कोरोना काल मे दिखे खाकी वर्दी के अनगिनत रूप
देश में जहाँ एक और सीमा की रक्षा करने के लिए भारतीय सेना के सशस्त्र जवान निरंतर जुटे रहते हैं फिर चाहे वह सियाचिन हो या फिर राजस्थान की लगी सीमाएं ।
मौसम कोई भी हो दिन हो रात हो उन्हें सिर्फ अपने देश प्रेम और भारत मां की रक्षा के लिए सदैव तत्पर देखा जाता है उसी प्रकार देश की आंतरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी होती है हमारे पुलिस के जवानों की ,तेज धूप हो या फिर बरसात या फिर सर्दियों की सर्द राते । हमारे पुलिस के जवान उसी मुस्तैदी से अपने फर्ज को निभाते नजर आते हैं इन पुलिसकर्मियों के ऊपर सिर्फ आंतरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी ही नहीं होती बल्कि पारिवारिक विवाद त्यौहार और ऐसे अनेक कार्य जिम्मेदारी उनके कंधों पर रख दी जाती है और इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाते भी हैं और अपने फर्ज में डटे रहते हैं।
त्योहारों पर जब सभी खुशी-खुशी अपने परिवार के साथ खुशी के लम्हे बिता रहे होते हैं उसी समय हमारे पुलिस के जवान हमारी सुरक्षा पर परिवार से अलग डटे रहते हैं ।
लेकिन इतनी जिम्मेदारी और उनके डुयूटी के घंटों की अनिश्चितता उनके इस कार्य को डिगा नहीं पाती है लेकिन कहीं ना कहीं उनके ऊपर मानसिक दबाव बन जाता हैं ।आपराधिक घटना होने पर सबसे पहले पुलिस को ही दोषी ठहराते हैं फिर खुलासे का दबाव बढ़ता जाता है ऐसे अनगिनत परेशानी और उनकी समस्याएं उन्हें उलझन समाज में से दूरी बनाने पर मजबूर करती हैं ।क्योंकि कहीं नहीं पुलिस की वर्दी उसी आम जनता से दूर करती है । लेकिन कई बार मित्र पुलिस की छवि जनता को देखने को मिलती है तो उसे लगता है कि पुलिस मित्र भी होती है हम पुलिस विभाग के इसी जज्बे के लिए आज उनको नमन करते हैं।
आज देश मे अदृश्य दुश्मन कोरोना महामारी का रूप में हर किसी को डरा रहा है लॉक डाउन के चलते लोग अपने घरों में सुरक्षित महसूस कर रहे हैं और सरकार भी उनसे ऐसा करने को कह रही है ।ऐसे में एक बार फिर पुलिस कोरोना काल में करुणा का रूप लेकर लोगो के बीच आत्मविश्वास और हमारी सुरक्षा के लिए मुस्तैद खड़ी है।
कभी डराकर कभी सख्ती और कभी एक मां की तरह प्यार से इस कोरोना काल में जितने रूप पुलिस के दिखे शायद पहले कभी देखे हो आपने और हमने ।और यह रूप पहले से जुदा भी थे । भूखे पेट को खाना खिलाना हो किसी को घर पहुंचाना या किसी को राशन पहुंचाना वह भी उसके घर तक की जिम्मेदारी अगर कोई निभा रहा है तो वह खाकी वर्दी है वर्दी जरूर खाकी है लेकिन एक उस वर्दी में अंदर ना जाने कितने रूप छुपे हुए है ।
अपनापन देश के लिए और अपनों के लिए करुणा । करोना काल का संकट भी ऐसा है कि वह संक्रमित लोगों ड्यूटी या ऐसे क्षेत्र में है जो कोरोना हॉट स्पॉट है तो वह ड्यूटी खत्म होने के बाद अपने घर भी नहीं जा सकता ना ,अपनों से मिल सकता है ।
क्योंकि हमारी सुरक्षा के साथ ही उसे अपने घर की भी सुरक्षा को ध्यान में रखना है । कहीं पर महिला पुलिस इस कठिन करोना काल में अपना बच्चा लेकर ऑफिस में अपनी जिम्मेदारी निभाती नजर आ रहे तो कई तो कहीं महिला पुलिस शादी को आगे बढ़ाकर देश के देश को प्रथम रखने के साथ अपने हौसले और हिम्मत को दिखा रही है ।
सिर्फ अगर हम यह सोच ले कि पुलिस का डर या यूं कहें कि उनका सुरक्षात्मक आवरण इस कोरोना संकट के समय न हो तो क्या होगा।ऐसी बाते एक आम इंसान के दिल मे सिरहन सी पैदा कर देती है।
इसलिए हम सभी का एक नैतिक फ़र्ज़ और जिम्मेवारी बनती है कि जो हमारी सुरक्षा के लिए खड़े है उनके लिए हम अपने घरों में रहे ताकि उनका कार्य थोड़ा आसान हो सके।
करोना काल में जहां हर कोई संकट की इस घड़ी में कड़कती धूप में घरों में सुरक्षित है तो वह हमारे पुलिस के जवान सड़कों पर मुस्तैद हैं और लोगों की सुरक्षा के लिए तत्पर हैं ।
आइये हम सब मिलकर देश के पुलिस विभाग को नमन करें।










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