Thursday, April 7, 2011

जंतर मंतर पर अन्ना का मंतर

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दिल्ली के जंतर मंतर पर अन्ना का मंतर
अन्ना हजारे को भारत की शायद पूरी जनता पूरी तरह से वाकिफ नहीं है फिर भी उनकी आवाज़ में इतना दम है की देश के हर छोटे बड़े शहर से क्रांति के स्वर उठने लगे है बाबा रामदेव ने भी भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाई और काफी हद तक सफल भी हुए ... लेकिन कई ओर से उनको घेरने की कोशिश भी हुई जिसका उन्होने माकूल जवाब भी दिया .. लेकिन देश के कई लोग या फिर कहे की ज्यादा जनता उनके साथ नहीं थी कारण उनका जो उदेश्य था वो कई लोगो के सामने साफ नहीं था ये मेरा सोचना है ... खैर अन्ना हजारे पर वापस आते है और अन्ना हजारे ने बीती 5 अप्रैल से आमरण अनशन चालू किया और देखते ही देखते हजारे के साथ हजारो लोग हो गए.. दिल्ली के जंतर मंतर पर अन्ना का मंतर इस कदर काम किया किया की दिल्ली के कई स्थानों के साथ देश के हर एक छोटे बड़े शहर से आन्दोलन शुरू हो गया.. क्या छोटा क्या बड़ा सभी थे ..उनके साथ खड़ा दिखाई दिया लगा मानो अब भारत में हर एक शहर से जन लोक पाल बिल नामक वर्ल्ड कप के लिए सभी तैयारियो में जुट गए है ...लगता है इस वर्ल्ड कप के लिए मैदान में कई टीमे है एक जो चाहती है की जन लोक पाल बिल आये ही न और दुसरे वो जो चाहते है की अगर आये तो उस कमेटी में हम हो तीसरे वो जो की बताते है की जन लोक पाल बिल आने के बाद इसका मुखिया और इसके लोग हिटलर हो जायेंगे सर्वे सर्वा हो जायेंगे तब का भ्रष्टाचार तो सुनामी से भी बड़ी आफत लेकर आयेगा ..
लेकिन ऐसा है ही नहीं पहले तो ये जानना जरुरी है की ये जन लोक पाल बिल है क्या दूसरा ये काम कैसे करेगा और तीसरा इससे आम जानता को क्या फायेदा होगा ..
ये तीन कारण अगर हर आदमी को समझ में आ गए तो ये आन्दोलन 1857 की क्रांति और जे प़ी आन्दोलन से भी बड़ा रूप ले लेगा ...
सबसे पहले बात करते है की ये जन लोक पाल बिल है क्या ...

नई दिल्ली।। देश में गहरी जड़ें जमा चुके भ्रष्टाचार को रोकने के लिए जन लोकपाल बिल लाने की मांग करते हुए अन्ना हजारे ने मंगलवार को आमरण अनशन शुरू कर दिया। जंतर - मंतर पर सामाजिक कार्यकर्ता हजारे को सपोर्ट करने हजारों लोग जुटे। आइए जानते हैं जन लोकपाल बिल के बारे में...

- इस कानून के तहत केंद्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त का गठन होगा।

- यह संस्था इलेक्शन कमिशन और सुप्रीम कोर्ट की तरह सरकार से स्वतंत्र होगी।

- किसी भी मुकदमे की जांच एक साल के भीतर पूरी होगी। ट्रायल अगले एक साल में पूरा होगा।

- भ्रष्ट नेता, अधिकारी या जज को 2 साल के भीतर जेल भेजा जाएगा।

- भ्रष्टाचार की वजह से सरकार को जो नुकसान हुआ है अपराध साबित होने पर उसे दोषी से वसूला जाएगा।

- अगर किसी नागरिक का काम तय समय में नहीं होता तो लोकपाल दोषी अफसर पर जुर्माना लगाएगा जो शिकायतकर्ता को मुआवजे के तौर पर मिलेगा।

- लोकपाल के सदस्यों का चयन जज, नागरिक और संवैधानिक संस्थाएं मिलकर करेंगी। नेताओं का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा।

- लोकपाल/ लोक आयुक्तों का काम पूरी तरह पारदर्शी होगा। लोकपाल के किसी भी कर्मचारी के खिलाफ शिकायत आने पर उसकी जांच 2 महीने में पूरी कर उसे बर्खास्त कर दिया जाएगा।

- सीवीसी, विजिलेंस विभाग और सीबीआई के ऐंटि-करप्शन विभाग का लोकपाल में विलय हो जाएगा।

- लोकपाल को किसी जज, नेता या अफसर के खिलाफ जांच करने और मुकदमा चलाने के लिए पूरी शक्ति और व्यवस्था होगी।

-जस्टिस संतोष हेगड़े, प्रशांत भूषण, सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल ने यह बिल जनता के साथ विचार विमर्श के बाद तैयार किया है।
लाल कलर का ये लेख नवभारत
टाइम्स से लिया गया है लिंक .. http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/7875730.cms

फिर ये जानते है की इस बिल से किसको क्या फायेदा होगा और किसको नुकसान ....

