Tuesday, January 15, 2013

ये सर्दी ये सर्दी अज़ब रंग दिखाती है

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ये सर्दी

कभी हसांती है कभी रुलाती है

कभी डराती है कभी मौज कराती है

ये सर्दी अज़ब रंग दिखाती है

ये सर्दी

कभी घने कोहरे में तो कभी सर्द हवाओ से

कभी दिन में कभी रात में

अलग अलग रंग दिखाती है

ये सर्दी कभी सिगरेट के धुएँ से

कभी शराब के पैग से

कभी गर्म धुप से कभी लकड़ी के अलाव

से दूर भागती है

ये सर्दी अज़ब रंग दिखाती है

कभी गर्मी कभी बरसात

कभी सावन के दिनों की

कभी कुन्नु मनाली तो कभी कश्मीर

की याद दिलाती है

ये सर्दी अज़ब रंग दिखाती है

गरीबो और अमीरों को

अलग अलग रंग में दिखती है

ये सर्दी अज़ब रंग दिखाती है

कभी चाय, कभी काफी

तो कभी स्वेटर से, कभी रजाई से

तो कभी गर्म चादरों से

दूर भागती है,

ये सर्दी

कभी बच्चो तो कभी बुड़ो की

मौज कराती है

कभी जवानो तो कभी जानवरों

को डराती है

ये सर्दी

कभी हल्की कभी मीठी मीठी

कभी तेज़ तो कभी धीमी धीमी,

लगती है

ये सर्दी अज़ब रंग दिखाती है

ये सर्दी

कभी हसांती है

कभी रुलाती है

तो कभी मौज कराती है

ये सर्दी ये सर्दी अज़ब रंग दिखाती है
पंडित आशीष त्रिपाठी



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