹🔶🔹🔶
इस पृथ्वी पर शायद ही कोई प्राणी होगा जिसे गुस्सा नहीं आता, जब भी कुछ हमारे मन मुताबिक नहीं होता, तब जो प्रतिक्रिया हमारा मन करता है, वही गुस्सा कहलाता है। वास्तव में "जब हम गुस्सा करते हैं तब हम किसी दूसरे की गलती की सजा खुद अपने को देते हैं।" जब किसी दिन हम मानसिक रूप से परेशान होते हैं, जीवन में किसी चीज या स्थिति से असंतुष्ट होते है, किसी बात पर हमारे दिल ठेस लगती है, जब हम निराश-हताश हो जाते है तब हम मानसिक रूप से ज्यादा बेचैन हो जाते है उस दिन हमें गुस्सा अधिक आता है और छोटी-छोटी बातों पर अधिक तीखी और त्वरित प्रतिक्रिया देते हैं।

वास्तव में गुस्सा एक भयानक तूफ़ान जैसा है, जो जाने के बाद पीछे अपनी बर्बादी का निशान छो़ड जाता हैं। गुस्से में सबसे पहले दिमाग फिर जबान अपना आपा खोती है, वह वो सब कहती है, जो नहीं बिलकुल भी कहना चाहिए और रिश्तों में जबरदस्त क़डवाहट आ जाती है। और तब तो और भी मुश्किल होती है जब गुस्सा हमारे दिमाग में घर कर जाता है और हमारे अन्दर बदला लेने की सामने वाले को नुकसान पहुँचाने की भावना प्रबल हो जाती है ।

कुछ ऐसे उपाय जिससे हम यथासंभव अपने गुस्से पर काबू कर सकते है ।

🔶दो पके मीठे सेब बिना छीले प्रातः खाली पेट चबा-चबाकर पन्द्रह दिन लगातार खाने से गुस्सा शान्त होता है। बर्तन फैंकने वाला, तोड़ फोड़ करने वाला और पत्नि और बच्चों पर हाथ उठाने वाला व्यक्ति भी अपने क्रोध से मुक्ति पा सकेगा। इसके सेवन से दिमाग की कमजोरी दूर होती है और स्मरण शक्ति भी बढ़ जाती है।

🔶प्रतिदिन प्रातः काल आंवले का एक पीस मुरब्बा खायें और शाम को एक चम्मच गुलकंद खाकर ऊपर से दुध पी लें। बहुत क्रोध आना शीघ्र ही बन्द होगा।

🔶गुस्सा आने पर दो तीन गिलास खूब ठंडा पानी धीरे धीरे घूँट घूँट लेकर पिएं । पानी हमारेशारीरिक तनाव को कम करके क्रोध शांत करने में मददगार होता है।

🔶गुस्सा बहुत आता हो तो धरती माता को रोज सुबह उठकर हाथ से पाँच बार छूकर प्रणाम करें और सबसे विशाल ह्रदय धरती माँ से अपने गुस्से पर काबू करने और सहनशील होने का वरदान मागें।

🔶पलाश के छोटे छोटे पत्तों की सब्जी खाने से गुस्सा, और पित्त जल्दी ही शांत होता है ।

🔶रविवार को अदरक, टमाटर और लाल रंग के कपड़े गुस्सा अधिक बढ़ाते हैं अत: इनका कम से कम प्रयोग करें ।

🔶जिनको गुस्सा बहुत आता हो, बात- बात में चिड जाते हो वे सोमवार का उपवास करें, या एक समय भोजन करें। रात कों चन्द्रमा कों अर्घ दें तथा अपने गुस्से पर विजय प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करें । इससे भी मन शान्त रहता है, गुस्से पर नियंत्रण रहता है।

🔶बहुत अधिक खट्टी, तीखी, मसालेदार चीजें खाने से आँखें जलती हैं, स्वभाव में चिड़चिड़ापन आता है, शीघ्र गुस्सा आता है, अकारण ही सीने और पेट में जलन होती है अत: इन चीजों का बिलकुल त्याग कर देना चाहिए ।

🔶जिन्हे ज्यादा गुस्सा आता हो उन्हें चाय, काफी, मदिरा से परहेज करना चाहिए ये शरीर को उत्तेजित करते है उसके स्थान पर छाछ, मीठा दूध या नींबू पानी का प्रयोग करना चाहिए ।

🔶यदि गुस्सा आने वाला हो तो 5-6 बार गहरी गहरी साँस लीजिए, कुछ पलों के लिए अपनी आँखे बंद करके ईश्वर का ध्यान करें उन्हें प्रणाम करें उनसे अपना कोई भी निवेदन करें। यह गुस्सा कम करने का सबसे बढ़िया तरीका है। इससे आप भड़कने से पहले ही निश्चित रूप से शांत हो जाएँगे।

🔶जिस स्त्री का पति हर समय बिना बात के ही गुस्सा करता रहता है तो वह स्त्री शुक्ल पक्ष के प्रथम रविवार, सोमवार, गुरुवार या शुक्रवार किसी भी दिन एक नए सफेद कपड़े में एक डली गुड़, चांदी एवं तांबे के दो सिक्के, एक मुट्ठी नमक व गेहूं को बांधकर अपने शयनकक्ष में कहीं ऐसी जगह छिपा कर रख दें जहाँ पति को पता न चले । इसके प्रभाव से भी पति का गुस्सा धीरे-धीरे कम होने लगेगा।

🔶समान्यता गुस्सा सामने वाले से ज्यादा उम्मीदें पालने से आता है । इसलिए कभी भी सामने वाले से बहुत ज्यादा उम्मीदें ना पालें जिससे आपकी बात ना मानने पर भी आपका दिल बिलकुल ना दुखे।

Posted By KanpurpatrikaTuesday, November 08, 2022

Saturday, October 8, 2022

सफल बना देगी विवेकानंद की ये बाते

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सफल बना देगी विवेकानंद की ये बाते

युगपुरुष विवेकानंद की दी गयी गई सीख और प्रेरणा वाकई किसी भी इंसान को न सिर्फ सफल बल्कि राष्ट्र भक्त बना सकती है। युवावस्था में ही वो इतना कुछ कह गए और कर गए कि इतिहास वर्तमान और भविष्य उन्हें प्रणाम करता रहेगा | जानिये वो खास 10 बातें जो विवेकानंद ने कही थी और जिनका पालन वो भी करते थे।

01 खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप है।

02 जितना बड़ा संघर्ष होगा जीत उतनी ही शानदार होगी।

03 जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक आप भागवान पर विश्वास नहीं कर सकते।

04 एक समय में एक काम करो, और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमें डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ।

05 जब तक जीना, तब तक सीखना, अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है।

06 जीवन में ज्यादा रिश्ते होना जरूरी नहीं है, पर जो रिश्ते हैं उनमें जीवन होना जरूरी है।

07 दिल और दिमाग में जब लड़ाई हो तो दिल की सुनो।

08 किसी दिन, जब आपके सामने कोई समस्या ना आए आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि आप गलत मार्ग पर चल रहे हैं।

09 पहले हर अच्छी बात का मजाक बनता है, फिर विरोध होता है और फिर उसे स्वीकार लिया जाता है।

10 उठो, जागो और तब तक रुको नहीं जब तक कि तमु अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं कर लेते।

Posted By KanpurpatrikaSaturday, October 08, 2022

Sunday, October 2, 2022

👉वैवाहिक जीवन : दोष एवं निवारण ---

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👾।।हर हर महादेव शम्भो काशी विश्वनाथ वन्दे ।।👾
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 👉वैवाहिक जीवन : दोष एवं निवारण ---
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 👉प्रश्नः किन योगों के कारण वैवाहिक जीवन में क्लेश, तनाव, मानसिक पीड़ा और तलाक जैसी स्थिति उत्पन्न होती है?

