
अब हम थोडा और आगे बढ़ेंगे | जैसे जैसे हम
आगे बढ़ते हैं, वैसे वैसे हमारा वास्ता पंचांग और कैलेंडर से पड़ता जायेगा |
अतः हमें पंचांग के भी कुछ अंगों से प्रत्यक्ष होना पड़ेगा | पंचांग में
तिथि, वार, नक्षत्र, योग तथा करण, ये पांच अंग होते हैं इसीलिए इसे पंचांग
कहा जाता है | हम इसमें से कुछ को पहले बता चुके हैं, जैसे वार कैसे आते
हैं ? तिथि क्या होती है ? अब उस से आगे बढ़ते हैं |
तिथि – चन्द्रमा की एक
कला को एक तिथि माना गया है | अमावस्या के बाद प्रतिपदा...