Sunday, September 5, 2010

दोस्ती एक एहसास

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दोस्ती एक एहसास
दोस्ती क्या है ? ये सिर्फ दो सच्चे दोस्त ही समझ सकते है ! दोस्ती की भावना में त्याग प्रेम व समर्पण निहित होता है और इर्ष्य भाव का कही नामोनिशान नहीं होता है / दोस्ती में एहसास की ऐसी डोर है जो दोस्त के दूर जाने पर भी सदाव उसके सुख दुःख का आभाव कराती है शयद यह्जएहसास की डोर सिमरन और अलान्क्रता के बीच थी / जो उनेहे एक दुसरे के सुख दुःख का एहसास कराती है थी / न जाने किसकी नज़र लगी की बचपन की दोस्ती और दोस्त दोनों बिछड़ गय और शायद .............
सिमरन .... सिमरन .... माँ ने आवाज़ दी लेकिन कोई उत्तर न पाकर माँ सिमरन के कमरे में गई तो सिमरन तो सिमरन ने अश्रुपूर्ण नेत्रों से माँ की और देखा / माँ के पूछने पर सिमरण अचानक रो पड़ी /
सिमरन तू कब तक अलान्क्रता की यादो में डूबी रहेगी / भूल जका उसे जिस्नयूय अपने माँ बाप परिवार की इज्ज़त धुल में मिला दी / नहीं माँ मैन बचपन की दोस्ती को कैसे भुला दू / मैन एक बार उससे मिलकर जानना छाती हु की आखिर उसकी ऐसी क्या मज़बूरी थी जो उसे ये लदं उठाना पड़ा /
एसा लगता है जसे कल की ही बात है जब सिमरन पहले दिन ही स्कूल गई सुएय सभी अपर्चितो के बीच केवल एक चेरा परिचित सा लगा हा वहा अल्कंक्रता थी / दोनों का परिचय एक गहरी दोस्ती में कब बदल गया कुछ पता ही नहीं चला / सिमरन और अल्न्क्रता के बीच कुछ भी तो नहीं चिपटा था अपने दिल की हर बात तो वे एक दुसरे से बयां करती थी / खेल खेल में कैसे बचपन बीत गया कुछ पता ही नहीं चला /
सिमरन अपने सपने में भी नहीं सोच सालती थी की अल्न्क्रता उससे इतनी बड़ी बात छुपा सकती है लेकिन इससे अल्न्क्रता की कोई गलती नहीं थी उसने तो अपने दिल की बात सिमरन से बातो बातो में बतानी चाय थी लेकिन शयद ध्यान ही नहीं दिया उसने .......
सिमरन को वो फ्रेंडशिप डे का दिन आज भी यद् है जब अल्न्क्रता छुटियो में उसके घर आई थी और सिम्रेँ अल्न्क्रता कोम्देक्तेय ही बहुत खुश हुई थी अरे / अल्न्क्रता तुम हस्तल से कब आई ! इस तरह दोनों अपनी अपनी बैटन में खो गई /
सिमरन तुम्हारा कोई दोस्त है ?
हा तू है न !
नहिओ मैन नहीं मेरा मतलब है किसी खास बॉय फ्रेंड से है /
नहीं यार मुझे इन सब में कोई दिलचस्पी नहीं है
क्यों कही तुम ?
हा सिमरन है कोई जिससे बात करना मुझे बहुत अच्छा लगता है और जिस दिन मेरी उससे बात नहीं होती है नेरा मन नहीं मानता है आजीब सा लगता है ....
कौन है वो ?
मेरे घर के पास ही उसका घर है /
सिमरन और अलान्क्रता की बातो में कब शाम हो गई पता हजी नहीं चला और अल्न्क्रता vapas chali गई /fir दोनों की मुलाकात नहीं हो पाई /
एक दिन अचानक सिमरन को पता चला की अल्न्करता ने शादी कर ली है और वो भी उसी के साथ जिसके बारे में उसने सिमरन को बताना च था सिमरन को तब ये नहीं पता चला था की वो उसके बारे में इतनी गंभीर है की बात शादी तक पुच जाएगी ?
इस शादी से अल्न्क्रता के घरवालो ने अपना घर छोड़ दिया और दुसरे शहर चले गई लेकिन अल्न्क्रता ने वाही से अपने हमसफ़र के साथ जिंदगी का एक नया सफ़र शुरू किया /
अल्न्क्रता के सफ़र में उसका हमसफ़र तो साथ था लेकिन किसी मोड़ पर वो अपनी सिमरन को तनहा छोड़ आई थी /जो हमेशा ही अल्न्क्रता की खुशियों के लिए दुआ कर रही थी /आज भी सिमरन सोचती है की अल्न्क्रता जैसी समझदार लड़की ने एसा क्यों किया ? उसने अपनी खुशियों के लिए अपने सपनो को पूरा करने के लिए अपने परिवार का दिल भी दुखाया .....
अलान्क्रता तो अपनी खुशियों में खुश है लेकिन वो खुशी सिर्फ एक दिखावा है एसा बंधन उसने नासमझी में बंधा है जिसे वहा बोझ समझ के धो रही है एक ही शहर में रहते हुए सिमरन और अल्न्क्रता बहुत दूर हो घी है लेकिन सिमरन के दिल में आज भी अल्न्क्रता की यदी उसकी बाते उसके साथ बिताया हर लम्हा मौजूद है /सिमरन एक तरफ तो अल्न्क्रता की इस नासमझी पर नाराज है वाही दूसरी और वो उसकी खुशियों की कामना भी करती है /ये सच्ची दोस्ती नहीं तो क्या है ?सिमरन के दिल में आज भी अल्न्क्रता की दोस्ती कायम है /
सिमरन ने अब फैसला कर लिया है की वो अल्न्क्रता से जरुर मिलेगी / क्योंकि सच्ची दोस्ती का अर्थ सुख दुःख दोनों में ही अपने दोस्त का साथ देना , उसका सुख दुःख बताना होता है /क्योंकि सच्चे दोस्त बहुत मुस्किल से मिलते है /

आगे आप पढेंगे ........

* क्या सिमरन अल्न्क्रता से मिल पायेगी ?
* क्या अल्न्क्रता को भी सिमरन की सच्ची दोस्ती का एहसास है ?
* क्या अल्न्क्रता अपने हमसफ़र के साथ खुश है ?
* क्या उसे अपनी गलती का अब अफसोश है या नहीं /?
* क्या अल्न्क्रता को अपने घर वालो की याद आती है ?

Posted By KanpurpatrikaSunday, September 05, 2010