Friday, December 18, 2020

*क्या धर्मांतरण भी है पित्र दोष का कारण*

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*क्या धर्मांतरण भी है पित्र दोष का कारण* 
व्यक्ति की कुण्डली में एक ऎसा दोष है जो सभी प्रकार के दु:खों को एक साथ देने की क्षमता रखता है, इस दोष को पितृ दोष के नाम से जाना जाता है।
ज्योतिष शास्त्र में योग या यूं कहें कि दोषों में से एक दोष पितृदोष भी है । जिसकी अक्सर चर्चा होती है। कुंडली में पित्र दोष किन कारणों से होता है ,उस पर अगर बात की जाए तो कई कारण निकल कर सामने आते हैं। उनमें से जो मुख्य बिंदु है ,वह यह है कि कोई भी जातक जब मनुष्य रूप में पृथ्वी पर जन्म लेता है ,तो उसके पूर्व जन्म (प्रारब्ध) के कर्म भी इस जन्म में वह लेकर आता है। जिसमें कुछ अच्छे कर्म (योग) और कुछ पूरे कर्म (ऋण) के रूप में सामने आते हैं । 
पित्र दोष या योग मुख्यतः अपने धर्म कर्म और संस्कार से विरक्त होना , पित्र दोष का मुख्य कारण होता है । जैसे किसी ने सनातन धर्म में जन्म लिया परंतु धर्म विपरीत आचरण करना ,क्योंकि उसके पित्र या पूर्वज उसी धर्म का अनुसरण करते हुए पीढ़ी दर पीढ़ी आगे आ रहे थे । जिसका अनुसरण न करके वह अपने धर्म का दोषी हो गया । जिसके उसको पित्र दोष लगा । दूसरा जो उसका कर्म था अपने पूर्वजों अपने पितरों के लिए जिस कर्म को उसने भली-भांति पूर्ण नहीं किया यह भी एक कारण पितृदोष का होता है। हिंदू संस्कारों के अनुसार उसने 16 संस्कारों को धर्म अनुरूप नहीं पूर्ण किया, तो वह पित्र दोष उसके कुंडली में व्याप्त होगा । अपने धर्म मे जन्म लेकर दूसरे धर्म का पालन करना या दूसरे धर्म में परिवर्तित हो जाना भी पितृदोष का एक कारण होता है । कुंडली में किन ग्रहों की स्थिति निर्मित होता है पितृदोष इसी तरह हमारे पितृ धर्म से विराक्त होने से या पूर्वजों का अपमान करने आदि से पितृ दोष ऋण बनता है, इस ऋण का दोष आपके बच्चों पर लगता है जो आपको कष्ट देकर इसके प्रति सतर्क करते हैं। पितृ ऋण के कारण व्यक्ति को मान प्रतिष्ठा के अभाव से पीड़ित होने के साथ-साथ संतान की ओर से कष्ट, संतानाभाव, संतान का स्वास्थ्य खराब रहने या संतान का सदैव बुरी संगति में रहने से परेशानी झेलना होती है। पितर दोष के और भी दुष्परिणाम देखे गए हैं- जैसे कई असाध्य व गंभीर प्रकार का रोग होना। पीढ़ियों से प्राप्त रोग को भुगतना या ऐसे रोग होना जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहे। पितर दोष का प्रभाव घर की स्त्रियों पर भी रहता 
ज्योतिष और पुराणों की अलग अलग धारणा है लेकिन यह तय है कि यह हमारे पूर्वजों और कुल परिवार के लोगों से जुड़ा दोष है। पितृदोष के कारण हमारे सांसारिक जीवन में और आध्यात्मिक साधना में बाधाएं उत्पन्न होती हैं। हमारे पूर्वजों का लहू, हमारी नसों में बहता है। हमारे पूर्वज कई प्रकार के होते हैं, क्योंकि हम आज यहां जन्में हैं तो कल कहीं ओर। 
