Friday, November 25, 2011

प्यार मज़ा और सजा

प्यार मज़ा और सजा
दिनों दिन बडती अनार किलिंग की वारदातों ने ये सिद्ध कर दिया है की हमारा समाज 21वी से 22वी शताब्दी में क्योँ न चला जाय कितना ही पड़ा लिखा क्योँ न हो जाय लेकिन उनकी मानसिकता और विचार उनके खून में पीड़ी दर पीड़ी बहाता ही रहेगा /
कारण आखिर क्या है जो प्यार करने वाले मज़ा लेते लेते सजा के हक़दार बन जाते है / इतिहास गवाह है की प्यार करने वालो को इस समाज ने कभी स्वीकार नहीं किया है हीर राँझा सिर्ही फरहा और लैला मजनू और आज के समाज के प्रोफ़ेसर मटुकनाथ और जूली ..खैर प्रोफ़ेसर साहब की तुलना उनसे नहीं की जा सकती लेकिन लेकिन प्रोफ़ेसर साहब ने अपनी मोहब्बत को निभाया बखूबी है और खास बात ये थी इनकी मोहबत सच्ची थी जिसमे किसी प्रकार का लालच नहीं था लेकिन आज कल के बच्चे ( बच्चे मैं इसलिए कह रहा हु क्योंकि 10 और 8 साल की उम्र में ही उन्हे प्यार हो रहा है जिस उम्र में उन्हे अपने से बड़ो का प्यार चहिये ) तो अपना बचपन भी सही से जी नहीं पाते है और वो जीने मारने की कसमे खाने लगते है आखिर कारण क्या है /
०१ उन्हे अपने आस पास वो वातावरण नहीं मिल पता जिसकी उन्हे तलाश होती है /
०२ मीडिया विस्फोट के छर्रों ने और दिनों दिन बडती फिल्मो और टी वी पर नग्नता ..
०३ माँ बाप का बदलती लाइफ स्टाइल में बच्चो पर ध्यान न दे पाना .
खैर कारण कुछ भी हो सत्य यही है की कभी भारतीय संस्कृति का परचम लहराता था आज उसी भारतीय संस्कृति में नित्य नए रिश्ते कलंकित हो रहे है /कभी भाई का बहन से कभी पिता का बेटी और बहु से कभी मामा और भांजी पर नियत ख़राब कर के रिश्ते कलंकित कर रहे है /
लेकिन जो अखबारों की सुखिया नहीं बन पाते वो घुट घुट कर जीने को मजबूर हो जाते है और समाज में कोई उन रिश्तो को गन्दा न कहे इसलिए उनके मुह हमेशा बंद रहते है ./
अब सवाल ये उठता है की आखिर प्यार होता क्या है
क्या किसी की सुन्दरता पर मोहित हो जाना प्यार है
क्या किसी के पहनावे पर मोहित होना प्यारा है
क्या किसी के स्टेटस पर फ़िदा हो जाना प्यार है
या किसी की धन दौलत देख कर फिसल जाना प्यार है
या यु कहे की किसी के विचारी और उसके ज्ञान पर मोहित हो जाना प्यार है ?
आज के युग में किसी शरीर पर नज़र गडाते गडाते आखो का मिल; जाना प्यार कहलाता है ....और वहा से डेट्स पर जाना और जीने मरने की कसमे खाना उसके बाद हमबिस्तर हो जाने के बाद फिर एक नए प्यार की तलाश में निकल पड़ना प्यार है ..?
आखिर प्यार इश्क और प्रेम इस ढाई अक्षर की असली परिभाषा क्या है ?
हम गाँधी जी के विचारो से प्यार करते थे चन्द्र शेखर और भगत सिंह से प्यार करते थे नेता जी सुभास चन्द्र बोस और जवाहर लाल नेहरू से प्यार करते थे और उन सबका का सच्चा प्रेम था अपनी धरती माँ के लिए क्या ये प्यार होता है ?
लेकिन आज कल 10 साल का लड़की या लड़का देश के राष्ट्र पिता को नहीं जानता लेकिन अपनी गर्ल फ्रेंड और बॉय फ्रेंड के दस अंको के तीन मोबाइल नंबर उसके ज़हन में हमेशा बने रहते है सालो बाद भी पहली मुलाकात में कहे गए पहले शब्द उन्हे याद रहते है लेकिन भगत सिंह शहीद क्योँ हुए थे देश आजाद कब हुआ था उन्हे याद नहीं रहता है /क्या इसलिए की वो प्यार में अंधे हो जाते है ...
10 साल का लड़का या लड़की अभी अपने माता पिता का प्यार भी ठीक से समझ नहीं पाते है और वो अपनी शादी और उससे होने वाले बच्चे के बारे में सोचने लगते है और इस जालिम समाज से लडने के लिए साथ जीने मरने की कसमे भी खा लेते है ./ सालो साल इस तरह उनका प्यार चलता रहता है और जब माता पिता और समाज को मालूम पड़ता है तो या तो वो दोनों घर से भाग जाते है या आत्महत्या कर लेते है या फिर परिवार वाले समाज में अपनी इज्ज़त बनाय रखने के लिए उनकी हत्या कर देते है /क्या यही है पहले प्यार फिर मज़ा और उसके बाद सजा ?
प्यार को कोई समझ न पाए
प्रेम को कोई ढूंढ़ न पाए
और इश्क करके कोई जी न पाए
फिर क्योँ इस ढाई अक्षर
के शब्द को ये समाज अपना न पाए
और हर मौत पर आशीष एक नया पन्ना खुला पाए ...

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