Saturday, November 30, 2019

रक्त सम्बन्ध और मृत आत्माए PART 2

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आगे पडे .....
इतने दिनों बाद भी पता नहीं दादा  जी यूँ सपने में आने का कोई इत्तेफाक नहीं था जरुर कुछ न कुछ बात जरुर थी इतने दिनों बाद रोनित के दिमाग में यह बात घर कर गई थी कही न कही दादा जी अपने अधूरे रिश्तो को पूरा नहीं जी पाए लेकिन दादा जी के साथ आये वो दोनों व्यक्ति कौन थे क्या उनका भी मेरे घर से कोई सम्बन्ध था यह बात रोनित के दिमाग में बराबर घूम रही थी रोनित के सपने में मृत आत्माओ के द्वारा उसकी माँ को ले जाना क्या एक सन्देश था ,की क्या उसकी माँ की मृत्यु भी निकट है क्या रोनित की माँ की मौत के आने के यह संकेत है क्या दादा  जी यह बताने वाले है की तुम्हारी माँ बस कुछ ही महीनो या सालो में हमारे जैसे मृत आत्मा हो जायेंगे तुम्हारे साथ उनका रक्त सम्बन्ध कही न कही टूट जायेगा जैसे मेरे साथ हुआ |
यह बात रोनित के दिमाग में यु ही नहीं आई थी यह बात आज से करीब तीन साल से भी ज्यादा पुरानी थी जब रोहित अपने दादा और दादी जी के साथ अपने पुराने मकान में रहता था
उस दिन अचानक ही दादी जी बिस्तर से अचानक गिर जाती है और उनके पैरो में लगी चोट से वो जोर से दर्द से चिल्ला रही थी
डाक्टर को दिखाने के बाद हम उनको घर ले आये थे डाक्टर ने उनके पैर में फ्रेक्चर बताया और घर पर आराम करने की सलाह  दी थी
अभी सभी लोग घर में दादी जी के कमरे में बैठ ही थे की अचानक से दादी ने कहा यह जो तुम लोग कर रहे हो यह अच्छा नहीं है यह सब उसका ही परिणाम है मैने तुरंत ही दादी से पूछा दादी क्या बात है आप पूरी बात तो बताइए तभी माँ ने मुझे बीच में ही रोकते हुए कहा बड़ो की बात को बीच में नहीं काटते दादी को बात तो पूरी करने दो तब ही दादा जी ने बीच में बात को संभालते हुए कहा कुछ नहीं दादी जी को डाक्टर ने आराम करने को बोला है तो हम सभी उनसे यही कह रहे है जो भी चाहिए आप सिर्फ बोल दीजिये आप को सब यही मिल जायेगा डाक्टर ने भी आपको रेस्ट करने को बोला है इसलिए दादी एसा कह रही है कि तुम लोग मुझे आलसी  बनाकर अच्छा नहीं कर रहे हो ...
 लेकिन इस बात पर दादी का चेहरा यह साफ बता रहा था की दादी जो कहना चाह रही थी उसको कही न कही सभी छुपाना चाह  रहे थे |
कोई एसी बात जरुर थी की जो घर में सबको पता थी लेकिन मुझे ही नहीं पता थी लेकिन मैं घर में रहकर भी इस बात से अंजान  था मेरी उत्सुकता लगातार बढती जा रही थी  इन्ही बातो की खोज बीन में तीन दिन बीत चुके थे की तभी घर में दादा जी के साथ एक तांत्रिक बाबा प्रवेश करते है मुझे अब और ज्यादा आश्चर्य हुआ की घर में इतनी पडे लिखे लोग होने के बाद यह सब | कई सालो से पड़ने की वजह से घर से नाहर रहने की वजह से शायद मैं इन सब बातो से अंजान था | लेकिन मैं भी अब इन सब बातो को जानने में एक जसूस की तरह काम करने लगा | उस अंजान  रहस्य से | जिससे मैं काफी दूर था शायद आज उस रहस्य से पर्दा उठने वाला था और मैं इन सब क्रिया कलापों को बस एक मूक दर्शक बन कर देखना चाह रहा था|