पितृ दोष के कई कारण और प्रकार होते हैं। 
*ब्रह्मा ऋण* : पितृ ऋण या दोष के अलावा एक ब्रह्मा दोष भी होता है। इसे भी पितृ के अंर्तगत ही माना जा सकता है। ब्रम्हा ऋण वो ऋण है जिसे हम पर ब्रम्हा का कर्ज कहते हैं। ब्रम्हाजी और उनके पुत्रों ने हमें बनाया तो किसी भी प्रकार के भेदवाव, छुआछूत, जाति आदि में विभाजित करके नहीं बनाया लेकिन पृथ्वी पर आने के बाद हमने ब्रह्मा के कुल को जातियों में बांट दिया। अपने ही भाइयों से अलग होकर उन्हें विभाजित कर दिया। इसका परिणाम यह हुआ की हमें युद्ध, हिंसा और अशांति को भोगना पड़ा और पड़ रहा है। 
पूर्वजों के कारण वंशजों को किसी प्रकार का कष्ट ही पितृदोष माना गया है ऐसा नहीं है और भी कई कारणों से यह दोष प्रकट होता है। ज्योतिष के अनुसार पितृ दोष और पितृ ऋण से पीड़ित कुंडली शापित कुंडली कही जाती है। ऐसे व्यक्ति अपने मातृपक्ष अर्थात माता के अतिरिक्त मामा-मामी मौसा-मौसी, नाना-नानी तथा पितृपक्ष अर्थात दादा-दादी, चाचा-चाची, ताऊ-ताई आदि को कष्ट व दुख देता है और उनकी अवहेलना व तिरस्कार करता है। पितर दोष पिछले पूर्वज (बाप दादा परदादा) से चला आता है, जो सात पीढ़ियों तक चलता रहता है। 
इसके अलावा  गुरु का ऋण, शनि का ऋण, राहु और केतु का ऋण भी होता है। इसमें से शनि के ऋण उसे लगता है जो धोके से किसी का मकान, भूमि या संपत्ति आदि हड़ लेता हो, किसी की हत्या करवा देता हो या किसी निर्दोष को जबरन प्रताड़ित करता हो। ऐसे में शनिदेव उसे मृत्यु तुल्य कष्ट देते हैं और उसका परिवार बिखर जाता है।
जन्म कुंडली में दूसरे चौथे पांचवें सातवें नौवें दसवें भाव में सूर्य राहु या सूर्य शनि की युति स्थित हो तो यह पितृदोष माना जाता है. सूर्य यदि तुला राशि में स्थित होकर राहु या शनि के साथ युति करें तो अशुभ प्रभावों में और ज्यादा वृद्धि होती है. इन ग्रहों की युति जिस भाव में होगी उस भाव से संबंधित व्यक्ति को कष्ट और परेशानी अधिक होगी | लग्नेश यदि छठे आठवें बारहवें भाव में हो और लग्न में राहु हो तो भी पितृदोष बनता है. शास्त्र के अनुसार सूर्य तथा राहू जिस भी भाव में बैठते है, उस भाव के सभी फल नष्ट हो जाते है। 
कुन्डली का नवां घर धर्म का घर कहा जाता है, यह पिता का घर भी होता है, अगर किसी प्रकार से नवां घर पापी या क्रूर ग्रहों से ग्रसित होता है तो सूचित करता है कि पूर्वजों की इच्छायें अधूरी रह गयीं थी, जो प्राकृतिक रूप से अशुभ ग्रह होते है वे सूर्य मंगल शनि कहे जाते है और कुछ लगनों में अपना काम करते हैं, नवां भाव, नवें भाव का स्वामी ग्रह, नवां भाव चन्द्र राशि से और चन्द्र राशि से नवें भाव का स्वामी अगर राहु या केतु से ग्रसित है तो यह पितृ दोष कहा जाता है। इस प्रकार का जातक हमेशा किसी न किसी प्रकार की समस्याओ से घिरा रहता है, 
कुंडली में राहु पांचवें भाव में हो तो पितृ दोष का असर होता है। इसकी वजह से शादी और नौकरी मिलने में बाधाएं अाती हैं । 
