Thursday, March 18, 2021

☘️ *_कपूर : धार्मिक महत्व के साथ पर्यावरण की रक्षा और औषधीय गुणों से भी भरपूर है_*

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☘️ *_कपूर : धार्मिक महत्व के साथ पर्यावरण की रक्षा और औषधीय गुणों से भी भरपूर है_*

आज हम चर्चा करेंगे बेहद सुलभ कपूर के बारे में .. जहां हम पुजा में इसका उपयोग करते है आम तौर पर कपूर वातावरण में से नकारात्मकता को नष्ट कर सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण करता है और पूरा वातावरण पवित्र और सुगन्धित हो जाता है। 

*कपूर के फायदे*

कपूर को सूंघने से हमारे मस्तिष्क में लेकवस नामक रसायन अधिक सक्रिय हो जाता है जिसका खास उपयोग निर्णय क्षमता के लिए होता है। 

कपूर को सूंघने से हमारे नाक के अंदर अगर सूंघने की क्षमता कम हो गयी हो तो वो बढ़ जाती है। 

घर में कपूर जलाने से ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाती है। 

कपूर को रुमाल में गर्म करके गले को सेका जाए तो गले की बीमारियों में आराम मिलता है और बन्द गला खुल जाता है। 

हमारी eye brow मतलब भौहें उनके ऊपर सेक देने से धीरे धीरे चश्मे के नम्बर कम होने लगते हैं। 

कपूर का उपयोग जलाने से ज्यादा उसे Evaporate  करने में करें। अधिक मात्रा में कपूर जलाने से आंखों में जलन होकर आंखों को नुकसान भी हो सकता है। 

कपूर और नमक गर्म पानी में डालकर उसमे पैर डालकर सेक लेने से पैरों की सूजन कम होती है और दर्द में भी आराम मिलता है।

कपूर को गर्म पानी में डालकर बफारा लेने से सर्दी,जुकाम में बहुत आराम मिलता है और शुरुआती लक्षण हो तो ठीक भी हो जाता है। 

बच्चों के सिर,नाक,छाती पर कपूर लगा सकते हैं लेकिन सावधानीपूर्वक। बच्चे की आयु का विशेष ध्यान रखते हुए मात्रा कम अधिक करें। 

आप अपने बैग ,पर्स,वॉलेट में रख सकते हो। 

तिल के तेल में कपूर डालकर हल्का सा गर्म करके जहां भी संधि वा (joint pain) हो वहाँ हल्के हाथ से मालिश करने से उस दर्द में तुतंत आराम मिलता है वह खाने की परहेजी के साथ यह दर्द खत्म भी हो जाता है। 

खोरा(Dandruff) की समस्या जिनको हो वो तिल के तेल में कपूर डालकर बालों की जड़ों में मालिश करें तो इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। 

कपूर को सरसों(राई) के तेल में डालकर पैर के तलवों को मालिश करने से थकान दूर होती है। 

नाभि में कपूर लगाने से शरीर का रक्तसंचार सही रूप से कार्य करने लग जाता है और पेट सम्बंधित बहुत सारी बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता है लेकिन ये आप वैद्यकीय सलाहनुसार करें तो उचित रहेगा।

पूजा के समय वातावरण सुंगन्धित करने के लिए आरती में कपूर का उपयोग किया जाता है। 

तिरुपति बालाजी के प्रसाद लड्डू में भी भीमसेनी कपूर का उपयोग किया जाता है। 

दांतों के दर्द में दांत के नीचे दबाने से दांत का दर्द दूर होता है। 

कपड़ों में रखने से कपड़ों में से कीटाणु नष्ट हो जाते हैं और कपड़ों में से अच्छी सुगंध आती है। 

घर में कपूर के नियमित प्रयोग से मच्छर, कोकरोज ,चूहे और छिपकली भी भाग जाते हैं।
कपूर 2 प्रकार का होता है। 

1. प्राकृतिक कपूर
2. केमिकल युक्त कपूर

भीमसेनी कपूर प्राकृतिक कपूर है जिसे आयुर्वेदिक कपूर के नाम से भी जाना जाता है। 

  यह कपूर प्राकृतिक होने के कारण यह कोई विशेष आकार में नहीं मिलता। यह दिखने में स्फटिक जैसा होता है। 

ओर ये जानकारी नहीं भी हो तो भीमसेनी कपूर से हमारा मन प्रफुल्लित और दिमाग तरोताजा  हो जाता है उसकी महक मात्र से हमारे अंदर एक नवचेतना का सृजन हो जाता है।

वंदे मातरम 🇮🇳
स्वस्थ और सबल भारत

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