प्यार मज़ा और सजा दिनों दिन बडती अनार किलिंग की वारदातों ने ये सिद्ध कर दिया है की हमारा समाज 21वी से 22वी शताब्दी में क्योँ न चला जाय कितना ही पड़ा लिखा क्योँ न हो जाय लेकिन उनकी मानसिकता और विचार उनके खून में पीड़ी दर पीड़ी बहाता ही रहेगा /कारण आखिर क्या है जो प्यार करने वाले मज़ा लेते लेते सजा के हक़दार बन जाते है / इतिहास गवाह है की प्यार करने वालो को इस समाज ने कभी स्वीकार नहीं किया है हीर राँझा सिर्ही फरहा और लैला मजनू और आज के समाज के प्रोफ़ेसर मटुकनाथ और जूली ..खैर प्रोफ़ेसर साहब की तुलना उनसे नहीं की जा सकती लेकिन लेकिन प्रोफ़ेसर...