
" साँझ का आस्तित्व "साँझ के आगोश में जब आ गया संसार ,तब जा कर मिला है जिंदगी का सारपंछियों का लौटना ये दे रहा है सन्देश ।सुबह का भुला हुआ है आया अपने देश ,तूफान का झोका जो आया मद्य पारावार में ,मांझी सिमट कर रहा गया उस सघन मंझधार में ,अस्त होता सूर्य देता है सन्ति का सन्देश ,फिर जलाओ दीप लेकर एक नया उद्देश्य "........"संध्या...