👉 उपरोक्त स्थितियों से बचाव के लिए किए जाने वाले उपायों का वर्णन---

 👉 विवाह संस्कार भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण संस्कार है। यह मनुष्य को परमात्मा का एक वरदान है। कहते हैं, जोड़ियां परमात्मा द्वारा पहले से ही तय होती हैं।

👉 पूर्व जन्म में किए गए पाप एवं पुण्य कर्मों केअनुसार ही जीवन साथी मिलता है और उन्हीं के अनुरूपवैवाहिक जीवन दुखमय या सुखमय होता है। कुंडली में विवाह का विचार मुखयतः सप्तम भाव से ही किया जाता है। इस भाव से विवाह के अलावा वैवाहिक या दाम्पत्य जीवन के सुख-दुख, जीवन साथी अर्थात पति एवं पत्नी, काम (भोग विलास), विवाह से पूर्व एवं पश्चात यौन संबंध, साझेदारी आदि का विचार किया जाता है। 

 👉यदि कोई भाव, उसका स्वामी तथा उसका कारक पाप ग्रहों के मध्य में स्थित हों, प्रबल पापी ग्रहों से युक्त हों, निर्बल हों, शुभग्रह न उनसे युत हों न उन्हें देखते हों, इन तीनों से नवम, चतुर्थ, अष्टम, पंचम तथा द्वादश स्थानों में पाप ग्रह हों, भाव नवांश, भावेश नवांश तथा भाव कारक नवांश के स्वामी भी शत्रु राशि में, नीच राशि में अस्त अथवा युद्ध में पराजित हों तो उस भाव से संबंधित वस्तुओं की हानि होती है।

 👉 वैवाहिक जीवन के अशुभ योग यदि सप्तमेश शुभ युक्त न होकर षष्ठ, अष्टम या द्वादश भावस्थ हो और नीच या अस्त हो, तो जातक या जातका के विवाह में बाधा आती है।

 👉 यदि षष्ठेश, अष्टमेश या द्वादशेश सप्तम भाव में विराजमान हो, उस पर किसी ग्रह की शुभ दृष्टि न हो या किसी ग्रह से उसका शुभ योग न हो, तो वैवाहिक सुख में बाधा आती है।

 👉 सप्तम भाव में क्रूर ग्रह हो, सप्तमेश पर क्रूर ग्रह की दृष्टि हो तथा द्वादश भाव में भी क्रूर ग्रह हो, तो वैवाहिक सुख में बाधा आती है।

 👉 सप्तमेश व कारक शुक्र बलवान हो, तो जातक को वियोग दुख भोगना पड़ता है। 

 👉यदि शुक्र सप्तमेश हो (मेष या वृश्चिक लग्न) और पाप ग्रहों के साथ अथवा उनसे दृष्ट हो, या शुक्र नीच व शत्रु नवांश का या षष्ठांश में हो, तो जातक स्त्री कठोर चित्त वाली, कुमार्गगामिनी और कुलटा होती है। फलतः उसका वैवाहिक जीवन नारकीय हो जाता है।

 👉यदि शनि सप्तमेश हो, पाप ग्रहों क साथ व नीच नवांश में हो अथवा नीच राशिस्थ हो और पाप ग्रहों से दृष्ट हो, तो जीवन साथी के दुष्ट स्वभाव के कारण वैवाहिक जीवन क्लेशमय होता है।

 👉 राहु अथवा केतु सप्तम भाव में हो व उसकी क्रूर ग्रहों से युति बनती हो या उस पर पाप दृष्टि हो, तो वैवाहिक जीवन अक्सर तनावपूर्ण रहता है। 

 👉यदि सप्तमेश निर्बल हो और भाव 6, 8 या 12 में स्थित हो तथा कारक शुक्र कमजोर हो, तो जीवन साथी की निम्न सोच के कारण वैवाहिक जीवन क्लेशमय रहता है। 

 👉सूर्य लग्न में व स्वगृही शनि सप्तम भाव में विराजमान हो, तो विवाह में बाधा आती आती है या विवाह विलंब से होता है। 

 👉सप्तमेश वक्री हो व शनि की दृष्टि सप्तमेश व सप्तम भाव पर पड़ती हो, तो विवाह में विलंब होता है। सप्तम भाव व सप्तमेश पाप कर्तरी योग में हो, तो विवाह में बाधा आती है। 

 👉शुक्र शत्रुराशि में स्थित हो और सप्तमेश निर्बल हो, तो विवाह विलंब से होता है।

 👉शनि सूर्य या चंद्र से युत या दृष्ट हो, लग्न या सप्तम भाव में स्थित हो, सप्तमेश कमजोर हो, तो विवाह में बाधा आती है।

 👉 शुक्र कर्क या सिंह राशि में स्थित होकर सूर्य और चंद्र के मध्य हो और शनि की दृष्टि शुक्र पर हो, तो विवाह नहीं होता है। 

 👉शनि की सूर्य या चंद्र पर दृष्टि हो, शुक्र शनि की राशि या नक्षत्र में में हो और लग्नेश तथा सप्तमेश निर्बल हों, तो विवाह में बाधा निश्चित रूप से आती है।

 👉 वैवाहिक जीवन में क्लेश सप्तम भाव, सप्तमेश और द्वितीय भाव पर क्रूर ग्रहों का प्रभाव वैवाहिक जीवन में क्लेश उत्पन्न करता है। 

 👉लग्न, सप्तम भाव, सप्तमेश की कारक शुक्र, राहु, केतु या मंगल से दृष्टि या युति के फलस्वरूप दाम्पत्य जीवन में क्लेश पैदा होता है।

 👉 यदि जातक व जतिका का कुंडली मिलान (अष्टकूट) सही न हो, तो दाम्पत्य जीवन में वैचारिक मतभेद रहता है। 

 👉यदि जातक व जातका की राशियों में षडाष्टक भकूट दोष हो, तो दोनों के जीवन में शत्रुता, विवाद, कलह अक्सर होते रहते हैं।

 👉 यदि जातक व जातका के मध्य द्विर्द्वादश भकूट दोष हो, तो खर्चे व दोनों परिवारों में वैमनस्यता आती है जिसके फलस्वरूप दोनों के मध्य क्लेश रहता है।

 👉यदि पति-पत्नी के ग्रहों में मित्रता न हो, तो दोनों के बीच वैचारिक मतभेद रहता है। जैसे यदि ज्ञान, धर्म, रीति-रिवाज, परंपराओं, प्रतिष्ठा और स्वाभिमान के कारक गुरु तथा सौंदर्य, भौतिकता और ऐंद्रिय सुख के कारक शुक्र के जातक और जतिका की मानसिकता, सोच और जीवन शैली बिल्कुल विपरीत होती है।

  👉पति-पत्नी के गुणों (अर्थात स्वभाव) में मिलान सही न होने पर आपसी तनाव की संभावना बनती है। अर्थात पति-पत्नी के मध्य अष्टकूट मिलान बहुत महत्वपूर्ण है, जिस पर गंभीरतापूर्वक विचार कर लेना चाहिए। 

 👉मंगल दोष भी पति-पत्नी के मध्य तनाव का कारक होता है। स्वभाव से गर्म व क्रूर मंगल यदि प्रथम (अपना), द्वितीय (कुटुंब, पत्नी या पति की आयु), चतुर्थ (सुख व मन), सप्तम (पति या पत्नी, जननेंद्रिय और दाम्पत्य), अष्टम (पति या पत्नी का परिवार और आयु) या द्वादश (शय्या सुख, भोगविलास, खर्च का भाव) भाव में स्थित हो या उस पर दृष्टि प्रभाव से क्रूरता या गर्म प्रभाव डाले, तो पति-पत्नी के मध्य मनमुटाव, क्लेश, तनाव आदि की परेशानी रहती है!

 👉राहु, सूर्य, शनि व द्वादशेश पृथकतावादी ग्रह हैं, जो सप्तम (दाम्पत्य) और द्वितीय (कुटुंब) भावों पर विपरीत प्रभाव डालकर वैवाहिक जीवन को नारकीय बना देते हैं।

👉 दृष्टि या युति संबंध से जितना ही विपरीत या शुभ प्रभाव होगा उसी के अनुरूप वैवाहिक जीवन सुखमय या दुखमय होगा।

 👉 द्वितीय भाव में सूर्य के सप्तम, सप्तमेश, द्वादश और द्वादशेश पर राहु (पृथकतावादी )है तो तलाक तक की नौबत आ जाती है।

 👉बारहवें भाव में मंगल (कुज दोष), व सप्तम भाव पर मंगल की आठवीं दृष्टि। शनि की सप्तम भाव पर दशम दृष्टि। सप्तमेश बुध और विवाह कारक शुक्र पाप कर्तरी दोष से पीड़ित है। 

 👉अष्टम और द्वादश भाव में क्रूर व पापी ग्रह जीवन साथी से विछोह कराते हैं। 

 👉विवाह में बाधक योग सप्तमेश व द्वितीयेश षष्ठ भाव में, सप्तम भाव पर शनि की नीच दृष्टि व षष्ठेश की दृष्टि, केंद्र में शुभ प्रभाव की कमी इन सभी योगों के फलस्वरूप अत्यधिक विवाह बाधा योग अर्थात अविवाहित योग बनता है।

 👉 मेलापक में योनिकूट की महत्ता आठ तत्वों का विवेचन मेलापक में करते हैं। ये तत्व हैं- वर्ण, वश्य, तारा, योनि, ग्रह मैत्री, गण, भकूट और नाड़ी। मेलापक में आज के युग में योनि कूट का विशेष महत्व है। इससे वर और कन्या के काम पक्ष की जानकारी होती है। आज के इस भौतिकवादी युग में 'मेलापक' पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया है, जिससे वैवाहिक जीवन निष्फल हो जाता है।

 👉 'योनिकूट' के मेल खाने से वैवाहिक जीवन सुखमय होता है। मानव और जानवर में आहार, निद्रा, भय एवं मैथुन ये चार प्रवृत्तियां समान रूप से विद्यमान रहती हैं। किंतु मैथुन का महत्व आज के युग में अत्यधिक है। हमारे द्रष्टा ऋषियों ने नक्षत्रों का वर्गीकरण लिंग के आधार पर किया है। कन्या हो या वर, जिस नक्षत्र में पैदा होता है, उस नक्षत्र का प्रभाव उस पर पड़ता है। उसका मैथुन स्वभाव तत्संबंधित योनि के अनुरूप होता है। कुंडली मेलापन के समय यदि इस बात पर विचार किया जाए, तो निश्चय ही दोनों का शारीरिक संबंध संतोषजनक रहेगा अन्यथा वैवाहिक जीवन में कटुता पैदा होगी। विवाह हेतु मेलापक में योनिकूट का अपना विशेष महत्व है।

