ज्योतिष में फलकथन का आधार मुख्यतः ग्रहों, राशियों और भावों का स्वाभाव, कारकत्व एवं उनका आपसी संबध है।ग्रहों को ज्योतिष में जीव की तरह माना जाता है - राशियों एवं भावों को वह क्षेत्र मान जाता है, जहाँ ग्रह विचरण करते हैं। ग्रहों का ग्रहों से संबध, राशियों से संबध, भावों से संबध आदि से फलकथन का निर्धारण होता है।ज्योतिष में ग्रहों का एक जीव की तरह 'स्वभाव' होता है। इसके अलाव ग्रहों का 'कारकत्व' भी होता है। राशियों का केवल 'स्वभाव' एवं भावों का केवल 'कारकत्व' होता है। स्वभाव और कारकत्व में फर्क समझना बहुत जरूरी है।सरल शब्दों में 'स्वभाव' 'कैसे'...