
पत्रकारिता एक छाता है !
काफी समय पहले पत्रकार की छवि आम जनता की नज़र में न्यायवादी व्यक्ति के रूप में होती थी जो की सही को सही और गलत को गलत ही कहता था पत्रकारिता करना लोगो का धंधा नहीं वरन शौक था लेकिन समय बदला पत्रकार बदले और पत्रकारिता का स्वरुप भी बदला | खास कर छोटे शहर के पत्रकार तो पत्रकार सिर्फ इसलिए ही बनते है की उनके गैर क़ानूनी काम और ठेकेदारी पत्रकारिता के छाते के नीचे आसानी से चल सके | कानपुर शहर के कुछ क्या काफी सारे पत्रकार...