तांत्रिक बाबा जमीन पर बैठ कर पूजा की तैयारी करने लगे मेरी माँ इस कार्यक्रम के लिए आवश्यक वस्तुआ को लाकर के  तांत्रिक बाबा के पास रख रही थी | पापा बाहर से पूजन और फूल आदि लेने गए थे | मेरे दादा जी तांत्रिक बाबा के पास बैठ कर कुछ विशेष बात कर रहे थे | लेकिन एक बात जो साफ थी की दादी इस कर्यक्रम के आयोजन से बेहद खुश नज़र आ रही थी| मैं एक जासूस की तरह बैठ कर सभी की बात को गौर से सुन रहा था लेकिन देखने में मैं अपने मोबाइल में गेम खेलने में व्यस्त था दादा जी तांत्रिक बाबा से पूछ रहे थे की इतना सब करने के बाद यह सब कैसे हो गया वो वापस कैसे आ गया| क्या कुछ भूल हुई है हमसे क्या कैसे फिर विमला (मेरी दादी) से तो उन्हे बहुत प्यार था तो फिर विमला के साथ एसा क्यों किया | देखने में तो मैं अपने मोबाइल में व्यस्त था  लेकिन मेरे कान दादा जी की बातो को गौर से सुन रहे थे क्योंकि दादा जी बात करते हुए बार बार मेरे और ही देख रहे थे और मुझे मोबाइल में व्यस्त देख वो सुकून में थे की मैं उनकी बातो पर ध्यान नहीं दे रहा हु | तभी दादी जी ने कहा गलती तो हुई और तुम लोग से हुई है| बाबा जी से क्या पूछ रहे हो |जो इस घर में रहना चाहती है उसको इस घर से क्यों निकाल रहे| तुम्हे क्या मिल जायेगा | उन्होंने आज तक हम लोगो के साथ कुछ बुरा तो नहीं किया | बस इधर उधर ही तो दिख जाती है अक्सर बस इसलिए | इतनी सालो से हम सब सुकून में थे लेकिन तुम लोगो की जिद की इस पुराने माकन को बेचना है | नई  जगह चलेंगे ने ही सब कुछ गड़बड़ कर रखा है | जब तुम लोग किसी को सुकन से नहीं रहने देगो तो वो तुम्हे सुकून से क्यों रहने देगी |
मैं सभी बातो को गौर से सुने जा रहा था | लेकिन इतना तो पता चल चूका था इतनी बातो को सुनने के बाद की मकान बेचने और किसी आत्मा को घर से बाहर करने का ही है | कुछ रहस्य अभी बाकि था इस घर में लेकिन वो है कौन जो मकान नहीं बेचने देना चाहती और क्यों दादा जी इस मकान को बेच रहे है जो हमारा खानदानी मकान है मैं यह सब बातो को सोच ही रहा था की तांत्रिक बाबा बडे ही तेज़ स्वर में बोले की आत्माओ के लिए घर नहीं बना है जब कोई मर जाता है तो ईश्वर उसको अलग स्थान दे देता है फिर वो अगर मनुष्यों के आस पास रहते है तो यह उनकी गलती है और मैंने उनके अनुसार उनको उनकी जगह भी दे दी थी लेकिन एसा कैसा हुआ मुझे भी आश्चर्य है क्योंकि आज तक मेरे किये ही ऐसे कामो में दोबारा कोई आत्मा वापस नहीं आई है
लेकिन एक बात तो पक्की है की मैने जो इस घर पर आत्माओ के लिए बंधन लगाया था वो कही न कही टूट गया वो बंधन खंडित हो गया| इसलिए ही एसा हुआ है
|अब मेरे सामने इतनी बातो को सुनने के बात पूरी पिचर क्लियर हो चुकी थी | कोई  आत्मा है जो पारिवारिक है और उसका  सम्बन्ध कही न कही दादी जी के पैर टूटने से था यह सब सोच ही रहा था क पाप की पूजा का बचा हुआ सामान ले कर आ गए थे | सभी उस आत्मा की पूजन और हवन करने की तैयारी में लग गए थे |
अगले अंक में पड़े  की उस आत्मा और उस घर को बेचने के पीछे क्या रहस्य था उर कैसे रोनित की दादी का पैर टुटा | क्या तांत्रिक बाबा उस आत्मा को घर से बाहर कर पाएंगे|  ऐसे ही सवालों का जवाब पाने के लिए....
किजिए मेरी अगली पोस्ट का इंतज़ार .......🙏🙏🙏



