Sunday, March 3, 2019

कश्मीर के नाम पैग़ाम

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तुम थे तो हमारे जैसे ही
अलग क्या हुए हमसे
तुम्हारा दिल और दिमाग
रक्त और वक्त
इंसानियत और मासूमियत
सभी से तो तुमने मुँह फेर लिया
ये तुमने कौन सा रूप लिया
तुमसे जो अलग हुआ
वो बढ़ता ही गया
लेकिन तुम हमसे अलग
होकर घटते चले गए
ऐ मौला वो कौन सा वक्त था
जब कश्मीर पर कभी मेरा
कभी उनका नाम हुआ
उनको उस धरती पर
ऐसा क्या गुमान हुआ
की उनकी नफ़रतें
सिर्फ हमारे नाम हुई।

पंडित आशीष जी त्रिपाठी

Posted By KanpurpatrikaSunday, March 03, 2019

वंदन अभिनंदन का

सुन माताओं के क्रंदन
भड़का शोला अभिनंदन का
सीना चीर पवन का
चूमा मस्तक नील गगन का
सामने देख शत्रुओ को
टूट पड़ा मिग 21 से जो
सामने था शत्रु का एक एफ 16 शेष
भारत माँ की रक्षा को जो था गगन में
एक लक्ष्य था कि न होगा रुदन देश मे
मार कर पहुँच गया था दुश्मन देश मे वो
भारत माँ के नारों से गूंज उठा तब शत्रु देश वो
मृत्यु को जिसने दिया था रोक
उसने की शत्रुओ पर अनगिनत चोट
उस अभिनंदन का वंदन करता भारत देश
युवा रखेगा अब उनका जैसा वेश।

पंडित आशीष जी त्रिपाठी

Posted By KanpurpatrikaSunday, March 03, 2019