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Sunday, August 29, 2010

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" साँझ का आस्तित्व "
साँझ के आगोश में जब आ गया संसार ,
तब जा कर मिला है जिंदगी का सार
पंछियों का लौटना ये दे रहा है सन्देश ।
सुबह का भुला हुआ है आया अपने देश ,
तूफान का झोका जो आया मद्य पारावार में ,
मांझी सिमट कर रहा गया उस सघन मंझधार में ,
अस्त होता सूर्य देता है सन्ति का सन्देश ,
फिर जलाओ दीप लेकर एक नया उद्देश्य "........

"संध्या "

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