*जानिए पितृ दोष के कुछ खास संकेत, जो दैनिक जीवन में मिलते हैं*...
बगैर कुंडली के ये पॉइंट बता देते है कि पित्र दोष है
1 बाबा की पीढ़ी पापा के पापा
में से कोई अविवाहित मृत्यु या किसी बीमारी से कम उम्र में मृत्यु।
2 तीसरी पीढ़ी में संतान का विकलांग होना।
3 घर मे शीलन और दीवार का चटकना।
4 नल से पानी टपकना जितना भी अच्छा नल लगवा ले कुछ दिनों बाद पानी टपकेगा।
•जमीन-जायदाद, घर खरीदने-बेचने में नुकसान उठाना पड़ सकता है। 
•शादी होने में और नौकरी में भी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
•अगर पुरुष की कुंडली में पितृ दोष है तो संतान का सुख मिलने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। 
•पितृ दोष के कारण धन होने पर भी घर में सुख-शांति नहीं रहती है। पति-पत्नी के बीच विवाद होते रहते हैं।
•ज्योतिष की मान्यता है कि अगर परिवार में किसी सदस्य की अकाल मृत्यु हो जाती है और मृत व्यक्ति का सही विधि से श्राद्ध नहीं हो पाता है।
•उस परिवार में जन्म लेने वाली संतान की कुंडली में पितृ दोष रहता है। खासतौर पर पुत्र संतान की कुंडली में पितृ दोष रहता है।
*खास उपाय* : पितृ दोष या ऋण को उतारने के तीन उपाय- देश के धर्म अनुसार कुल परंपरा का पालन करना, पितृपक्ष में तर्पण और श्राद्ध करना और संतान उत्पन्न करके उसमें धार्मिक संस्कार डालना। प्रतिदिन हनुमान चालीसा पढ़ना, भृकुटी पर शुद्ध जल का तिलक लगाना, तेरस, चौदस, अमावस्य और पूर्णिमा के दिन गुड़-घी की धूप देना, घर के वास्तु को ठीक करना और शरीर के सभी छिद्रों को अच्छी रीति से प्रतिदिन साफ-सुधरा रखने से भी यह ऋण चुकता होता है।
*पितृ दोष के लिये उपाय* सोमवती अमावस्या को (जिस अमावस्या को सोमवार हो) पास के पीपल के पेड के पास जाइये, उस पीपल के पेड को एक जनेऊ दीजिये और एक जनेऊ भगवान विष्णु के नाम का उसी पीपल को दीजिये, पीपल के पेड की और भगवान विष्णु की प्रार्थना कीजिये, और एक सौ आठ परिक्रमा उस पीपल के पेड की दीजिये, हर परिक्रमा के बाद एक मिठाई जो भी आपके स्वच्छ रूप से हो पीपल को अर्पित कीजिये। परिक्रमा करते वक्त :ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करते जाइये। परिक्रमा पूरी करने के बाद फ़िर से पीपल के पेड और भगवान विष्णु के लिये प्रार्थना कीजिये और जो भी जाने अन्जाने में अपराध हुये है उनके लिये क्षमा मांगिये। सोमवती अमावस्या की पूजा से बहुत जल्दी ही उत्तम फ़लों की प्राप्ति होने लगती है। 
•पितृ दोष के लिए हर माह अमावस्या पर तर्पण और श्राद्ध करना चाहिए। पितरों के लिए धूप-दीप करना चाहिए। ऊँ पितृदेवताभ्यो नम: मंत्र का जाप करना चाहिए।
•हर साल श्राद्ध पक्ष में पितरों के लिए दान-पुण्य और तर्पण आदि शुभ काम करना चाहिए। इससे भी दोष शांत होता है।
•ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य को सभी ग्रहों का राजा माना जाता है इसीलिए सूर्य देव को रोज सुबह जल चढ़ाना चाहिए। इससे दोष का निवारण हो सकता है