 👉जिन वर और कन्या के योनिकूट पर ध्यान नहीं दिया जाता, उनका वैवाहिक जीवन कष्टमय हो जाता है। दूसरी तरफ, जिनकी कुंडली मिलान में योनिकूट पर गंभीरतापूर्वक विचार किया जाता है, उनका वैवाहिक जीवन आनंदमय रहता है। 

 👉इस यूरेनियम युग में शुक्र अति शक्तिशाली हो रहा है। इससे भविष्य में सेक्स की प्रधानता रहेगी। ऐसे में योनिकूट का महत्व और अधिक बढ़ गया है, जिस पर ध्यान देना ही चाहिए, ताकि तलाक की स्थिति से बचा जा सके। इसी में नवदम्पति का कल्याण है।

 👉 पति-सुख की प्राप्ति हेतु मंगल दोष परिहार मंत्र :-
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 👉 विवाह में विलंब से बचने के विविध मंत्रों, स्तोत्रों तथा उनकी जप और पाठ विधियों का विवरण इस प्रकार है---

1-- 👉 मंगल दोष से ग्रस्त जातका को 108 दिनों तक नियमित रूप से एक पंचमुखी दीप प्रज्वलित कर निम्नोक्त श्री मंगल चंडिका स्तोत्र का 7 अथवा 21 बार निष्ठापूर्वक पाठ करना चाहिए।

 👉''रक्ष-रक्ष जगन्मात देवि मंगल चंडिके। 
हारिके विपदा राशे हर्ष मंगल कारिके॥
 हर्ष मंगल दक्षे च हर्ष मंगल दायिके।
 शुभे मंगलदक्षे च शुभे मंगल चंडिके॥ 
मंगले मंगलाहे च सर्व मंगल मंगले।
 यदा मंगलवे देवि सर्वेषा मंगलालये॥'' 

2--- 👉पति-सुख की प्राप्ति का मंत्र इस मंत्र का 48 दिन तक नित्य 108 बार जप करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं।

 '' सिन्धुर पत्र रतिकामदेह,
 दिव्याम्बरसिन्धुसमीहिताङ्गम॥ 
सान्ध्यारूण धनुः पंकजपुष्पबाण
 पंचायुध भुवन मोहन मोक्ष गार्थम्॥
 फलै मन्मथाय महाविष्णु स्वरूपाय, 
महाविष्णु पुत्राय, महापुरुषाय।
 पति सुखं मोहे शीघ्र देहि देहि॥ 

 👉विधि : पाठ और जप पीत वस्त्र धारण कर, ललाट पर तिलक लगाकर उत्तर अथवा पूर्व दिशाभिमुख बैठकर करना चाहिए। जप की संपूर्ण अवधि में शुद्ध घी से पीतल अथवा चांदी का दीप प्रज्वलित करना चाहिए। हर बार हाथ में जल लेकर मंत्रोच्चारण कर जल को भूमि पर छोड़ देना चाहिए। किशमिश का प्रसाद ग्रहण करना चाहिए।

 👉 कुयोगों को काटने के लिए उक्त पाठ और जप के अतिरिक्त शिव-पार्वती का अनुष्ठान, मां दुर्गा की पूजा-अर्चना, दुर्गा सप्तशती के प्रयोग कारक ग्रहों के रत्न धारण, कुयोगदायक ग्रहों से संबंधित मंत्र का जप, पूजा अनुष्ठान, दाना आदि करना चाहिए।

👉 अनुभूत उपाय :---
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👉 उचित समय पर विवाह हेतु कन्या को कम से कम सवा पांच रत्ती का पुखराज सोने की अंगूठी में गुरुवार को बायें हाथ की तर्जनी में और कम से कम सात रत्ती का फीरोजा चांदी की अंगूठी में शुक्रवार को बायें हाथ की कनिष्ठिका में धारण कराना चाहिए। इनके अतिरिक्त उपाय व निवारण में यंत्र की पूजा भी करनी चाहिए । 

 👉यदि कुंडली में वैधव्य योग हो, तो शादी से पहले घट विवाह, अश्वत्थ विवाह, विष्णु प्रतिमा या शालिग्राम विवाह विवाह कराना तथा प्रभु शरण में रहना चाहिए।

 👉वैवाहिक जीवन में सुखानुभूति हेतु सुखमय वैवाहिक जीवन के लिए निम्नलिखित मंत्र काजपविधिविधानपूर्वक करना चाहिए। 
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 👉मंत्र : ऐं श्रीं क्लिम् नमस्ते महामायेमहायोगिन्धीश्वरी।|  
||||  | सामान्जस्यम सर्वतोपाहि सर्व मंगल कारिणीम्॥ 

 👉शुक्ल पक्ष के गुरुवार को स्नान करके शाम के समय पूजा प्रारंभ करें। पूजा के समय मुख-पश्चिम की ओर होना चाहिए। दुर्गा जी का चित्र सामने रखकर गाय के घी का दीप जलाएं। समान वजन की सोने की दो अंगूठियां देवी मां के चरणों में अर्पित करें। गुलाब के 108 पुष्प 108 बार मंत्र पढ़कर अर्पित करें। लाल चंदन की माला से 21 दिन तक प्रतिदिन एक माला जप करें। 21 दिन बाद मां के चरणों में अर्पित अंगूठियां लेकर एक किसी योग्य और कर्मनिष्ठ ब्राह्मण को दे दें और दूसरी स्वयं पहन लें। यह पूजा-अर्चना निष्ठापूर्वक करें, दाम्पत्य जीवन सुखमय रहेगा। 

 👉इसके अतिरिक्त श्री दुर्गा-सप्तशती का स्वयं पाठ करें। अष्टकवर्ग के नियमानुसार यदि सर्वाष्टक वर्ग में सातवें विवाह भाव में शुभ बिंदुओं की संखया जितनी कम हो, दाम्पत्य जीवन उतना ही दुखद होता है। वर्ग में बिंदुओं की संखया 25 से कम होने की स्थिति में वैवाहिक जीवन अत्यंत दुखद होता है।

 👉लाल किताब के योग एवं उपाय शुक्र एवं राहु की किसी भी भाव में युति वैवाहिक जीवन के लिए दुखदायी होती है। यह युति पहले भाव 4 या 7 में हो, तो पति-पत्नी में तलाक की नौबत आ जाती है या अकाल मृत्यु की संभावना रहती है। 

 👉उपाय ----यदि ऐसा विवाह हो चुका हो, तो चांदी के गोल वर्तन में काजल या बहते दरिया का पानी और शुद्ध चांदी का टुकड़ा डालकर किसी धर्मस्थान में देना चाहिए। साथ ही एक चांदी के बर्तन में गंगाजल या किसी अन्य बहते दरिया का पानी और चांदी का टुकड़ा डालकर अपने पास रखना चाहिए। यह उपाय विवाह से पूर्व या बाद में कर सकते हैं।

 👉 यदि सातवें भाव में राहु हो, तो विवाह के संकल्प के समय बेटी वाला चांदी का एक टुकड़ा बेटी को दे। इससे बेटी के दाम्पत्य जीवन में क्लेश की संभावना कम रहती है। यह उपाय लग्न में राहु रहने पर भी कर सकते हैं, क्योंकि इस समय राहु की दृष्टि सातवें भाव पर होती है।

 👉यदि भाव 1 या 7 में राहु अकेला या शुक्र के साथ हो, तो 21 वें वर्ष या इससे पूर्व विवाह होने पर वैवाहिक जीवन दुखमय होता है। अतः उपाय के तौर पर विवाह 21 वर्ष के पश्चात ही कुंडली मिलान करके करें। 

 👉सूर्य और बुध के साथ शुक्र की युति किसी भी भाव में होने पर वैवाहिक जीवन में कुछ न कुछ दोष अवश्य ही उत्पन्न होता है, जिससे दाम्पत्य जीवन दुखमय रहता है। 

👉उपाय ---तांबे के एक लोटे में पूरा मूंग भरकर विवाह के संकल्प के समय हाथ लगाकर रखना चाहिए और इसे जल में प्रवाहित करना चाहिए। यदि यह उपाय विवाह के समय न हो सके, तो जिस वर्ष उक्त तीनों ग्रह  वर्षफलानुसार आठवें भाव में आएं, उस वर्ष कर सकते हैं। 

 👉शुक्र यदि आठवें भाव में हो, तो जातक की पत्नी सक्त स्वभाव की होती है, जिससे आपसी सामंजस्य का अभाव रहता है। इस योग की स्थिति में विवाह 25 वर्ष की उम्र के बाद ही करना चाहिए। इसके पहले विवाह करने पर पत्नी के स्वास्थ्य के साथ-साथ गृहस्थ सुख पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। 

