Friday, January 3, 2014

खजाने की खोज में हम

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खजाने की खोज में हम !

आज के समय में प्रतेक व्यक्ति चाहे वो पैसे वाला हो या गरीब सभी परेशां है दुखी है क्यों, क्योंकि उनके जीवन में सब कुछ तो मिल रहा है लेकिन खुशिया नहीं मिल रही है / खुशिया तो खरीदी भी नहीं जा सकती है / न ही कोई खुशियों का भंडारा कर रहा है न ही कोई खुशियों का दान कर कर रहा है जो लाइन में खडे होकर हम खुशिया पा लेंगे / सभी भाग रहे है रणभूमि में जिस रणभूमि में सभी का लक्ष्य उस खजाने को पाने का है जिसके लिए सभी लड़ रहे है उस खजाने के लिए / कह भी रहे है सभी कि उस खजाने को पाने के बाद जीवन तृप्त हो जायेगा / लेकिन रन भूमि में उस खजाने को पाने के बाद भी सभी अतृप्त नज़र आ रहे है / जिसको खजाना मिल गया वो भी अतृप्त  है और जिसको नहीं मिला वो भी अतृप्त है / क्यों खजाना मिलने के बाद तो सब ठीक हो जाना चाहिए था लेकिन फिर भी हम वही कि वाही  ही खड़े है क्यों / क्योंकि खजाना तो खाली था जिस खजाने को हम देख रहे थे और जिसको लड़ कर हासिल किया वास्तव में वो खजाना मिलने के बाद तो हमे मालूम पड़ा कि वो खजाना तो कम था, पूरा खजाना तो हमे मिला ही नहीं / पूरा खजाना जिसमे धन हो, सम्मान हो, पद हो, ख़ुशी हो, लेकिन हमे तो एसा या ये सब तो मिला ही नहीं इनमे से कुछ ही तो मिल पाया अर्थात इतना लडने और दौडने के बाद भी हम हार गए जो चाहिए था वो तो मिला ही नहीं जिसके लिए दौड़ रहे थे, जिसको दूर से देखा वो तो ये था ही नहीं आखिर वो खजाना है कहा ?
उस पूरे खजाने कि तलाश तो वर्षो से चल रही है और हम सभी खोज रहे है दूर से देखने में तो वो पूरा ही लगता है लेकिन जैसे जैसे उसके पास जाते जाते है वो कम होता जाता है या उस खजाने से कुछ चीजे हमेशा कम हो जाती है / ऐसे खजाने कि खोज हमेशा होती रहेगी / एक ऐसा खजाना जो परिपूर्ण हो / वो परिपूर्ण खजाना कैसे प्राप्त होगा आखिर पूरे खजाने कि खोज कब समाप्त होगी क्या वो जमीन  के नीचे गडा है या असमान के ऊपर है वो कहा है जो वास्तव में परिपूर्ण है ?
परिपूर्ण खजाना तभी प्राप्त होता है जब हम खुशिया बाटे ख़ुशी तब बाट सकते है जब हम खुश हो क्या दान तभी दिया जा सकता है जब पैसे हो, क्या भंडारा तभी किया जा सकता है जब अनाज हो ,नहीं ऐसा नहीं है पैसा हो तभी दान देना चाहिए या तभी भंडारा करवाना चाहिए जब अनाज हो ये तो हम सोच रहे है कि हमारे पास कुछ नहीं है लेकिन मन होता है ऐसा भी करने का लेकिन ईश्वर ने हमे इतना नहीं दिया कि हम ये सब कर सके लेकिन क्या जो दिया, वो कर पा रहे है नहीं फिर देने के बाद क्या पता आप न करे ?
