कालनिर्णयज्योतिष में किसी भी घटना का कालनिर्णय मुख्यत: दशा और गोचर के आधार पर किया जाता है। दशा और गोचर में सामान्यत: दशा को ज्यादा महत्व दिया जाता है। वैसे तो दशाएं भी कई होती हैं परन्तु हम सबसे प्रचलित दशा विंशोत्तरी दशा मानी जााती है ।विंशोत्तरी दशा नक्षत्र पर आधारित है। जन्म के समय चन्द्रमा जिस नक्षत्र में होता है, उसी नक्षत्र के स्वामी से दशा प्रारम्भ होती है। दशाक्रम सदैव इस प्रकार रहता है -सूर्य, चन्द्र, मंगल, राहु, गुरु, शनि, बुध, केतु, शुक्र।जैसा कि विदित है कि दशा क्रम ग्रहों के सामान्य क्रम से अलग है और नक्षत्रो पर आधारित...