👉उपाय ----आठवें भाव में स्थित शुक्र के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए नीले रंग के फूल घर से बाहर जमीन में दबा दें या गंदे नाले में डाल दें। सर्वजन हितार्थ उपाय जातक या जातिका की जन्मपत्री में किसी भी प्रकार का दोष या कुयोग होने के कारण विवाह में बहुत बाधाएं आती हैं। इन बाधाओं के फलस्वरूप न केवल लड़का या लड़की बल्कि समस्त परिवार तनावग्रस्त रहता है।
 👉यहां कुछ उपाय प्रस्तुत हैं, जिनका उपयोग करने से इन बाधाओं से बचाव हो सकता है। ये उपाय जन्मपत्री नहीं होने की स्थिति में भी किए जा सकते हैं।

 👉 वर प्राप्ति हेतु मंत्र गुरुवार को किसी शुभ योग में उक्त मंत्र का फीरोजा की माला से पांच माला जप करें। यह क्रिया ग्यारह गुरुवार करें, विवाह शीघ्र होगा। सोमवार को पारद शिवलिंग के सम्मुख उक्त मंत्र का 21 माला जप करें। फिर यह जप सात सोमवार को नियमित रूप से करें, शीघ्र विवाह के योग बनेंगे। भुवनेश्वरी यंत्र के सम्मुख उक्त मंत्र का सवा लाख जप करें, शीघ्र विवाह योग बनेंगे। 

👉मंत्र : कात्यायनी महामाये महायोगिनी धीश्वरी। 
|||||||||  नन्द गोपसुतं देवि पतिं ते कुरु ते नमः ।

  👉मां पार्वती के चित्र के सामने, पूजा करने के पश्चात उक्त मंत्र का ग्यारह माला जप करें। यह क्रिया 21 दिनों तक नियमित रूप से करें, मां पार्वती मनोवांछित वर प्रदान करेंगी। गुरुवार का व्रत करें और पीले पुष्प, पीले प्रसाद व पीले फल मां लक्ष्मी व भगवान विष्णु को अर्पित कर उक्त मंत्र का 11 मला जप करें। यह क्रिया हर गुरुवार को करें, विवाह शीघ्र होगा। (नहाते समय जल में तीन चुटकी हल्दी अवश्य मिलाएं) 

 👉वर वशीकरण यंत्र 115 155 156 132 154 153 127 138 116 151 131 152 126 137 133 134 117 130 125 135 136 139 140 124 118 141 142 143 144 123 145 129 119 146 147 122 148 149 128 150 120 121 ऊपर चित्रित यंत्र को गुरुवार को शुभ योग में अनार की कलम से हल्दी के रस से भोजपत्र पर लिखकर चांदी के ताबीज में कन्या को गले में धारण कराएं, संबंध तय करने या कन्या को देखने जो भी व्यक्ति आएगा, कन्या उसे पसंद आएगी और संबंध तय हो जाएगा। यदि कन्या के विवाह का संयोग न बन पा रहा हो, या विवाह की बात चलाते समय कोई न कोई बाधा सामने आ जाती हो, तो निम्नलिखित यंत्र का उपयोग करें। 

 👉विधि : यंत्र गुरुवार को शुभ योग में भोजपत्र पर अनार की कलम और हल्दी की स्याही से लिखें। फिर कन्या यंत्र की पूजा करे एवं प्रतिदिन ऊपर वर्णित मंत्र का यंत्र के सामने 1008 बार जप करे।

 👉यह क्रिया गुरुवार से अगले गुरुवार तक करे एवं अगले गुरुवार को यंत्र को तावीज में बंद कर अपनी बांह या गले में धारण करे, शीघ्र विवाह के योग बनेंगे। 

 👉पत्नी प्राप्ति के लिए मंत्र--
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 पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानु सारिणीम्। 
तारिणीं दुर्ग संसार सागरस्य कुलोद्भवाम॥
 (दुर्गा सप्तसती) 

 👉प्रत्येक शुक्रवार को पवित्र मन से स्फटिक की माला से उक्त मंत्र का 11 माला जप करें। इस प्रकार ग्यारह शुक्रवार जप करें तथा अंतिम शुक्रवार को ग्यारह विवाहित स्त्रियों को यथाशक्ति चूड़ी, बिंदी, सिंदूर, साड़ी या कपड़ा दान करें। यह क्रिया निष्ठापूर्वक करें, शीघ्र ही मनोवांछित पत्नी की प्राप्ति होगी।

👉 मंत्र : कामोऽनंगः पंचशराः कन्दर्यो मीन वेतनः।
.        श्री विष्णुतनयो देवः प्रसन्नो भवतु प्रभो॥ 

 👉शुभ मुहूर्त में उक्त मंत्र का ग्यारह माला जप करें और फिर प्रत्येक शुक्रवार को तीन माला जप करें। ऐसा इक्कीस शुक्रवार तक करें, विवाह शीघ्र होगा। किसी शुभ योग या मुहूर्त में भोजपत्र पर अनार की कलम और अष्टगंध से ऊपर चित्रित यंत्र लिखकर उसे पूजा स्थल पर रखें और प्रतिदिन पूजा करें। पूजा के पश्चात ऊपर वर्णित मंत्र का ग्यारह माला जप करें। इक्कीस दिनों के बाद यंत्र को चांदी के तावीज में धारण करें। कुछ समय के पश्चात धन लक्ष्मी, यश लक्ष्मी व गृह लक्ष्मी (पत्नी) की प्राप्ति होगी। लक्ष्मी यंत्र की पूजा करें। फिर नियमित रूप से यंत्र के सामने कनकधारा स्तोत्र का 11 बार पाठ करें। यह प्रयोग शुक्रवार से तीसरे शुक्रवार तक करें, विवाह शीघ्र होगा। 

 👉सर्व कामना सिद्धि यंत्र ऊपर चित्रित यंत्र को सर्वार्थ सिद्धि योग में भोजपत्र पर अनार की कलम और अष्टगंध से लिखकर उसे चंदन लगाएं। फिर अगरबत्ती दिखाकर चांदी के तावीज में धारण करें, शीघ्र विवाह के योग बनेंगे। 

 👉(सीतेत्यभिभाषणामः) मंत्र : ---

स देवि नित्यं परितप्य मानस्त्वामेव दृढ़व्रतो 
राजसुतो महात्मा तवैव लाभाय कृतप्रयत्नः।

👉 इस मंत्र का 3 माला जप तीन महीने तक प्रतिदिन करें अथवा किसी योग्य ब्राह्मण से कराएं।

पूर्व जन्मार्जितपाप विध्वंसनाय ।
पुरुषार्थचतुष्ठ्यलाभाय च पत्नीं देही कुरु-कुरु स्वाहा॥

 👉 सोमवार को व्रत करें और पारद शिव लिंग का दूध, दही, घी, शहद तथा शक्कर से अभिषेक करें। फिर उक्त मंत्र का पांच माला जप करें। यह क्रिया सोलह सोमवार को नियमित रूप से करें, जन्मकुंडली का हर दोष हो दूर होगा व शीघ्र विवाह के योग बनेंगे।

 👉 पति वशीकरण मंत्र : --
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 👉पत्नी सिद्ध योग में निम्नलिखित मंत्र का 1100 जप कर प्रेमपूर्वक पति को पान खिलाए, पति वश में रहेगा। 

 👉पत्नी वशीकरण मंत्र : ---
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पति सिद्ध योग में निम्नोक्त मंत्र का 1100 बार जाप कर पत्नी को पान खिलाए, पत्नी वश में रहेगी।

 (पत्नी का नाम) जय जय सर्वव्यान्नमः स्वाहा। 

डॉल्फिन मछलियां अपने जीवनसाथी को भेंट में देने से वैवाहिक जीवन में मधुरता एवं सद्भाव की वृद्धि होती है। 

 👉डॉल्फिन मछलियों का चित्र या मूर्ति शयन कक्ष में पूर्व या पश्चिम दिशा में रखनी चाहिए। 

 👉फेंग शुई के अनुसार-- मेंडेरियन बत्तख का जोड़ा नवविवाहित जोड़े के शयन कक्ष में रखने से जीवनपर्यंत एक दूसरे के प्रति प्रेम बना रहता है। 

 👉जिस वर या कन्या की शादी नहीं हो रही हो, उसके शयन कक्ष में दक्षिण-पश्चिम दिशा में लव बर्ड्स (प्रेमी परिंदों) का चित्र या मूर्ति रखें, विवाह शीघ्र होगा।

 👉कन्या की शादी नहीं हो पा रही हो, तो उसके शयन कक्ष की दक्षिण या पश्चिम दिशा में पियोनिया पुष्प की तस्वीर लगाएं, अच्छे रिश्ते आने लगेंगे और विवाह शीघ्र होगा।

 👉 विवाह योग्य कन्या को पीले या हल्के गुलाबी रंग के कपड़े पहनाने चाहिए। विवाह योग्य लड़के या लड़कियों को अपने कक्षों में जोड़ों में विचरण करते हुये सुंदर पक्षियों के या भगवान शंकर व पार्वती के सुंदर युगल चित्र लगाने चाहिए। 

