Friday, August 31, 2018

माँ तुम अब भी रोती हो

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माँ तुम अब भी रोती हो
क्यों दुःखो के बोझ ढोती हो ।
वो कड़वी यादे और वो वादे तुम्हे सताते है
पता है मुझे तुम आज भी रोती हो
जब तुम्हे खाना नही मिलता है
तुम तब भी रोती थी जब उसको खाना नही मिलता था।
माँ तुम ऐसी क्यों हो
आज भी देती आशीष हो
जबकि वो आज भी इस रिश्ते को ढोता है
उसकी नज़र में तुम मां नही बोझ हो
पता नही इस बात का तुमको कब बोध हो।
माँ  कभी कुमाता भी नही होती
फिर ये पूत कपूत क्यों बन जाते है
जबकि उसी कोख से जन्मी पुत्री भी कुपुत्री न बनी।
क्यों माँ क्यों माँ बता न माँ।
पंडित आशीष त्रिपाठी

Posted By KanpurpatrikaFriday, August 31, 2018