Posted By KanpurpatrikaFriday, December 18, 2020

शनि पीड़ा शांत करने के उपाय

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शनि महाराज प्रत्येक शनिवार के दिन के दिन पीपल के वृक्ष में निवास करते हैं। इसदिन जल में चीनी एवं काला तिल मिलाकर पीपल की जड़ में अर्पित करके तीन परिक्रमा करने से शनि प्रसन्न होते हैं। शनिवार के दिन उड़द दाल की खिचड़ी खाने से भी शनि दोष के कारण प्राप्त होने वाले कष्ट में कमी आती है।

Posted By KanpurpatrikaFriday, December 18, 2020

❖▩ஜआज का पंचांग,20 दिसम्बर 2020,रविवार,❖▩ஜ

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❖▩ஜआज का पंचांग,20 दिसम्बर 2020,रविवार,❖▩ஜ

🌞🛕 *जय रामजी की*🛕🌞 

 🏹 *जय माँ जगदम्ब भवानी*🏹

       *🐀🐘जय श्री गणेश🐘🐀*
       ▩ஜआज का पंचांग ۩۞۩ஜ

20 दिसम्बर 2020, रविवार, विक्रमी सम्वत 2077, शाका 1942, मार्गशीर्ष मास, कृष्ण पक्ष, मार्गशीर्ष मास की प्रविष्टा , दक्षिणायन, दक्षिणगोल, हेमन्त ऋतु,  तिथि षष्ठी 02:52 दोपहर  तक तदन्तर सप्तमी, शतमिषा 09:01 सायं तक तदन्तर पूर्व भाद्रपद,  सूर्यउदय 6:51 प्रातः, सूर्यास्त 5:20 सायं , राहुकाल  04:02से 05:21 सायं तक। चम्पा षष्ठी।

 🌞 🛕 *राशिफल*🛕🌞 

🐏 *मेष (Aries):*मित्रों की सहायता प्राप्त हो सकती है। परिवार से कोई लाभ प्राप्त हो सकता है। नये कारोबारी अनुबन्ध हो सकते हैं। परिवार के साथ आनन्दित समय व्यतीत करेंगे। ऐश्वर्य के साधनों पर धन खर्च होगा। प्रतियोगी परीक्षा में सफलता मिल सकती है।

🐂 *वृषभ (Tauras):*आज आप काफी व्यस्त रहने वाले हैं। दूसरों की भावनाओं का सम्मान करें। शैक्षणिक क्षेत्र में प्रगति होने के योग बन रहे हैं। बॉस के साथ आपके सम्बन्ध मधुर रहेंगे। पराक्रम और प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। सम्पत्ति खरीदने का निर्णय कर सकते हैं।

👭 *मिथुन (Gemini):*आलस्य और प्रमाद से दूर रहें। ऑफिस के कार्यों में आपको परेशानी होगी। काल्पनिक विचारों में खोये रहेंगे। निवेश के मामले में दिन शुभ नहीं है। कानूनी पचड़े से दूर रहें। पिता से नोंक-झोंक हो सकती है।

🦀 *कर्क (Cancer):*भविष्य को लेकर आशान्वित रहेंगे। साथियों के साथ मनमुटाव होगा। आज का दिन काफी संवेदनशील होगा। जीवनसाथी आप पर नाराज हो सकता है। फालतू बातों पर ध्यान न दें। यदि स्वास्थ्य सम्बन्धी कोई समस्या है तो लापरवाही न करें।

🦁 *सिंह (Leo):*व्यापार में नये समझौते कर सकते हैं। नये वस्त्र और आभूषण पर धन खर्च करेंगे। शेयर मार्केट और म्यूचुअल फण्ड आदि से लाभ प्राप्त हो सकता है। टीमवर्क की तरह काम करने से कठिन लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं। दाम्पत्य जीवन का तनाव दूर होगा। मन में दबी हुई कोई इच्छा पूरी हो सकती है।

👧🏻 *कन्या (Virgo):*आज आपके कार्यों को लेकर दूसरों पर काफी निर्भर रहेंगे। अपनी क्षमताओं से अधिक काम न करें। नया व्यापार शुरू करने के वित्तीय लोन के लिये कार्यवाही कर सकते हैं। आज कोई योजना बनायेंगे। भावुक होकर निर्णय न लें। आय के स्रोत बढ़ेंगे।

⚖ *तुला (Libra):*आपको बहुत सारी जिम्मेदारियाँ एक साथ निभानी पड़ सकती है। व्यापार में आपको जोखिम नहीं उठाना चाहिये। आप काफी शॉपिंग कर सकते हैं। गलत लोगों की संगत से दूर रहें। पारिवारिक कार्यों से दौड़भाग करनी पड़ेगी। शोध कार्यों में रुचि लेंगे।

🦂 *वृश्चिक (Scorpio):*घर में कोई कार्य करते समय चोट लग सकती है। स्वादिष्ट व्यञ्जनों का लाभ उठायेंगे। विवाह को लेकर जल्दबाज़ी न करें। पेट और सीने में जलन के कारण समस्या हो सकती है। रमन में कन्फ़्यूजन की स्थिति रहेगी।