लेकिन कुछ न होने के बाद भी तो दान और भंडारा किया जा सकता है  भंडारा खुशियों का और दान शिक्षा का श्रम का दान अच्छे संस्कारो का, तो कर सकते है जो ईश्वर ने हमे दिया है लेकिन हम नहीं कर रहे है और जो नहीं है उसकी इच्छा कर रहे और वो आने के बाद फिर वही ईश्वर ने हमे ये नहीं दिया, दिया होता तो करता / ऐसे भंडारे और दान करने से ख़ुशी मिलती है ,वो ख़ुशी किसी खजाने से कम नहीं होती है इसके बाद आपका सम्मान बढेगा आपको कोई ख़राब नहीं कहेगा आपका समाज में पद होगा जो एक परिपूर्ण खजाना है / लोगो के देखने और सोचने का नजरिया बदल जायेगा / इन सब से जो ख़ुशी मिलेगी वो पैसे होने के पहले और पैसे होंने के बाद भी नहीं मिलेगी /
हमारे जीवन का लक्ष्य दान का हो कि हमे रोजाना दान करना है संस्कारो का शिक्षा का ,श्रम का और बाटनी है ढेर सारी खुशिया / आपके द्वारा किये गए ये कार्य और बाटी गई ये खुशिया आपके पास 10 गुनी रफ़्तार से और 100 गुना ज्यादा हो कर वापस आती हुई दिखाई देंगी / और आपको उड़ा के ले जाएँगी अपने साथ उस खजाने के पास जो खजाना आप बचपन में माँ कि गोद से लेकर माटी पर घुटने चलते हुए कर्म प्रधान बन कर दौडते ही उस रणभूमि मे लडते हुए ही खोज रहे थे / ये खजाना आपको जमीं के अन्दर खुदाई करने से नहीं मिलेगा / जमीं से ऊपर  और आकाश के नीचे सूर्य के उजाले में और चाँद कि दुधिया रौशनी में नहाता हुआ गंगा जल सा ठंडा और पवित्र मन और तन के साथ दिमाग को उड़ा कर ऐसे स्थान पर ले जाता है जहा आपके सामने सभी छोटे नज़र आते है, लेकिन इसके बाद भी सब आपको प्यार करते है और आप सब को प्यार करते है और आप खुश है आपके अन्दर घ्रणा ईर्ष्या घमंड कुछ भी नहीं होता है यहाँ तक कि आपके पास पैसा हो या न हो कोई फर्क नहीं पड़ता है / लेकिन ये खजाना जो मिला है इसे कोई लूट न ले, ये बढता जाए और बढता जाय / वास्तव में ये जो खजाना मिला है ये कोई ले ही न पायेगा क्योंकि मैं खुद जितना खजाना बाटता जा रहा हु लुटा रहा हु ये ईश्वर उससे 100 गुना तेज़ी से और 1000 गुना ज्यादा वापस दे कर फिर से मुझे उड़ा  कर ले जा रहा है, मैं रो रहा हु मैं हस रहा हु मैं नाच रहा हु मैं मैं कहा हु  मैं जानना नहीं चाहता हु लेकिन शायद मैं उस ईश्वर के पास हु ये ही तो वो खजाना है जो खोजा जा रहा है लेकिन मिल नहीं रहा है मैं ये खजाना पा चूका हु और सबको दोनों हाथो से लुटा रहा हु खुशियों से नाच रहा हु रो रहा हु भाग रहा हु इधर उधर बाटता जा रहा हु फिर भी ये क्या ईश्वर मेरे ईश्वर हम सब के ईश्वर बता दे सबको कि मत दौड़ो इस दुनिया कि अंधी भीड़ में मत लड़ो सम्मान के लिए मत लड़ो भगवान के लिए मत लड़ो पैसो के लिए मस्त हो कर खुश हो कर खजाना बाटो क्योंकि खजाना जमीं के अन्दर खुदाई करने से सपने में आने से नहीं मिलता /