 👉कभी-कभी जन्मकुंडली में द्विविवाह योग होता है, जिसके फलस्वरूप जातक या जतिका का का वैवाहिक जीवन कष्टमय हो जाता है।

 👉ऐसे में दोनों को पुनः छोटे से रूप में पंडित से विवाह रस्म करवाना चाहिए। विवाह शुभ मुहूर्त या लग्न में ही करना चाहिए, अन्यथा दाम्पत्य जीवन के कलहपूर्ण होने की प्रबल संभावना रहती है। यदि ऐसा नहीं हुआ हो अर्थात यदि विवाह शुभ मुहूर्त या शुभ लग्न में नहीं हुआ हो, तो विवाह की तिथि व समय का विद्वान ज्योतिषाचार्य से विश्लेषण करवाना चाहिए और शुभ मुहूर्त या लग्न में पुनः विवाह करना चाहिए। 

 👉पारिवारिक सुख की प्राप्ति हेतु यदि पति-पत्नी के संबंधों में कटुता आ जाए, तो पति या पत्नी, या संभव हो, तो दोनों, ऊपर वर्णित मंत्र का पांच माला जप इक्कीस दिन तक प्रतिदिन करें। जप निष्ठापूर्वक करें, तनाव दूर होगा और वैवाहिक जीवन में माधुर्य बढ़ेगा।

 👉 मंगल दोष के कारण वैवाहिक जीवन में कलह या तनाव होने की स्थिति में निम्नोक्त क्रिया करें--

 👉पति या पत्नी, या फिर दोनों, मंगलवार का व्रत करें और हनुमान जी को लाल बूंदी, सिंदूर व चोला चढ़ाएं। तंदूर की मीठी रोटी दान करें। मंगलवार को सात बार एक-एक मुट्ठी रेवड़ियां नदी में प्रवाहित करें। गरीबों को मीठा भोजन दान करें। मंगल व केतु के दुष्प्रभाव से मुक्ति हेतु रक्त दान करें। बजरंगबाण का पाठ 108बार करके हवन करें या करायें तथा नियमपूर्वक बजरंगबाण का पाठ प्रतिदिन करें ।सभी प्रकार की समस्यायों का निदान होजाता है।

Posted By KanpurpatrikaSunday, October 02, 2022

Sunday, March 27, 2022

समान गोत्र एक_गोत्र_में_शादी_क्यों_वर्जित_है

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समान गोत्र 

एक_गोत्र_में_शादी_क्यों_वर्जित_है

पिता का गोत्र पुत्री को प्राप्त नही होता। अब एक बात ध्यान दें की स्त्री में गुणसूत्र xx होते है और पुरुष में xy होते है। इनकी सन्तति में माना की पुत्र हुआ (xy गुणसूत्र). इस पुत्र में y गुणसूत्र पिता से ही आया यह तो निश्चित ही है क्यू की माता में तो y गुणसूत्र होता ही नही !
और यदि पुत्री हुई तो (xx गुणसूत्र). यह गुण सूत्र पुत्री में माता व् पिता दोनों से आते है। 

१. xx गुणसूत्र ;- xx गुणसूत्र अर्थात पुत्री . xx गुणसूत्र के जोड़े में एक x गुणसूत्र पिता से तथा दूसरा x गुणसूत्र माता से आता है . तथा इन दोनों गुणसूत्रों का संयोग एक गांठ सी रचना बना लेता है जिसे Crossover कहा जाता है। 

२. xy गुणसूत्र ;- xy गुणसूत्र अर्थात पुत्र . पुत्र में y गुणसूत्र केवल पिता से ही आना संभव है क्यू की माता में y गुणसूत्र है ही नही । और दोनों गुणसूत्र असमान होने के कारन पूर्ण Crossover नही होता केवल ५ % तक ही होता है । और ९ ५ % y गुणसूत्र ज्यों का त्यों (intact) ही रहता है। 

तो महत्त्वपूर्ण y गुणसूत्र हुआ । क्यू की y गुणसूत्र के विषय में हम निश्चिंत है की यह पुत्र में केवल पिता से ही आया है। बस इसी y गुणसूत्र का पता लगाना ही गौत्र प्रणाली का एकमात्र उदेश्य है जो हजारों/लाखों वर्षों पूर्व हमारे ऋषियों ने जान लिया था। 

वैदिक गोत्र प्रणाली और y गुणसूत्र । Y Chromosome and the Vedic Gotra System
अब तक हम यह समझ चुके है की वैदिक गोत्र प्रणाली य गुणसूत्र पर आधारित है अथवा y गुणसूत्र को ट्रेस करने का एक माध्यम है। 

उदहारण के लिए यदि किसी व्यक्ति का गोत्र कश्यप है तो उस व्यक्ति में विधमान y गुणसूत्र कश्यप ऋषि से आया है या कश्यप ऋषि उस y गुणसूत्र के मूल है
। चूँकि y गुणसूत्र स्त्रियों में नही होता यही कारन है की विवाह के पश्चात स्त्रियों को उसके पति के गोत्र से जोड़ दिया जाता है। 

वैदिक/ हिन्दू संस्कृति में एक ही गोत्र में विवाह वर्जित होने का मुख्य कारन यह है की एक ही गोत्र से होने के कारन वह पुरुष व् स्त्री भाई बहिन कहलाये क्यू की उनका पूर्वज एक ही है। परन्तु ये थोड़ी अजीब बात नही? की जिन स्त्री व् पुरुष ने एक दुसरे को कभी देखा तक नही और दोनों अलग अलग देशों में परन्तु एक ही गोत्र में जन्मे , तो वे भाई बहिन हो गये?? 

इसका एक मुख्य कारन एक ही गोत्र होने के कारन गुणसूत्रों में समानता का भी है । आज की आनुवंशिक विज्ञान के अनुसार यदि सामान गुणसूत्रों वाले दो व्यक्तियों में विवाह हो तो उनकी सन्तति आनुवंशिक विकारों का साथ उत्पन्न होगी। 

ऐसे दंपत्तियों की संतान में एक सी विचारधारा, पसंद, व्यवहार आदि में कोई नयापन नहीं होता। ऐसे बच्चों में रचनात्मकता का अभाव होता है। विज्ञान द्वारा भी इस संबंध में यही बात कही गई है कि सगौत्र शादी करने पर अधिकांश ऐसे दंपत्ति की संतानों में अनुवांशिक दोष अर्थात् मानसिक विकलांगता, अपंगता, गंभीर रोग आदि जन्मजात ही पाए जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार इन्हीं कारणों से सगौत्र विवाह पर प्रतिबंध लगाया था।
इस गोत्र का संवहन यानी उत्तराधिकार पुत्री को एक पिता प्रेषित न कर सके, इसलिये विवाह से पहले #कन्यादान कराया जाता है और गोत्र मुक्त कन्या का पाणिग्रहण कर भावी वर अपने कुल गोत्र में उस कन्या को स्थान देता है, यही कारण था कि विधवा विवाह भी स्वीकार्य नहीं था। क्योंकि, कुल गोत्र प्रदान करने वाला पति तो मृत्यु को प्राप्त कर चुका है।

इसीलिये, कुंडली मिलान के समय वैधव्य पर खास ध्यान दिया जाता और मांगलिक कन्या होने से ज्यादा सावधानी बरती जाती है। आत्मज़् या आत्मजा का सन्धिविच्छेद तो कीजिये।
आत्म+ज या आत्म+जा।  आत्म=मैं, ज या जा =जन्मा या जन्मी। यानी जो मैं ही जन्मा या जन्मी हूँ।
यदि पुत्र है तो 95% पिता और 5% माता का सम्मिलन है। यदि पुत्री है तो 50% पिता और 50% माता का सम्मिलन है। फिर यदि पुत्री की पुत्री हुई तो वह डीएनए 50% का 50% रह जायेगा, फिर यदि उसके भी पुत्री हुई तो उस 25% का 50% डीएनए रह जायेगा, इस तरह से सातवीं पीढ़ी मेंपुत्री जन्म में यह % घटकर 1% रह जायेगा।

अर्थात, एक पति-पत्नी का ही डीएनए सातवीं पीढ़ी तक पुनः पुनः जन्म लेता रहता है, और यही है सात जन्मों का साथ। लेकिन, जब पुत्र होता है तो पुत्र का गुणसूत्र पिता के गुणसूत्रों का 95% गुणों को अनुवांशिकी में ग्रहण करता है और माता का 5% (जो कि किन्हीं परिस्थितियों में एक % से कम भी हो सकता है) डीएनए ग्रहण करता है, और यही क्रम अनवरत चलता रहता है, जिस कारण पति और पत्नी के गुणों युक्त डीएनए बारम्बार जन्म लेते रहते हैं, अर्थात यह जन्म जन्मांतर का साथ हो जाता है।
इसीलिये, अपने ही अंश को पित्तर जन्मों जन्म तक आशीर्वाद देते रहते हैं और हम भी अमूर्त रूप से उनके प्रति श्रधेय भाव रखते हुए आशीर्वाद आशीर्वाद ग्रहण करते रहते हैं, और यही सोच हमें जन्मों तक स्वार्थी होने से बचाती है, और सन्तानों की उन्नति के लिये समर्पित होने का सम्बल देती है।