जन लोकपाल बिल को लेकर सारे भारत वर्ष में हलाकान मचा हुआ है, न्यूज चैनल्स, न्यूज पेपर्स, वेबसाईट, ब्लाग्स, फेसबुक, ट्वीटर, पत्रिकाओं, चर्चा मंचों तथा आमजन में बहस का मुद्दा बना हुआ है, जन लोकपाल बिल को लेकर चर्चा चिंता जायज है किन्तु ऐसा देखने, सुनने, पढ़ने में रहा है कि जन लोकपाल बिल को लेकर जो चर्चा होनी चाहिए वह चर्चा का मूल केंद्र बिंदु होकर मुद्दे से भटकाव की ओर है ! जन लोकपाल बिल को लेकर अब तक जो चर्चा देखने, सुनने, पढ़ने में मिल रही है उससे ऐसा प्रतीत होता है कि यह बिल भ्रष्टाचार के विरुद्ध होकर देश के संचालन को लेकर है यहाँ मैं यह स्पष्ट करना चाहूंगा कि जहां तक मेरा मानना है कि यह जन लोकपाल बिल देश के संचालन को लेकर नहीं है और ही इसका हस्तक्षेप देश के प्रजातांत्रिक संचालन पर नकेल कसने को लेकर है, यह जन लोकपाल बिल स्पष्टरूप से, मूलरूप से भ्रष्टाचार के नियंत्रण को लेकर है

जन लोकपाल बिल को लेकर सत्ता सत्तासीन लोगों की चिंता जायज है कि कहीं यह बिल पारित होते ही देश के प्रजातांत्रिक संचालन में हस्तक्षेप करने लगे, यह भी पढ़ने सुनने में रहा है कि कहीं लोकपाल के पद पर बैठा व्यक्ति हिटलर की मानसिकता का निकल गया तो देश का संचालन अपने हांथ में लेकर देश का मुखिया बन कर बैठ जाएगा जिससे प्रजातांत्रिक ढांचा चरमरा जाएगा ये विचार बुद्धिजीवी लोगों के मन में आना जायज है और आना भी चाहिए किन्तु उन बुद्धिजीवियों को यह नहीं भूलना चाहिए कि जन लोकपाल का ढांचा जो तैयार किया गया है अथवा संशोधन उपरांत जो ढांचा साकार रूप लेगा वह जन लोकपाल रूपी ढांचा देश के संचालन के लिए होकर मात्र भ्रष्टाचार के नियंत्रण को लेकर होगा, सीधा सीधा तात्पर्य यह है कि जन लोकपाल सिर्फ, सिर्फ भ्रष्टाचार के नियंत्रण भ्रष्टाचारियों पर दंडात्मक प्रकिया के संचालन के लिए होगा

जन लोकपाल बिल को लेकर उपजी या उपजाई जा रही भ्रांतियों को लेकर मेरा स्पष्टतौर पर ऐसा मानना है कि यह महज दुष्प्रचार है कि यह बिल पारित होते ही देश का प्रजातांत्रिक ढांचा चरमरा जाएगा और जन लोकपाल के पद पर बैठा व्यक्ति देश का सर्वे-सर्वा बन जाएगा, हिटलर बन जाएगा, तानाशाही करने लगेगा, ऐसा कतई नहीं होगा और ही ऐसा होने की कोई गुंजाईश होगी जन लोकपाल के पद पर बैठे व्यक्ति को लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के संचालन में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं होगा, जब हस्तक्षेप का अधिकार नहीं होगा तब वह किस अधिकार से हस्तक्षेप का प्रयास करेगा, यह महज दुष्प्रचार करने वाली बातें हैं

देश में संचालित कार्यपालिका, व्यवस्थापिका न्यायपालिका के संचालन नियंत्रण पर जन लोकपाल का कोई अधिकार हस्तक्षेप नहीं होगा, अधिकार होगा तो सिर्फ इन व्यवस्थाओं में हो रहे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने पर होगा, भ्रष्टाचारियों को दण्डित करने पर होगा यहाँ मैं यह भी स्पष्ट कर देना चाहूंगा कि लोकतंत्र के किसी भी अंग को भ्रष्टाचार दुराचार करने की आजादी लोकतंत्र नहीं कही जा सकती, और यदि लोकतंत्र के किसी भी अंग में भ्रष्टाचार फल-फूल रहा है तो उसके जिम्मेदार लोगों को दण्डित होना ही चाहिए फिर चाहे वे कार्यपालिका के हों, व्यवस्थापिका के हों या न्यायपालिका के

