Sunday, March 27, 2022

समान गोत्र एक_गोत्र_में_शादी_क्यों_वर्जित_है

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समान गोत्र 

एक_गोत्र_में_शादी_क्यों_वर्जित_है

पिता का गोत्र पुत्री को प्राप्त नही होता। अब एक बात ध्यान दें की स्त्री में गुणसूत्र xx होते है और पुरुष में xy होते है। इनकी सन्तति में माना की पुत्र हुआ (xy गुणसूत्र). इस पुत्र में y गुणसूत्र पिता से ही आया यह तो निश्चित ही है क्यू की माता में तो y गुणसूत्र होता ही नही !
और यदि पुत्री हुई तो (xx गुणसूत्र). यह गुण सूत्र पुत्री में माता व् पिता दोनों से आते है। 

१. xx गुणसूत्र ;- xx गुणसूत्र अर्थात पुत्री . xx गुणसूत्र के जोड़े में एक x गुणसूत्र पिता से तथा दूसरा x गुणसूत्र माता से आता है . तथा इन दोनों गुणसूत्रों का संयोग एक गांठ सी रचना बना लेता है जिसे Crossover कहा जाता है। 

२. xy गुणसूत्र ;- xy गुणसूत्र अर्थात पुत्र . पुत्र में y गुणसूत्र केवल पिता से ही आना संभव है क्यू की माता में y गुणसूत्र है ही नही । और दोनों गुणसूत्र असमान होने के कारन पूर्ण Crossover नही होता केवल ५ % तक ही होता है । और ९ ५ % y गुणसूत्र ज्यों का त्यों (intact) ही रहता है। 

तो महत्त्वपूर्ण y गुणसूत्र हुआ । क्यू की y गुणसूत्र के विषय में हम निश्चिंत है की यह पुत्र में केवल पिता से ही आया है। बस इसी y गुणसूत्र का पता लगाना ही गौत्र प्रणाली का एकमात्र उदेश्य है जो हजारों/लाखों वर्षों पूर्व हमारे ऋषियों ने जान लिया था। 

वैदिक गोत्र प्रणाली और y गुणसूत्र । Y Chromosome and the Vedic Gotra System
अब तक हम यह समझ चुके है की वैदिक गोत्र प्रणाली य गुणसूत्र पर आधारित है अथवा y गुणसूत्र को ट्रेस करने का एक माध्यम है। 

उदहारण के लिए यदि किसी व्यक्ति का गोत्र कश्यप है तो उस व्यक्ति में विधमान y गुणसूत्र कश्यप ऋषि से आया है या कश्यप ऋषि उस y गुणसूत्र के मूल है
। चूँकि y गुणसूत्र स्त्रियों में नही होता यही कारन है की विवाह के पश्चात स्त्रियों को उसके पति के गोत्र से जोड़ दिया जाता है। 

वैदिक/ हिन्दू संस्कृति में एक ही गोत्र में विवाह वर्जित होने का मुख्य कारन यह है की एक ही गोत्र से होने के कारन वह पुरुष व् स्त्री भाई बहिन कहलाये क्यू की उनका पूर्वज एक ही है। परन्तु ये थोड़ी अजीब बात नही? की जिन स्त्री व् पुरुष ने एक दुसरे को कभी देखा तक नही और दोनों अलग अलग देशों में परन्तु एक ही गोत्र में जन्मे , तो वे भाई बहिन हो गये?? 

इसका एक मुख्य कारन एक ही गोत्र होने के कारन गुणसूत्रों में समानता का भी है । आज की आनुवंशिक विज्ञान के अनुसार यदि सामान गुणसूत्रों वाले दो व्यक्तियों में विवाह हो तो उनकी सन्तति आनुवंशिक विकारों का साथ उत्पन्न होगी। 

ऐसे दंपत्तियों की संतान में एक सी विचारधारा, पसंद, व्यवहार आदि में कोई नयापन नहीं होता। ऐसे बच्चों में रचनात्मकता का अभाव होता है। विज्ञान द्वारा भी इस संबंध में यही बात कही गई है कि सगौत्र शादी करने पर अधिकांश ऐसे दंपत्ति की संतानों में अनुवांशिक दोष अर्थात् मानसिक विकलांगता, अपंगता, गंभीर रोग आदि जन्मजात ही पाए जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार इन्हीं कारणों से सगौत्र विवाह पर प्रतिबंध लगाया था।
इस गोत्र का संवहन यानी उत्तराधिकार पुत्री को एक पिता प्रेषित न कर सके, इसलिये विवाह से पहले #कन्यादान कराया जाता है और गोत्र मुक्त कन्या का पाणिग्रहण कर भावी वर अपने कुल गोत्र में उस कन्या को स्थान देता है, यही कारण था कि विधवा विवाह भी स्वीकार्य नहीं था। क्योंकि, कुल गोत्र प्रदान करने वाला पति तो मृत्यु को प्राप्त कर चुका है।