एक बात और, माता पिता यदि कन्यादान करते हैं, तो इसका यह अर्थ कदापि नहीं है कि वे कन्या को कोई वस्तु समकक्ष समझते हैं, बल्कि इस दान का विधान इस निमित किया गया है कि दूसरे कुल की कुलवधू बनने के लिये और उस कुल की कुल धात्री बनने के लिये, उसे गोत्र मुक्त होना चाहिये। डीएनए मुक्त हो नहीं सकती क्योंकि भौतिक शरीर में वे डीएनए रहेंगे ही, इसलिये मायका अर्थात माता का रिश्ता बना रहता है, गोत्र यानी पिता के गोत्र का त्याग किया जाता है। तभी वह भावी वर को यह वचन दे पाती है कि उसके कुल की मर्यादा का पालन करेगी यानी उसके गोत्र और डीएनए को करप्ट नहीं करेगी, वर्णसंकर नहीं करेगी, क्योंकि कन्या विवाह के बाद कुल वंश के लिये #रज् का रजदान करती है और मातृत्व को प्राप्त करती है। यही कारण है कि हर विवाहित स्त्री माता समान पूज्यनीय हो जाती है।
यह रजदान भी कन्यादान की तरह उत्तम दान है जो पति को किया जाता है।

यह सुचिता अन्य किसी सभ्यता में दृश्य ही नहीं है।

Posted By KanpurpatrikaSunday, March 27, 2022

Thursday, March 10, 2022

मोदी योगी लहर अभी भी जारी

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पांच राज्यों में ईवीएम के खुलने के बाद जिस तरह से रुझान आने शुरू हुए उससे भारतीय जनता पार्टी को चार राज्य में  सरकार बनना तय माना जाने लगा था उससे स्पष्ट हो गया था कि कहीं ना कहीं इस बार भी तमाम विरोध के बावजूद मतदाताओं में मोदी लहर रही सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में भी भाजपा की सरकार फिर से बन गई है इससे स्पष्ट हो गया है कि लखीमपुर खीरी में किसान आंदोलन की हिंसा की नाराजगी पूरे प्रदेश के किसानों में भाजपा के खिलाफ इस जनादेश में देखने को नहीं मिली महंगाई का मुद्दा भी इस बार भाजपा के खिलाफ कोई भी दल जुटा नहीं पाया बल्कि या यूं कहें कि समाजवादी पार्टी ने लड़ाई तो उत्तर प्रदेश में की  किंतु जहां तक बात है जो वास्तविकता है उसमें प्रधानमंत्री मोदी योगी और उनकी स्टार प्रचारक टीम के आरोपों का एक से एक बढ़कर जवाब देने में ही अखिलेश उलझे रहे जनता के मूल  महंगाई मूल अधिकारों को किसी दल को महत्व ही नहीं दिया इसका परिणाम यह रहा कि भाजपा जो चाहती थी सपा मुखिया या समूचा विपक्ष उसी में काम करता रहा जिसका भाजपा को फायदा मिला  जहां तक इस बार की बात है तो यह चुनाव भाजपा ने जमीनी स्तर पर ही लड़ा जिसमें उसको घर घर सदस्य बनाने का पैटर्न बहुत तेजी से काम किया ऐसी सूरत में जब समर्थकों की बात है तो यह तय है कि जब भाजपा के समर्थक ज्यादा होंगे तो 55 से 60 फ़ीसदी मतदान में जीतना स्वाभाविक है जहां तक पंजाब की बात है तो जहां से कांग्रेस को बड़ी उम्मीद थी वहां भी कांग्रेस पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को किसान आंदोलन में पक्षधर बने रहने का फायदा नहीं मिल सका जिसमें स्पष्ट हो गया है कि वहां की जनता ने कांग्रेस को हटाकर आम आदमी पार्टी की सरकार को बेहतर समझा जिसमें यहां के मतदाताओं ने किसान आंदोलन की अपनी नाराजगी भाजपा से निकाल कर उन्हें यहां खड़े नहीं होने दिया |

Posted By KanpurpatrikaThursday, March 10, 2022

Monday, March 7, 2022

संभव नहीं दिखता युद्ध विराम

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तीसरे दौर की बातचीत के पूर्व जिस तरह से रूस और यूक्रेन के बीच एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं उससे यह तय हो गया है कि इस शांति समझौते की टेबल में 11 दिन बाद भी कोई निष्कर्ष निकलता नहीं दिख रहा है जिससे युद्ध विराम की स्थिति हाल फिलहाल तो नहीं दिख रही है बल्कि इस बात का सबसे बड़ा डर है कि अगर यह वार्ता विफल होती है तो उत्तेजना में रूस हमले और तेज कर सकता है विदित हो कि 11 दिन में सबसे ज्यादा नुकसान यूक्रेन के शहर ओडिशा खानकिव  विनित्सिया का हुआ है इन्हीं ने सबसे ज्यादा आक्रमण झेले हैं हालांकि यूक्रेन की राजधानी कीव पर भी हमले तेज़ है जहां तक यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की ने रूस पर आरोप लगाया है कि रूसी सेना लगातार उनके ऊर्जा संयंत्रों पर कब्जे की कोशिश में लगा है जिससे रूस में दो यूक्रेनी परमाणु सयंत्रो पर कब्जा भी कर लिया है तथा वह लगातार तीसरे पर कब्जे की ओर बढ़ रहा है जबकि रूस का आरोप है कि यूक्रेन राष्ट्रपति ने न्यूक्लियर बम बनाने की ओर से जोर शोर से तैयारी करवा रहे हैं इस तरह के तीसरे वार्ता के पूर्व जिस तरह से आरोप-प्रत्यारोप चल रहा है उससे यह बात तो स्पष्ट है कि युद्धविराम के लिए दोनों देशों की बातचीत में रूस तो झुकने वाला नहीं है क्योंकि वह यूक्रेन पर हावी है वह अपनी हर शर्त को यूक्रेन पर थोपेगा ऐसी सूरत में यूक्रेन जैसा छोटा देश यह भली बात जानता है कि रूस से लड़ने की हैसियत में नहीं है किंतु युद्धविराम की समझौते की टेबल में वह भी चाहेगा कि रूस उसके सामने ऐसी बात रखें उसका भी सम्मान बना रहे कहने का आशय यह है कि उसकी भी सुनी जाए क्योंकि उसका नुकसान जो होना था वह हो चुका है लिहाजा नहीं लगता है कि यूक्रेन रूस की शर्तों पर सहर्ष हथियार डाल देगा बहरहाल दुनिया भर के देशों को तीसरे दौर की दोनों देशों के बीच होने वाली वार्ता में युद्धविराम की उम्मीद काफी कम लगती है किंतु फिर भी वह चाहते हैं कि 11 दिन के इस युद्ध का अब विराम हो जाना चाहिए बात तो वहीं पर आकर अटक गई कि क्या यूक्रेन रूस के सामने इस तीसरे दौर में हथियार डालकर उसकी सारी बातें तो शर्त मान लेगा ऐसा होता तो नहीं दिख रहा है किंतु हमारी यही गुजारिश और दुआ भी है कि युद्ध विराम होना चाहिए क्योंकि युद्ध में नुकसान ही नुकसान है |

Posted By KanpurpatrikaMonday, March 07, 2022

Sunday, March 6, 2022

धमाके पर मुंह से बरबस निकलती हैं आहें

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जिन विषम परिस्थितियों में यूक्रेन से युद्ध जैसी बड़ी त्रासदी में बम धमाकों के बीच से निकलकर आए छात्र-छात्राओं की सलाम करना चाहिए क्योंकि  उन्होंने ऐसी विषम परिस्थितियों में अपने हौसले को कम नहीं होने दिया जहां तक जो बच्चे अभी भी वहां फंसे हुए हैं उनका तो हाल बुरा है ही साथ ही उनके भारत में मौजूद अभिभावकों को कितनी बुरे हालातो  से गुजरना पड़ रहा है उनके मुंह से बरबस यही है निकल रहा है कि बुद्धि मारी गई थी जो बच्चे का भविष्य बनाने के लिए धमाकों की भट्टी में झोंक दिया जिसमें अगर  पिता ने बच्चों को यूक्रेन जाने की पैरवी की है तो माँ ने उनका जीना हराम किए हुए हैं कि तुम ही ने बेटे या बेटी को आग की भट्टी में झोंका है अगर उसे कुछ हो गया तो जिंदगी भर माफ नहीं करूंगी ऊपरवाला किसी तरह से मेरे बच्चे को सुरक्षित वापस घर ला दे तभी दिल को चैन मिलेगा माताओं की इस समय बेहद दयनीय स्थिति है अज्ञात आशंकाओं से ग्रसित इनके कान आंखें टीवी चैनलों के पर्दे में लगी हैं कभी मोबाइल की तरफ देखते हैं मोबाइल की घंटी बजते ही अज्ञात आशंका से वो डरते हुए फोन उठाते हैं जिसमें बस एक ही बात होती है जैसे किसी करीबी का फोन आता है तो पूछ तो वह फोन पर ही बिलख पड़ती है बार-बार विदेश मंत्रालय फ़ोन मिलाया जा रहा है अधिकारी भी दिलासा देते देते परेशान है कि आखिर वह क्या करें उड़ाने तो अपनी तरफ से पूरी कोशिश में लगे हैं कि जल्द से जल्द पूरी भारत की दुरी तय की जाएं पायलट जैसे ही युक्रेन से उड़ान को इंडिया की सरजमी पर ब्रेक लेता है उस समय अभिभावकों के हालात देखने वाले होते हैं इस प्लेन में जिनके बच्चे नहीं आ पाते उनके बुरे हाल होते हैं रोते-रोते उनका बुरा हाल होता है और फिर से नई उम्मीद से अपने बच्चो की कुशल वापसी की प्रार्थना करने लग जाते है |

