जैसा की सर्वविदित है वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से सभी प्रकार के कामकाज ठप पड़े हैं कहीं पर भी अगर नजर दौड़ आएंगे तो आवश्यक सेवाओं के अतिरिक्त सब रुका हुआ है। ऐसे में अगर हम शांत मन से 2 माह पीछे की जिंदगी या यूं कहें कि दौड़ती हुई जिंदगी पर नजर डालें तो समझ आएगा हम कहां और किन हालातों और आपाधापी में जिंदगी गुजार रहे थे ।मंदिर मस्जिद गुरुद्वारों और चर्च में हजारों की भीड़ रोजाना दर्शनार्थ जाती थी लेकिन अब सब जगह सन्नाटा है प्रार्थनाएं और पूजा-पाठ तो हो रहा है लेकिन बगैर भीड़ के। ईश्वर सबके साथ है बगैर किसी आडंबर के ।वहीं अगर आडंबर की बात...