इसीलिये, कुंडली मिलान के समय वैधव्य पर खास ध्यान दिया जाता और मांगलिक कन्या होने से ज्यादा सावधानी बरती जाती है। आत्मज़् या आत्मजा का सन्धिविच्छेद तो कीजिये।
आत्म+ज या आत्म+जा।  आत्म=मैं, ज या जा =जन्मा या जन्मी। यानी जो मैं ही जन्मा या जन्मी हूँ।
यदि पुत्र है तो 95% पिता और 5% माता का सम्मिलन है। यदि पुत्री है तो 50% पिता और 50% माता का सम्मिलन है। फिर यदि पुत्री की पुत्री हुई तो वह डीएनए 50% का 50% रह जायेगा, फिर यदि उसके भी पुत्री हुई तो उस 25% का 50% डीएनए रह जायेगा, इस तरह से सातवीं पीढ़ी मेंपुत्री जन्म में यह % घटकर 1% रह जायेगा।

अर्थात, एक पति-पत्नी का ही डीएनए सातवीं पीढ़ी तक पुनः पुनः जन्म लेता रहता है, और यही है सात जन्मों का साथ। लेकिन, जब पुत्र होता है तो पुत्र का गुणसूत्र पिता के गुणसूत्रों का 95% गुणों को अनुवांशिकी में ग्रहण करता है और माता का 5% (जो कि किन्हीं परिस्थितियों में एक % से कम भी हो सकता है) डीएनए ग्रहण करता है, और यही क्रम अनवरत चलता रहता है, जिस कारण पति और पत्नी के गुणों युक्त डीएनए बारम्बार जन्म लेते रहते हैं, अर्थात यह जन्म जन्मांतर का साथ हो जाता है।
इसीलिये, अपने ही अंश को पित्तर जन्मों जन्म तक आशीर्वाद देते रहते हैं और हम भी अमूर्त रूप से उनके प्रति श्रधेय भाव रखते हुए आशीर्वाद आशीर्वाद ग्रहण करते रहते हैं, और यही सोच हमें जन्मों तक स्वार्थी होने से बचाती है, और सन्तानों की उन्नति के लिये समर्पित होने का सम्बल देती है।

एक बात और, माता पिता यदि कन्यादान करते हैं, तो इसका यह अर्थ कदापि नहीं है कि वे कन्या को कोई वस्तु समकक्ष समझते हैं, बल्कि इस दान का विधान इस निमित किया गया है कि दूसरे कुल की कुलवधू बनने के लिये और उस कुल की कुल धात्री बनने के लिये, उसे गोत्र मुक्त होना चाहिये। डीएनए मुक्त हो नहीं सकती क्योंकि भौतिक शरीर में वे डीएनए रहेंगे ही, इसलिये मायका अर्थात माता का रिश्ता बना रहता है, गोत्र यानी पिता के गोत्र का त्याग किया जाता है। तभी वह भावी वर को यह वचन दे पाती है कि उसके कुल की मर्यादा का पालन करेगी यानी उसके गोत्र और डीएनए को करप्ट नहीं करेगी, वर्णसंकर नहीं करेगी, क्योंकि कन्या विवाह के बाद कुल वंश के लिये #रज् का रजदान करती है और मातृत्व को प्राप्त करती है। यही कारण है कि हर विवाहित स्त्री माता समान पूज्यनीय हो जाती है।
यह रजदान भी कन्यादान की तरह उत्तम दान है जो पति को किया जाता है।