आज का इन्सान दिमागी रूप से बहूत ही अच्छा है इतना अच्छा कि बेहतर दिमाग के साथ तकनिकी का साथ हम पहले से ज्यादा सक्षम भी है / नए से नए  तकनिकी खोज रहे है हम नए नए अविष्कार कर रहे है चाँद से लेकर मंगल तक जाने कि बातो को सच कर रहे है हमारे पूर्वजो ने जो बाते हवा में या यु ही कह दी थी उन्हे हम सच्चाई के धरातल पर ले कर आ चुके है उनका देखा गया सपना सच कर के दिखा रहे है / आज क्या संभव नहीं है सभी सब कुछ लेकिन फिर भी तकनिकी रूप से इतना सुद्रण होने के बाद भी क्या अभी तक हम एक परिपूर्ण चारित्रिक और एक अच्छा इन्सान बना सके है नहीं क्यों ,क्या इतनी तकनिकी विकसित करने के बाद भी इतनी अविष्कारों के बाद भी हम लोगो के अन्दर से गन्दगी और बुरइयो को मिटा सके है नहीं ? उन सिसकियों को खुशियों में बदलने वाली मशीन बना पाय है जो बेआबरू कर दी गई है उस इन्सान को सही कर पायेंगे जिसने जिंदगी को बर्बाद कर दिया है नहीं ,क्या आज तक हम एक अच्छी सोच विकसित कर पाय है क्यों नहीं कर पाय है क्योंकि हम अभी भी उस झूठे खजाने कि दौड़ में दौड़ रहे है अंधे बन कर सब जानते हुए भी अनजान बन जाते है सब पता है हमे लेकिन अज्ञानता कि चादर ओड़ कर निकल पड़ते है / अपने दिमाग में ये घर कर बैठे है कि पैसा ही सब कुछ है हमारा शरीर हमारा जीवन किसके लिए है क्या पैसे के लिए है फिर शरीर के साथ पैसा और खुद शरीर इस धरती में क्यों रह जाता है सब माटी में क्यों मिल जाता है / जिन चीजों को  हम छु सकते है वो हमारे साथ नहीं रह जाती है और जिन चीजों को हम छु नहीं सकते, महसूस कर सकते है वो हमारे साथ हमेशा रहती है जिंदगी के साथ भी और जिन्दगी न होने के बाद भी खजाना जो ईश्वर हमे देता है खोज जो ईश्वर तक ले जाती है वो ज्ञान जो अध्यात्मिक है वो तकनिकी जो अच्छे  दिमाग विकसित कर सके वो अविष्कार जो अच्छे और बुरे चरित्र को खोज सके / किसी के साथ बुरा न हो कोई बेआबरू न हो चारो और खुशिया हो चारो और लोग उस खुशियों के खजाने को लूट रहे हो आपस में बाट  रहे हो प्यार खुशिया , सोचिये क्या नजारा होगा जब सब ओर खुशिया ही खुशिया होंगी किसी चेहरे पर परेशानी न हो सब मुस्करा रहे हो सुबह से लेकर शाम तक सब मुस्करा रहे  हो और सोते समय भी हसते रहे, उठे भी तो मुस्कराते हुए / चारो और खुशिया ही खुशिया कोई  समस्या नहो कोई परेशानी न हो / सब लोग लूट लो उस खजाने जो लूटा जा रहा है सालो से लेकिन कोई लूट न पाया /




आओ खोजे ऐसा खजाना लूट जाये, तो भी बढता जाये,
जिसके लिए कोई लडे, न मरे, न डरे,
बस लूटे और लुटाये, खजाना फिर भी बढता जाये,
खुशिया हो, त्याग हो, प्यार हो, सम्मान हो,
न हो ईर्ष्या, न हो घ्रणा, न हो बुराई,
हो ऐसी तकनिकी जिससे अच्छा इन्सान बन जाये,
आओ खोजे ऐसा खजाना जहा ईश्वर और इन्सान मिल जाये /
आओ खोजे ऐसा खजाना लूट जाये, तो भी बढता जाये,
ये लेख ईश्वर और इन्सान पत्रिका से लिया गया है जिसके सर्वेअधिकार सुरक्षित है /  
Written By :- 
Pandit Aasheesh Tripathi
 Jyotish Aacharya

Posted By KanpurpatrikaFriday, January 03, 2014