
अगर तुम होती ...अगर तुम होती तो ऐसा होताअगर तुम होती तो वैसा होता माँ.....आज मैं दूर हु अपनी माँ से मैं मजबूर हु, अपने आप सेकभी थक कर आता था घर ..माँ का आंचल पता था भरथकावट दूर होती थी मिलो की ..एक नई सुबह होती थी उम्मीदों की ...अगर तुम होती तो ऐसा होताअगर तुम होती तो वैसा होता , माँ...जब भूखा होता था तो खिलाती थी खानाआज अपनी ही बनी जली रोटी हु खाता जब करता था शैतानी तो देती थी सजा...