यह सुचिता अन्य किसी सभ्यता में दृश्य ही नहीं है।

Posted By KanpurpatrikaSunday, March 27, 2022

Thursday, March 10, 2022

मोदी योगी लहर अभी भी जारी

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पांच राज्यों में ईवीएम के खुलने के बाद जिस तरह से रुझान आने शुरू हुए उससे भारतीय जनता पार्टी को चार राज्य में  सरकार बनना तय माना जाने लगा था उससे स्पष्ट हो गया था कि कहीं ना कहीं इस बार भी तमाम विरोध के बावजूद मतदाताओं में मोदी लहर रही सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में भी भाजपा की सरकार फिर से बन गई है इससे स्पष्ट हो गया है कि लखीमपुर खीरी में किसान आंदोलन की हिंसा की नाराजगी पूरे प्रदेश के किसानों में भाजपा के खिलाफ इस जनादेश में देखने को नहीं मिली महंगाई का मुद्दा भी इस बार भाजपा के खिलाफ कोई भी दल जुटा नहीं पाया बल्कि या यूं कहें कि समाजवादी पार्टी ने लड़ाई तो उत्तर प्रदेश में की  किंतु जहां तक बात है जो वास्तविकता है उसमें प्रधानमंत्री मोदी योगी और उनकी स्टार प्रचारक टीम के आरोपों का एक से एक बढ़कर जवाब देने में ही अखिलेश उलझे रहे जनता के मूल  महंगाई मूल अधिकारों को किसी दल को महत्व ही नहीं दिया इसका परिणाम यह रहा कि भाजपा जो चाहती थी सपा मुखिया या समूचा विपक्ष उसी में काम करता रहा जिसका भाजपा को फायदा मिला  जहां तक इस बार की बात है तो यह चुनाव भाजपा ने जमीनी स्तर पर ही लड़ा जिसमें उसको घर घर सदस्य बनाने का पैटर्न बहुत तेजी से काम किया ऐसी सूरत में जब समर्थकों की बात है तो यह तय है कि जब भाजपा के समर्थक ज्यादा होंगे तो 55 से 60 फ़ीसदी मतदान में जीतना स्वाभाविक है जहां तक पंजाब की बात है तो जहां से कांग्रेस को बड़ी उम्मीद थी वहां भी कांग्रेस पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को किसान आंदोलन में पक्षधर बने रहने का फायदा नहीं मिल सका जिसमें स्पष्ट हो गया है कि वहां की जनता ने कांग्रेस को हटाकर आम आदमी पार्टी की सरकार को बेहतर समझा जिसमें यहां के मतदाताओं ने किसान आंदोलन की अपनी नाराजगी भाजपा से निकाल कर उन्हें यहां खड़े नहीं होने दिया |

Posted By KanpurpatrikaThursday, March 10, 2022

Monday, March 7, 2022

संभव नहीं दिखता युद्ध विराम

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तीसरे दौर की बातचीत के पूर्व जिस तरह से रूस और यूक्रेन के बीच एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं उससे यह तय हो गया है कि इस शांति समझौते की टेबल में 11 दिन बाद भी कोई निष्कर्ष निकलता नहीं दिख रहा है जिससे युद्ध विराम की स्थिति हाल फिलहाल तो नहीं दिख रही है बल्कि इस बात का सबसे बड़ा डर है कि अगर यह वार्ता विफल होती है तो उत्तेजना में रूस हमले और तेज कर सकता है विदित हो कि 11 दिन में सबसे ज्यादा नुकसान यूक्रेन के शहर ओडिशा खानकिव  विनित्सिया का हुआ है इन्हीं ने सबसे ज्यादा आक्रमण झेले हैं हालांकि यूक्रेन की राजधानी कीव पर भी हमले तेज़ है जहां तक यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की ने रूस पर आरोप लगाया है कि रूसी सेना लगातार उनके ऊर्जा संयंत्रों पर कब्जे की कोशिश में लगा है जिससे रूस में दो यूक्रेनी परमाणु सयंत्रो पर कब्जा भी कर लिया है तथा वह लगातार तीसरे पर कब्जे की ओर बढ़ रहा है जबकि रूस का आरोप है कि यूक्रेन राष्ट्रपति ने न्यूक्लियर बम बनाने की ओर से जोर शोर से तैयारी करवा रहे हैं इस तरह के तीसरे वार्ता के पूर्व जिस तरह से आरोप-प्रत्यारोप चल रहा है उससे यह बात तो स्पष्ट है कि युद्धविराम के लिए दोनों देशों की बातचीत में रूस तो झुकने वाला नहीं है क्योंकि वह यूक्रेन पर हावी है वह अपनी हर शर्त को यूक्रेन पर थोपेगा ऐसी सूरत में यूक्रेन जैसा छोटा देश यह भली बात जानता है कि रूस से लड़ने की हैसियत में नहीं है किंतु युद्धविराम की समझौते की टेबल में वह भी चाहेगा कि रूस उसके सामने ऐसी बात रखें उसका भी सम्मान बना रहे कहने का आशय यह है कि उसकी भी सुनी जाए क्योंकि उसका नुकसान जो होना था वह हो चुका है लिहाजा नहीं लगता है कि यूक्रेन रूस की शर्तों पर सहर्ष हथियार डाल देगा बहरहाल दुनिया भर के देशों को तीसरे दौर की दोनों देशों के बीच होने वाली वार्ता में युद्धविराम की उम्मीद काफी कम लगती है किंतु फिर भी वह चाहते हैं कि 11 दिन के इस युद्ध का अब विराम हो जाना चाहिए बात तो वहीं पर आकर अटक गई कि क्या यूक्रेन रूस के सामने इस तीसरे दौर में हथियार डालकर उसकी सारी बातें तो शर्त मान लेगा ऐसा होता तो नहीं दिख रहा है किंतु हमारी यही गुजारिश और दुआ भी है कि युद्ध विराम होना चाहिए क्योंकि युद्ध में नुकसान ही नुकसान है |