Posted By KanpurpatrikaSaturday, November 30, 2019

Friday, November 29, 2019

रक्त सम्बन्ध और मृत आत्माए

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रक्त सम्बन्ध और मृत आत्माए



 
जैसे ही सभी कामो से निपटने के बाद लेटा ही था  वैसी ही दिन भर की थकावट के बाद पता नहीं कब नींद के आगोश  में समां गया | सोने के कुछ ही देर बाद मुझे ऐसा लगा जैसे दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी | दरवाज़े खटकने की आवाज़ कुछ जानी पहचानी सी लग रही थी लेकिन नींद में होने के कारण उठने का मन नहीं हो रहा था लेकिन दरवाज़े की अजीब सी खटखटाने ने मुझे नींद से उठने पर मजबूर कर दिया और उठ कर मैं दरवाज़ा खोलने चला गया| दरवाज़ा खोलते मैंने सामने दादा जी को खड़ा पाया |आश्चर्य से मैंने दादा जी से पूछा की दादा जी आप! आप यहाँ ,आप की तो  मृत्य कार एक्सीडेंट में हो चुकी थी आप तो मर चुके थी फिर आप यहाँ कैसे ?
दादा जी ने तुरंत ही मुस्करा कर जवाब दिया की की बेटा  यह घर तो मेरा है मैं इस घर से दूर कैसे जा सकता हु यहाँ तो मेरा सभी से रक्त सम्बन्ध है फिर मैं चाह कर भी दूर  नहीं जा सकता आओ अन्दर आओ दादा जी के साथ दो और व्यक्ति भी घर में प्रवेश कर जाते है और मैं आश्चर्य से देखता रहता हु और यह सोच भी रहा था की दादा जी की मृत्यु हो चुकी वो फिर कैसे आ सकते है मैं तुरंत ही उनके पीछे चल पड़ा दादा जी और वो दोनों व्यक्ति सीधे मेरी माँ के कमरे में प्रवेश कर जाते है माँ भी उन्हे देख कर चौक जाती है और झट से उठ खड़ी होकर दादा जी से वही सवाल फिर से बाबु जी आप यहाँ आप तो, हा बहु हम तो मर चुके थे हम तुम्हे लेने ही आए है क्या तुम हमारे साथ नहीं चलोगी| माँ रोती  हुई सी असहाय सी उन्हें देख रही थी दादा जी का आदेश मिलते ही वो दोनों व्यक्ति माँ को खीच कर ले जाने लगते है और मैं असहाय सा चीख रहा हु लेकिन मेरे मुंह से आवाज़ ही नहीं निकल रही मैं चलने की कोशिश कर रहा हु लेकिन चल भी नहीं पा रहा हु बस एक मूर्ति के सामान वही खड़ा था और वो माँ को खीचते हुए कमरे और फिर घर से बाहर  ले जाते है और अचानक ही एक चीख के साथ मेरी नींद खुल जाती है उस गुलाबी ठण्ड में भी मैं पसीने से भीग चूका था और मेरी चीख सुन कर माँ और पिताजी भी मेरे पास  आ चुके थे क्या हुआ बेटा क्या फिर से तुमने वही सपना देखा क्या ! मैं हां में सर हिला कर जवाब दिया | माँ, क्या तुम भी दादा जी को मरे हुए ३ साल हो चुके है और अक्सर ही तुम इस तरह से ही चौक कर उठ जाते हो माना दादा जी से तुम्हे ज्यादा प्यार था और उनके असमय कार दुर्घटना में मृत्यु तुम सह नहीं सके तुम्हरी आँखों के सामने ही उनकी मृत्यु हो गई और तुम कुछ नहीं कर सके | लेकिन माँ ऐसे सपने मुझे ही क्यों आते है | माँ मैंने सुबह देखा था की तुम फिर से सीने में हाथ रख कर सोये थे इसलिए ही तुम चौक पड़ते हो | साइंस तुम पड़ते हो और जवाब मुझे देना पड़ता है| चलो उठो और फ्रेश हो मैं चाय बनाती हूँ | लेकिन माँ दादा जी के साथ वो दो और व्यक्ति कौन है और वो तुम्हे ही क्यों ले जाते है  माँ अपने परिवार की पुरानी फोटो आज जरुर दिखा देना प्लीज़ , प्लीज़ माँ आज | ठीक है पहले सारे कामो से फ्री तो हो जाऊ ठीक | अब चलो उठो जल्दी से |

WRITTEN BY PANDIT ASHISH TRIPATHI

TO BE CONTINUED....

