Thursday, December 3, 2015

कुंडली में पागल होने के योग

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यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में पागल होने के योग बन रहे हैं तो ऐसे लोगों को सावधान रहने की आवश्यकता होती है। ऐसे योग के अशुभ प्रभावों को दूर करने के लिए ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बताए गए उपाय अपनाने चाहिए।
पागलपन की बीमारी किसी को बचपन से ही रहती है तो किसी को बड़ी उम्र में इस परेशानी का सामना करना पड़ता है। ज्योतिष के अनुसार कुंडली में कुछ विशेष योग होते हैं जो पागलपन की संभावना बताते हैं-
पागलपन के योग-
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यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्र, बुध की युति केंद्र स्थान में हो अथवा यह दोनों ग्रह लग्र भाव में स्थित हो तो व्यक्ति उन्मादी या अल्पबुद्धि वाला हो सकता है।
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भाग्य एवं संतान भाव में सूर्य-चंद्र हो तो व्यक्ति का मानसिक विकास ठीक से नहीं हो पाता।
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गुरु और शनि केंद्र में स्थित हो और शनिवार या मंगलवार का जन्म हो तो व्यक्ति पागल हो सकता है।
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यदि मंगल सप्तम स्थान में तथा लग्र में गुरु हो तो व्यक्ति किसी सदमे से पागल हो जाता है।
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यदि कमजोर चंद्र, शनि के साथ द्वादश भाव में युति करता है तो जातक पागल हो जाता है।
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मंगल, पंचम, सप्तम, नवम भाव में हो तो भी जातक पागल हो सकता है।
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कमजोर बुध केंद्र में या लग्र में बैठा हो तो वह व्यक्ति मंदबुद्धि होता है।
इन सभी योगों के साथ ही कुंडली के अन्य योगों और ग्रहों की स्थिति का भी अध्ययन किया जाना चाहिए। कुछ परिस्थितियों में दूसरों ग्रहों के प्रभाव ये अशुभ फल स्वत: ही समाप्त हो जाते हैं। पूर्ण कुंडली का अध्ययन करने पर ही सटीक भविष्यवाणी की जा सकती है।
पागलपन से बचने के कुछ उपाय-
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गौमूत्र का सेवन करें।
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बुध के मंत्रों का जाप करें।
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प्रतिदिन शिवजी की विधि-विधान से पूजा करें।
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बुधवार के दिन गाय को चारा खिलाएं।
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प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करें।
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बुधवार को गणेशजी को दूर्वा और लाल फूल अर्पित करें।
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किसी विशेषज्ञ ज्योतिषी से परामर्श लेकर अशुभ योगों का ज्योतिषीय उपचार करवाना चाहिए।



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