Posted By KanpurpatrikaMonday, March 07, 2022

Sunday, March 6, 2022

धमाके पर मुंह से बरबस निकलती हैं आहें

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जिन विषम परिस्थितियों में यूक्रेन से युद्ध जैसी बड़ी त्रासदी में बम धमाकों के बीच से निकलकर आए छात्र-छात्राओं की सलाम करना चाहिए क्योंकि  उन्होंने ऐसी विषम परिस्थितियों में अपने हौसले को कम नहीं होने दिया जहां तक जो बच्चे अभी भी वहां फंसे हुए हैं उनका तो हाल बुरा है ही साथ ही उनके भारत में मौजूद अभिभावकों को कितनी बुरे हालातो  से गुजरना पड़ रहा है उनके मुंह से बरबस यही है निकल रहा है कि बुद्धि मारी गई थी जो बच्चे का भविष्य बनाने के लिए धमाकों की भट्टी में झोंक दिया जिसमें अगर  पिता ने बच्चों को यूक्रेन जाने की पैरवी की है तो माँ ने उनका जीना हराम किए हुए हैं कि तुम ही ने बेटे या बेटी को आग की भट्टी में झोंका है अगर उसे कुछ हो गया तो जिंदगी भर माफ नहीं करूंगी ऊपरवाला किसी तरह से मेरे बच्चे को सुरक्षित वापस घर ला दे तभी दिल को चैन मिलेगा माताओं की इस समय बेहद दयनीय स्थिति है अज्ञात आशंकाओं से ग्रसित इनके कान आंखें टीवी चैनलों के पर्दे में लगी हैं कभी मोबाइल की तरफ देखते हैं मोबाइल की घंटी बजते ही अज्ञात आशंका से वो डरते हुए फोन उठाते हैं जिसमें बस एक ही बात होती है जैसे किसी करीबी का फोन आता है तो पूछ तो वह फोन पर ही बिलख पड़ती है बार-बार विदेश मंत्रालय फ़ोन मिलाया जा रहा है अधिकारी भी दिलासा देते देते परेशान है कि आखिर वह क्या करें उड़ाने तो अपनी तरफ से पूरी कोशिश में लगे हैं कि जल्द से जल्द पूरी भारत की दुरी तय की जाएं पायलट जैसे ही युक्रेन से उड़ान को इंडिया की सरजमी पर ब्रेक लेता है उस समय अभिभावकों के हालात देखने वाले होते हैं इस प्लेन में जिनके बच्चे नहीं आ पाते उनके बुरे हाल होते हैं रोते-रोते उनका बुरा हाल होता है और फिर से नई उम्मीद से अपने बच्चो की कुशल वापसी की प्रार्थना करने लग जाते है |

