Monday, May 28, 2018

रिश्तो का क़त्ल भाग 2

विजय अवंतिका की ओर प्यार से देखकर अरे डार्लिंग तुम तो बेकार में ही नाराज़ हो रही हो अवंतिका के कंधो पर हाथ रखते हुए हम तो मजाक कर रहे थे /

अवंतिका अभी भी थोडा गुस्से में हा ठीक है लेकिन अब मक्खन भी लगाने की जरुरत भी नहीं है और हसने लगती है अब जल्दी से नाश्ता कर लो नहीं तो सच में मेरी ही वजह से देर हो जाएगी

स्पंदना हा पापा  मम्मा सही कह रही है बस वाले अंकल जी भी बिलकुल इंतज़ार नहीं करते है

विजय हा हा ठीक कह रही हो स्पंदना की और इशारा करते हुए आज कल शर्मा जी भी आफिस जल्दी आ जाते है  /

चलो बेटा जल्दी चलो सभी नाश्ते की टेबल पर बैठ जाते है और नाश्ता कर के विजय और स्पंदन बाहर जाने के लिए निकलते है तभी अवंतिका विजय से की क्या आज आफिस से जल्दी आ जायेंगे शापिंग के लिए चलना था विजय क्यों शापिंग क्यों ? वो रामपुर वाले मामा जी के यहाँ शादी में जाना था विजय हा ठीक है मैं तो आ जाऊंगा लेकिन उसके लिए कुछ टैक्स तो देना ही पड़ेगा अपने गालो की और इशारा करते हुए स्पंदना थोडा सा मुस्कराते हुए अवंतिका को देखती है और अवंतिका स्पंदना को किस करते हुए विजय को किस करके कमरे की ओर चली जाती है विजय और स्पंदना दोनों अपने घर से बाइक से जा रहे होते है और अवंतिका बालकनी से दोनों को देककर बाय बाय करती है /
कहानी जारी है ......... लघु कथा 2

  

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