🏹 *धनु (Sagittarius):*मीडिया और संचार माध्यमों से जुड़े लोगों को उच्च पद प्राप्त हो सकता है। आप अपने कार्यों की गुणवत्ता बढ़ाने का प्रयास करेंगे। आपकी जीवनशैली व्यवस्थित और अनुशासित रहेगी। आपके मन में नये और रचनात्मक विचार आयेंगे जो आपके करियर के लिये काफी सहायक होंगे। बिजनेस पार्टनर्स से आप काफी प्रसन्न रहेंगे।

🐊 *मकर (Capricorn):*लवमेट्स के प्रति अपनी भावना शुद्ध रखें। ऐसा कोई भी कार्य न करें जिससे किसी को दुख पहुँचें। परिवार में कुछ अप्रसन्नता रहेगी। आपके पास नयी जिम्मेदारियाँ आ सकती हैं। दूसरों को दिखाने के लिये खर्च ज्यादा कर सकते हैं।

⚱ *कुंभ (Aquarius)कार्यक्षेत्र में कुछ नये प्रयोग कर सकते हैं। परिस्थितियों पर आपका पूरा नियन्त्रण रहेगा। मेहनत का शुभ परिणाम प्राप्त होगा। आज मंहगा वाहन खरीदने का विचार बना सकते हैं। सरकारी कार्यों में लाभ प्राप्त होगा। हास्य-विनोद में समय बीतेगा।

🧜‍♀ *मीन (Pisces):*मांसपेशियों और हड्डियों में दर्द की शिकायत हो सकती है। मेहनत का उचित लाभ प्राप्त नहीं होगा। कार्य पर पूरा ध्यान नहीं दे पायेंगे। धर्म-कर्म के प्रति रूझान कम होगा। पुराना कर्ज आज चुकाने का दबाव रहेगा। यात्रा के दौरान परेशानी ज्यादा हो सकती है। इसीलिये आज आपको यात्रा नहीं करनी चाहिये।

*💥🌺🚩आपका दिन शुभ हो 🚩🌺💥*

     पंडित आशीष त्रिपाठी ज्योतिषाचार्य 

    *🎊🎉🎁 आज जिनका जन्मदिवस या विवाह वर्षगांठ हैं उन सभी मित्रो को कोटिशः शुभकामनायें🎁🎊🎉*
※══❖═══▩ஜ ۩۞۩ ஜ▩═══❖══※
       *😍आपका दिन शुभ हो😍*
     *🚩जयतु जयतु हिन्दुराष्ट्रम🚩*

Posted By KanpurpatrikaFriday, December 18, 2020

चिकित्सा खण्ड : - विशेष रोगों के योग : - शुगर

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चिकित्सा खण्ड : - विशेष रोगों के योग : - शुगर : -
 यदि शुक्र तथा चन्द्रमा जन्म कुंडली में द्वादश लग्न द्वितीय भाव अथवा छठे सातवे व आठवे भाव में स्थित हो तो शर्करा रोग होता है । इसके अतिरिक्त यदि गुरु की दोनों रशिया पीड़ित हो जाए तो शर्करा रोग अवश्य होता है । 
उपाय : - शुक्रवार को शुक्र की होरा में शर्करा कुम्भ दान शर्करा सात किलो / तुला दान अपने वजन के बराबर चावल व तराजू। क्रीम कलर के रेशमी वस्त्र और 365 रूपये का दान शुक्र की होरा में करे | औषधि गुलर के मुलायम पत्ते कोपल 7 की संख्या में भोजन से पहले चबाकर खाए।  पत्ती पत्ती खाते समय हो शुक्राय नमः काा मंत्र भी बोलते जाएं यह प्रक्रिया 1 वर्ष तक करते रहें

 गुनगुने जल से सेवन करे व सेवन करते समय ॐ धन्वंतरये नमः का मन्त्र भी बोलते जावे । एसिडिटी : - जब शनि गृह की स्थित कुंडली में दुसरे चौथे सातवे व 10 वे भाव में हो या द्रष्टि पद रही हो तो एसिडिटी होने के लक्षण होते है । उपाय : - काचा प्याज संरक्षित खाद्य पदार्थ बसी भोजन उड़द पापड़ मुली का सेवन न करे । कोलैटिस संग्रहणी : - जब राहु ग्रह की स्थित कुंडली में लग्न चौथे छठे आठवे नवे भाव में हो या द्रष्टि पड़ रही हो तो कोलैंटिस संग्रहणी -11 -Mouth

Posted By KanpurpatrikaFriday, December 18, 2020