Posted By KanpurpatrikaSunday, March 06, 2022

Wednesday, March 2, 2022

जिसका डर था वही हुआ ना

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जिसका डर था वही हुआ ना

आखिर यूक्रेन में रूस के निरंतर हमलावर होने के बाद जिसका डर था वही हो गया भारतीय छात्र कर्नाटक का रहने वाला नवीन शेखरअप्पा उस समय एक धमाके का शिकार हो गया जब एक पेट की आग बुझाने के लिए राशन की कतार में खड़ा था इस दर्दनाक हादसे का यह असर हुआ कि भारतीय छात्रों में भगदड़ मच गई है प्रत्येक छात्र छात्रा डरी सहमी है वह ऐसे स्थान की तलाश में भागते ही जा रहे हैं जहां उन्हें बम और मिसाइलों के धमाके ना सुनाई दें बहुत ही बुरे हालात हैं यहां उनके परिवारों के हालात भी बहुत बुरे हैं पल-पल वह टीवी मोबाइलों से अपने बच्चों के संपर्क में बने हुए हैं भारतीय दूतावास में लगातार फोन खनखना रहे हैं अधिकारी उड़ानों के विषय में बताते बताते परेशान हैं जिसमें एक ही निवेदन होता है कि कैसे भी हो सके उनके बच्चों को बचा कर ले आए यहां तक हालात यह हैं कि अभिभावक इस कदर उतावले हैं कि उनके बच्चों को जो भी सूरत हो सुरक्षित ले आया जाए भारतीय छात्र की मौत के बाद स्थितियां बहुत ही खराब हो गई है हालांकि भारत 3 दिन में उड़ाने बढ़ाने की तैयारी में जुट गया है किंतु यूक्रेन में फंसे छात्र छात्राओं की जो सूचना मिल रही है कि दहशत में बदहवास अवस्था में भागते भागते थक चुके हैं और व्यवस्थाएं ऐसी हैं कि भूखे छात्र छात्राओं को और प्यास भी परेशान करती जा रही है उसके बाद जैसे ही वे भूख प्यास मिटाने के लिए निकलते हैं वैसे ही धमाका हो जाता है बेचारे फिर से दुबक जाते हैं भारत सरकार करे भी तो करे क्या वह भली भांति जानता है किंतु वह हाथ पर हाथ धरे तो बैठा तो नहीं है उसके भी प्रयास जारी हैं फिर भी वहां के हालातों को देखते हुए भारत सरकार को प्रयास बढ़ाने चाहिए यही अपील के साथ मृत छात्र की आत्मा की शांति के साथ उनके परिवार को भी हिम्मत रखने की सांत्वना देता है | 

Posted By KanpurpatrikaWednesday, March 02, 2022

Tuesday, March 1, 2022

भारतीय मीडिया पर रूसी आपत्ति का सच

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रूस ने जिस तरह से यूक्रेन पर की जा रही अपनी सैनिक कार्रवाई को लेकर दिखाई जा रही खबरों व छप रही खबरों पर भारतीय मीडिया को सलाह दी है कि वह तथ्यों पर आधारित खबरें ही प्रसारित करें गलत दिखाकर तथ्यहीन  खबरों का भ्रामक प्रचार ना करें रूस ने कहा की हमने  यूक्रेन पर खुद हमला नहीं बोला बल्कि यूक्रेन से पश्चिमी देशों की सेना हटाने व नाज़ीकरण से मुक्त करने व डानबस में यूक्रेन द्वारा साल से जारी युद्ध को खत्म करने के लिए विशेष सैन्य अभियान चलाया है इसे युद्ध या हमले का नाम देना भी गलत है उन्होंने यह भी स्पष्टीकरण दिया है कि हम वहां हम किसी शहर को नुकसान नहीं पंहुचा रहे है बल्कि सैन्य ठिकानों पर ही कार्यवाही की जा रही है जहां तक रूसी दूतावास की बात है तो वह पहले ही भारतीय मीडिया ने कजाखस्तान में भड़की हिंसा पर भी तथ्यहीन खबरें छापने को लेकर आपत्ति जता चुका है साथ ही उसने सचेत किया था कि कजाखस्तान उसका दोस्त है जिसके लिए उसने कलेक्टिव पीसकीपिंग फोर्स भेजा था रूसी दूतावास की इस तरह की दूसरी बार भारतीय मीडिया पर उंगली उठाने के पीछे भारतीय मीडिया को निःसंदेह इस पर ध्यान देने वाली बात है कि प्रतिस्पर्धा में जल्दबाजी को हम कोई ऐसी खबर ना छाप दें कि उस पर दुनिया भर के देशों के सामने हमारी जग हंसाई हो एक और हमें इस और ध्यान रखना चाहिए कि रूस अपनी सैन्य कार्यवाही रोकने के लिए इनसे वार्ता करने के लिए ना सिर्फ तैयार है ऐसे में हमारा भी तो मुख्य मकसद यही है कि किसी भी तरह से रूस और यूक्रेन के बीच चल रही सैन्य कार्यवाही समाप्त हो दोनों ही अपने मित्र राष्ट्र हैं लिहाजा इस पर कहीं ना कहीं हमें उग्र रूप दिखाने की बजाय लचर रुख अख्तियार करना चाहिए क्योंकि हमारा मकसद यह है कि सैनिक कार्रवाई रुके और खून बहना बंद हो जहां तक रूसी दूतावास की आपत्ति पर हमें फिर से इस विषय पर सोचना चाहिए क्योंकि भारतीय मीडिया का एक अपना अलग स्थान है लिहाजा इसमें किसी तरह का दाग ना लगे हमें दोनों देशों से अपने देश के संबंध संबंधों का भी ख्याल रखकर साफ-सुथरी अपनी छवि  बनाये रखे |

Posted By KanpurpatrikaTuesday, March 01, 2022

Monday, February 28, 2022

अग्नि परीक्षा में खड़ा भारत

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यूक्रेन में रूस के जारी हवाई हमलों से दुनियाभर के देश दो भागों में बटते दिख रहे हैं जहां तक रूस की बात है तो वह संयुक्त राष्ट्र के दबाव के बावजूद अपने पैर वापस लेने के लिए तैयार नहीं है जिसने भारत की स्थिति पहले ही भारतीय नागरिकों को सुरक्षित घर वापसी के लिए खराब बनी है वहीं दूसरी ओर उसके सामने अब एक नई मुसीबत खड़ी हो गई है जिसने अमेरिका ने उसे जहां अपने पाले में खींचने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया है वही रूस ने अपने पक्ष में खड़ा होने की बात रखी है ऐसी स्थिति में प्रमुख बात यह है कि भारत की रूस से बहुत पुरानी अपनी संधि है समय-समय पर रूस ने भारत के आंतरिक सुरक्षा संसाधनों को विकसित करने में ना सिर्फ मदद की है बल्कि युद्ध के समय उसने अपने अत्याधुनिक हथियार भी उसे मुहैया कराए थे आज भी देश के रक्षा संसाधनों को विकसित करने व खरीदारी में भारत रूस पर ही निर्भर है ऐसी स्थिति में तीसरे विश्व युद्ध को रोकने के लिए पक्षधर बने बैठे भारत की स्थिति क्या है भले ही वह कुछ भी कहे किंतु वर्तमान स्थिति में कशमकश तो होगी ही हालांकि भारत का मूल मंत्र अहिंसा परमो धर्मा पर टिका है जहां तक इस युद्ध की बात है तो इस युद्ध में जिस तरह से बेगुनाह लोगों को मौत के घाट उतारा जा रहा है ऐसी स्थिति में हाल फिलहाल यूक्रेन में फंसे तकरीबन 20000  छात्रों सुरक्षित घर वापसी करना ही मूल मकसद है जिसमें वह प्रयासरत भी है किंतु आगे आने वाला समय उसके लिए अग्निपरीक्षा से कम नहीं होगा ऐसे में भारत क्या करेगा यह तो समय गर्त में है