Posted By KanpurpatrikaSunday, March 06, 2022

Wednesday, March 2, 2022

जिसका डर था वही हुआ ना

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जिसका डर था वही हुआ ना

आखिर यूक्रेन में रूस के निरंतर हमलावर होने के बाद जिसका डर था वही हो गया भारतीय छात्र कर्नाटक का रहने वाला नवीन शेखरअप्पा उस समय एक धमाके का शिकार हो गया जब एक पेट की आग बुझाने के लिए राशन की कतार में खड़ा था इस दर्दनाक हादसे का यह असर हुआ कि भारतीय छात्रों में भगदड़ मच गई है प्रत्येक छात्र छात्रा डरी सहमी है वह ऐसे स्थान की तलाश में भागते ही जा रहे हैं जहां उन्हें बम और मिसाइलों के धमाके ना सुनाई दें बहुत ही बुरे हालात हैं यहां उनके परिवारों के हालात भी बहुत बुरे हैं पल-पल वह टीवी मोबाइलों से अपने बच्चों के संपर्क में बने हुए हैं भारतीय दूतावास में लगातार फोन खनखना रहे हैं अधिकारी उड़ानों के विषय में बताते बताते परेशान हैं जिसमें एक ही निवेदन होता है कि कैसे भी हो सके उनके बच्चों को बचा कर ले आए यहां तक हालात यह हैं कि अभिभावक इस कदर उतावले हैं कि उनके बच्चों को जो भी सूरत हो सुरक्षित ले आया जाए भारतीय छात्र की मौत के बाद स्थितियां बहुत ही खराब हो गई है हालांकि भारत 3 दिन में उड़ाने बढ़ाने की तैयारी में जुट गया है किंतु यूक्रेन में फंसे छात्र छात्राओं की जो सूचना मिल रही है कि दहशत में बदहवास अवस्था में भागते भागते थक चुके हैं और व्यवस्थाएं ऐसी हैं कि भूखे छात्र छात्राओं को और प्यास भी परेशान करती जा रही है उसके बाद जैसे ही वे भूख प्यास मिटाने के लिए निकलते हैं वैसे ही धमाका हो जाता है बेचारे फिर से दुबक जाते हैं भारत सरकार करे भी तो करे क्या वह भली भांति जानता है किंतु वह हाथ पर हाथ धरे तो बैठा तो नहीं है उसके भी प्रयास जारी हैं फिर भी वहां के हालातों को देखते हुए भारत सरकार को प्रयास बढ़ाने चाहिए यही अपील के साथ मृत छात्र की आत्मा की शांति के साथ उनके परिवार को भी हिम्मत रखने की सांत्वना देता है | 

Posted By KanpurpatrikaWednesday, March 02, 2022

Tuesday, March 1, 2022

भारतीय मीडिया पर रूसी आपत्ति का सच

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रूस ने जिस तरह से यूक्रेन पर की जा रही अपनी सैनिक कार्रवाई को लेकर दिखाई जा रही खबरों व छप रही खबरों पर भारतीय मीडिया को सलाह दी है कि वह तथ्यों पर आधारित खबरें ही प्रसारित करें गलत दिखाकर तथ्यहीन  खबरों का भ्रामक प्रचार ना करें रूस ने कहा की हमने  यूक्रेन पर खुद हमला नहीं बोला बल्कि यूक्रेन से पश्चिमी देशों की सेना हटाने व नाज़ीकरण से मुक्त करने व डानबस में यूक्रेन द्वारा साल से जारी युद्ध को खत्म करने के लिए विशेष सैन्य अभियान चलाया है इसे युद्ध या हमले का नाम देना भी गलत है उन्होंने यह भी स्पष्टीकरण दिया है कि हम वहां हम किसी शहर को नुकसान नहीं पंहुचा रहे है बल्कि सैन्य ठिकानों पर ही कार्यवाही की जा रही है जहां तक रूसी दूतावास की बात है तो वह पहले ही भारतीय मीडिया ने कजाखस्तान में भड़की हिंसा पर भी तथ्यहीन खबरें छापने को लेकर आपत्ति जता चुका है साथ ही उसने सचेत किया था कि कजाखस्तान उसका दोस्त है जिसके लिए उसने कलेक्टिव पीसकीपिंग फोर्स भेजा था रूसी दूतावास की इस तरह की दूसरी बार भारतीय मीडिया पर उंगली उठाने के पीछे भारतीय मीडिया को निःसंदेह इस पर ध्यान देने वाली बात है कि प्रतिस्पर्धा में जल्दबाजी को हम कोई ऐसी खबर ना छाप दें कि उस पर दुनिया भर के देशों के सामने हमारी जग हंसाई हो एक और हमें इस और ध्यान रखना चाहिए कि रूस अपनी सैन्य कार्यवाही रोकने के लिए इनसे वार्ता करने के लिए ना सिर्फ तैयार है ऐसे में हमारा भी तो मुख्य मकसद यही है कि किसी भी तरह से रूस और यूक्रेन के बीच चल रही सैन्य कार्यवाही समाप्त हो दोनों ही अपने मित्र राष्ट्र हैं लिहाजा इस पर कहीं ना कहीं हमें उग्र रूप दिखाने की बजाय लचर रुख अख्तियार करना चाहिए क्योंकि हमारा मकसद यह है कि सैनिक कार्रवाई रुके और खून बहना बंद हो जहां तक रूसी दूतावास की आपत्ति पर हमें फिर से इस विषय पर सोचना चाहिए क्योंकि भारतीय मीडिया का एक अपना अलग स्थान है लिहाजा इसमें किसी तरह का दाग ना लगे हमें दोनों देशों से अपने देश के संबंध संबंधों का भी ख्याल रखकर साफ-सुथरी अपनी छवि  बनाये रखे |

Posted By KanpurpatrikaTuesday, March 01, 2022