Posted By KanpurpatrikaFriday, November 29, 2019

रिश्तो का कत्ल भाग 4

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रिश्तो का कत्ल  भाग 4 ...

स्पंदना चिड़चिड़ाते हुए माँ अभी सोने दो न अभी अभी तो सोई हु थक गई हु माँ | लेकिन अवंतिका गुस्से में कहती है, बेटी अभी कोई बहाना नहीं चलने वाला है आपका ,उठो तुरंत | अभी तेरे टीचर भी आते होंगे चल जल्दी उठ जा मैं भी तैयार होती हु | माँ आप कही जा रहे हो, कहा जा रहे| मैं आप के साथ चलूंगी | प्लीज़ बेटा मैं आपके मामा की मामी के लिए शापिंग करने जा रही हु और हा आप मेरे साथ नहीं आ रहे हो | क्यों माँ मैं भी आप के साथ मैं चलूंगी |  नहीं बेटा तुम नहीं चलोगी क्योंकि आपके स्कूल में फाइनल टेस्ट जो होने वाले है| अभी आपके टीचर भी आने वाले है| जल्दी उठ जाओ | स्पंदना उठती है साथ में उधर अवंतिका स्पंदना को डाट कर तैयार होने चली जाती है| और स्पंदना भी गुस्से में बैग उठाकर पड़ने के लिए तैयार हो जाती है| अवंतिका घडी की और देखा कर अभी थोड़ी ही देर में आपके डैडी भी आते होंगे और हम आपके लिए मार्केट से बढ़िया ड्रेस और चाकलेट्स भी लायेंगे ठीक |  अब मेरा बेटा गुस्सा तो नहीं है न !
अच्छा ठीक है माँ थोडा गुस्से में स्पंदना ने जवाब दिया | अवंतिका घडी की और देख कर देखो घडी में ५ बज चुके है और आपके डैडी कभी भी टाइम पर नहीं आते है और ठीक उसी समय डोर बेल बजती है| अवन्तिका दरवाजा खोलती है तभी स्पंदना के टीचर अंकुर अन्दर आते है | अंकुर अवंतिका की ओर देखते हुए लगता है भाभी जी कही जाने की तैयारी में है | हा अंकुर जा रहे है लेकिन स्पंदना यहाँ पर ही है जब तुम इसको पडओगे तब तक हम वापस आ जायेंगे | इसका मतलब हमारी स्पंदना बिटिया नहीं जा रही है आपके साथ | स्पंदना अपनी माँ की और फिर से गुस्से में देखती है| तभी विजय स्पंदना के डैडी कमरे में प्रवेश करते है और अवंतिका विजय को देखकर मुस्कराती है| विजय अवंतिका की और देखकर सॉरी अवंतिका मैं आज फिर से लेट हो गया| तुम तो जानती ही तो यहाँ के ट्राफिक को कही भी जाने के लिए घर से दो घंटे पहले निकलो और घर दो घंटे बाद पहुचो | अच्छा अब चलिए इतना लेट भी नही हुए है की कोई एस्क्युस दे | हा अवंतिका तुमने अंकुर को बता दो दिया है न की हम स्पंदना को अपने साथ नहीं ले जा रहे है|  हा मैंने सब कुछ अंकुर को बता दिया है और फिर अंकुर यहाँ थोड़ी देर और रुकेगा उसका पसंदीदा टीवी शो जो आज आयेगा | ठीक अंकुर | विजय चलो अच्छा चलते है लेकिन वो रंजित का| अवंतिका हा रंजित को मैने दवा दे दी है वो दवा खा के सो गया है | अभी फिर अंकुर तो है ही न हमारे आने तक |  इसके साथ ही विजय और अवंतिका बाइक पर बैठ कर शापिंग के लिए निकल जाते है |
  क्रमशः अगले हफ्ते
PART ONE ...
PART TWO.....
PART THREE.....

Posted By KanpurpatrikaFriday, November 29, 2019