Monday, August 30, 2010

ख्वाब

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ख्वाब

कौन कहता है की ख्वाब हकीकत में बदल जाते है

मेरे तो किसी ख्वाब को हकीकत की जमीं ही नहीं मिली

ख्वाब में उनसे मुलाकात तो होती है
मगर सामने मिलने की ख्वाहिश ख्वाब में ही रह गई
ख्वाब में जीता रहा की एक दिन ऐसा

आयेगा ख्वाब मेरा शायद हकीकत में बदल जायेगा

पर न जाने क्या हुआ शाम यूँ ही ढल गई

जिंदगी तन्हा मेरी एक ख्वाब में गुज़र गई ......
संध्या

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