Posted By KanpurpatrikaMonday, February 28, 2022

Sunday, February 27, 2022

मतदान का बहिष्कार कर रहे हैं मतदाताओं से तो पूछो

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यूँ तो 5 राज्यों में पांचवें चरण का मतदान संपन्न होने को है जिसमें देश की सबसे बड़ी लोकतंत्र की भाजपा सरकार पूरी ताकत उत्तर प्रदेश में दोबारा भाजपा सरकार बनाने को लेकर झोंके हुए हैं जबकि उधर यूक्रेन में 20000 भारतीय छात्र छात्राओं की जान अधर में लटकी हुई है ऐसे में प्रधानमंत्री हालांकि उन्हें सुरक्षित निकालने के सारे बंदोबस्त में जुटे हुए हैं ऐसी स्थिति में भी देश के प्रधानमंत्री गृहमंत्री अमित शाह की निगाहें यूपी से हट नहीं रही पूरी तरह से प्रचार-प्रसार में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जा रही है आज पांच चरणों के मतदान को देखें तो चर्चाओं में औसतन 60 फीसदी ही मतदान हुआ है अंतिम चरण तक 60 फ़ीसदी मतदान करने वालों का औसत बना रहे यह बड़ी बात है मतलब 40 फीसदी लोगों ने लोकमत की सरकार बनाने का बहिष्कार किया है यह बहिस्कार क्यों हुआ यह तो बहिस्कार  करने वाले ही बता सकते हैं ऐसी परिस्थितियों में इस तरह से निष्पक्ष सरकार की उम्मीद ही क्या की जाए इसमें बड़ी संख्या में वोट डालने वालों ने जिसका जितना बल ज्यादा उसका उतना समर्थकों होंगे उसके बाद दूसरे बड़े बहुमत वाले तथा उसके बाद उसके कम वाले समर्थकों में वोट डालने में जागरुकता दिखाई यानी 20 से 25 फ़ीसदी ही ऐसा मतदान हुआ जो निष्पक्ष चुनाव चाहते थे जबकि 40 फीसदी मतदान ऐसा हुआ ही नहीं जो लोग वाकई में निष्पक्ष सरकार बनवा सकते थे सरकारों के यह सोचना चाहिए कि मतदान प्रतिशत घट नहीं रहा है बल्कि सरकारों के प्रति लोगों का नजरिया कितना बदलता जा रहा है यह चिंता का विषय है यही हाल रहा तो सरकारें समर्थकों के दम पर बन जाया करेंगी ऐसे में जो समर्थक कार्यकर्ता जिसका जितना ज्यादा होगा उसी की सरकार बन जाया करेगी आम मतदाता की कोई जरूरत ही नहीं है छोड़ दीजिए उन्हें उनके हाल में ऐसे ही बनेगी लोकतंत्र की सरकारें क्या हाल होगा आने वाले समय में इस तरह की स्थितियों से क्या बनता चला जा रहा है लोकमत लोकतंत्र की सरकारों की बातें केवल कागजी ही रह जाएँगी विशेषज्ञों को सोचना होगा इस तरह का माहौल के प्रति |

Posted By KanpurpatrikaSunday, February 27, 2022

Saturday, February 26, 2022

भारतीय मूल के लोगों को सुरक्षित कैसे लाया जाए

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जहां यूक्रेन में रूसी हवाई हमलों से सारी दुनिया के देशों के साथ भारत के सबसे हालत खराब है क्योंकि यूक्रेन में भारत के लगभग 20000 छात्र-छात्राएं भी फंसे हैं यूक्रेन पर कब्जा करने के लिए रूस ने मिसाइलों से लेकर तमाम आधुनिक संसाधनों को इस युद्ध में झोंकने में जुटा हुआ है ऐसी सूरत में दूसरे विश्व युद्ध के बाद किसी देश की इतनी बड़ी सैन्य कार्रवाई है जिसमें हजारों लोग मारे जा चुके हैं यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्र छात्राओं की सुरक्षा को लेकर उनके घर वाले लगातार विदेश मंत्रालय से संपर्क साधने में जुटा हुआ है जिसमें राष्ट्रपति प्रधानमंत्री के पास भी उन्हें सुरक्षित लाने की गुहार की जा रही है यहां तो 20000 छात्र छात्राओं के जीवन का सवाल है कि कोई मिसाइल यह छोड़कर तो दागी नहीं जाती कि इससे केवल यूक्रेन के लोगों को नुकसान पहुंचेगा भारतीय छात्रों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि कल जिस तरह रूसी हवाई हमले व मिसाइलों से रिहाईशी अपार्टमेंट्स को ध्वस्त किया गया उसे भारत के छात्र छात्राओं पर दिन पर दिन खतरा बढ़ रहा है ऐसी सूरत में इतनी बड़ी तादाद में छात्र छात्राए एक ही स्थान पर तो होंगे नहीं अलग-अलग स्थानों मे होंगे | यूक्रेन का विदेश मंत्रालय हो या अन्य सुरक्षा एजेंसियां जब वह अपने नागरिको  सुरक्षा नहीं कर पा रहे हैं तो दूसरे की सुरक्षा वह कैसे करेंगे ऐसी स्थित में भारत देश के विदेश मंत्रालय के पास बड़ी विकट स्थिति फंसी हुई है कि वह आखिर क्या करे | आखिर रूस की इस सरासर यूक्रेन पर की जा रही दादागिरी में अपने भारतीय मूल के लोगों को कैसे निकालें छोटी मात्रा में तो इस भारतीय मूल के लोग हैं ही नहीं इनकी संख्या 20 हजार के आस पास है  ऐसी परिस्थितियों में यहां फंसे लोगों के परिवारी जनों का सब्र टूटता जा रहा है वह यूक्रेन को एक के बाद एक तबाह होते टीवी चैनल पर देख रहे हैं जिनके धमाके उनके कानों में सुनाई  दे रहे है उसके बाद उनकी हालत बहुत खराब है ऐसे में भारत के पास दिलासा के अलावा कोई चारा नहीं है जबकि भारत अच्छी तरह जान रहा है कि रूस अपनी सैनिक कार्रवाई व हवाई हमले अभी हाल फिलहाल रोकने में रहा ऐसी स्थिति में भारत विकट स्थिति में फंसा है वह क्या करें जिसके लिए वे रूस के विदेश मंत्रालय व राष्ट्रपति से तत्काल संपर्क में जुटा है कि वह अपने मूल के लोगों को वहां से सुरक्षित कैसे निकाले |

Posted By KanpurpatrikaSaturday, February 26, 2022

तीसरे युद्ध की ओर का इशारा तो नहीं

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तीसरे युद्ध को रोकने का पक्षधर बना भारत इस समय रूस के यूक्रेन में हमले के बाद दुनिया को दो भागों में बढ़ता हुआ देखने के बाद असमंजस की स्थिति में खड़ा है हालांकि उसे यूक्रेन में फंसे लगभग 20000 भारतीयों को सुरक्षित करने की चिंता बढ़ी है क्योंकि रूस ने आज जिस तरह से हवाई हमले रिहायशी इलाकों में तेज किए हैं उससे जनहानि का खतरा बढ़ गया है जिस पर भारतीय नागरिकों को वेस्टर्न बॉर्डर पर सुरक्षित पहुंचाने की अपील की जा रही है क्योंकि रूस यूक्रेन की राजधानी को निशाना बनाए हैं यूक्रेन में रोज-रोज के बड़े हवाई हमले से पूर्वी युक्रेन के 2 शहरों ने सरेंडर कर दिया है जिस तरह रूस ने यूक्रेन के हवाई अड्डों पर जिस तरह से हमले बढ़ा दिए हैं उससे इस बार रूस का जिस तरह से आक्रामक रुख है उसे भले ही दुनिया दो भागों में बांट गई हो जिसमें यूरोपीय संघ की जिस तरह से अमेरिका में तत्कालीन युद्ध रोकने के लिए बैठक बुलाई है उसे नहीं लग रहा है कि इस बार भी इस बैठक का कोई प्रभाव रूस में पड़ने वाला नहीं है क्योंकि रूस के पास खुद ही वीटो पावर है हालांकि रूस के बढ़ते हवाई हमलों से यह तो स्पष्ट हो गया है कि वह यूक्रेन को इस बार लेकर रहेगा क्योंकि रूस के हवाई हमलों से जिस तरह से रिहाईसी इलाकों में दहशत मच गई है उससे माना जा रहा है कि युद्ध अच्छे के लिए तो होता नहीं है जिसमें जान माल का नुकसान दोनों का ही होता है ऐसी परिस्थितियों में जिस तरह से यूक्रेन में स्थितियां बनी है उससे लगभग 20,000 जो भारतीय नागरिक फंसे हैं उनके लिए भारत में जबरदस्त चिंता की लहर है भारत की समझ में नहीं आ रहा है कि वह पहले अपने नागरिकों को बचाए हालांकि जिस तरह से इस युद्ध में दुनिया के देश दो भागों में बैठ गए हैं उसे अगर इस बार तीसरा विश्व युद्ध होता है तो बड़ी तबाही होगी क्योंकि अमेरिका सहित तमाम देश यूक्रेन की ओर है तो चीन उत्तर कोरिया ईरान समेत तमाम देश रूस के साथ हैं फिलहाल भारत संधि के चलते अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं कर पा रहा है |

Posted By KanpurpatrikaSaturday, February 26, 2022