जन लोकपाल बिल का ढांचा भ्रष्टाचार के विरुद्ध जन आन्दोलन के अगुवा आमरण अनशन पर बैठे समाजसेवी अन्ना हजारे के सहयोगियों द्वारा तैयार किया गया है तथा उनकी मांग है कि देश से भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए जन लोकपाल बिल का पारित किया जाना अत्यंत आवश्यक है, देश में बढ़ रहे निरंतर भ्रष्टाचार घोटालों ने निश्चित ही देश को शर्मसार किया है कामनवेल्थ घोटाला, टू जी स्पेक्ट्रम घोटाला, आदर्श सोसायटी घोटाला ऐसे घोटाले हैं जिन्होंने भ्रष्ट सरकारों की कलई खोल कर रख दी है अपने देश में भ्रष्टाचार घोटालों की निरंतर बाढ़ आई हुई है, आमजन का जीना दुश्वार हुआ है, लोकतंत्र के सभी अंगों में भ्रष्टाचार जग जाहिर हैं, इन विकराल परिस्थितियों में जन लोकपाल बिल एक उम्मीद की किरण बनकर हमारे सामने है, सरकारों, जनप्रतिनीधियों, नौकरशाहों, बुद्धिजीवियों समस्त मीडिया जगत को जन लोकपाल बिल का समर्थन करना चाहिए जिससे भ्रष्टाचार मुक्त समाज राष्ट्र का निर्माण हो सके
ये निलये रंग का लेख श्री श्याम कोरी उदय के ब्लॉग कड़वा सच से लिया गया है


अब सारी बाते पडने के बाद यही लगता है की ये जन लोक पाल बिल जनता के हित में है और भ्रष्टाचार को बढावा देने वाले और इसकी गिरफ्त में आये नेता मंत्री और सरकारी कर्मचारी सभी को मुश्किल होने वाली है ..
अब जो डर सभी को सता रहा है वो ये है की अभी तो अन्ना हजारे की आवाज़ आसमान से भी उची सुनाई दे रही है लेकिन कई लोग जो भी इसका विरोध कर रहे है या इसको न आने देने का प्रयत्न कर रहे है .. उनकी एक साजिश इस पूरे आन्दोलन को कुचल कर रख देगी और ये आवाज़ दब जाएगी .. आप सोच रहे होंगे की वो कैसे वो ऐसे की अभी तक देखने में जो आया है वो ये है की जब इस तरह का मुद्दा या कोई और मुद्दा जिसको भरपूर हवा मिलती है और मीडिया भी उसको तवज्जो देती है उसके कुछ ही दिनों के अन्दर कोई ऐसा कांड देश के अन्दर हो जाता है की ,मीडिया अपना पूरा ध्यान उस ओर लगा देती है और मीडिया का ध्यान उस ओर यानि देश की पूरी जानता उस ओर .. तब कोई ये भी नहीं पूछेगा की कैसे है अन्ना बस वही लोग उनके साथ होंगे जो शुरुआत से उनके साथ है .. इस समय अपना पूरा ध्यान इस बात पर ही लगाय हुए है की ऐसा कौन स मुद्दा या ऐसा कौन स केस हो सकता है जिसको मीडिया पूरी तवज्जो दे और जानता का ध्यान इस ओर से हट जाये और सभी उस ओर ही रुख करे क्या हो सकता है ...ये षड्यंत्रकारी इस बात से भी नहीं घबराएंगे की उस चीज़ से किसी की जान जाएगी या किसी का घर बरबाद होगा उन्हे तो अपना घर और अपनी जान जो बचानी है ...
जन लोक पाल बिल एक ऐसी हथकड़ी है घूसखोरो भ्रष्टाचारियो के गले की फास बन जायेगा उनके पैरो की बेड़िया बन जायेगा उनका यु आलीशान और एशो आराम की जिंदगी में ग्रहण लग जायेगा ..उनकी मोटी चर्बी को बिना दवाइयों के कम कार देगा .. ऐसा है जन लोक पाल बिल
अन्ना हजारे एक नई नई क्रांति एक नए आवाज़ ...


1 टिप्पणियाँ:

  1. यह एक अचम्भे की बात है की एक स्वतंत्र विचारक होने के बावजूद आपने इस प्रकरण का शुक्ल पक्ष ही सामने रखा है. इसका कृष्ण पक्ष आपने क्या किसी मीडिया में नहीं रखा... क्यों? और इस आन्दोलन के रणनीतिक परा रणनीतिक निकटवर्ती और दूरगामी प्रभावों पर चिंतन अभी तक किसी ने नहीं दिया. यह जन आन्दोलन कहीं भी कुचला नहीं गया. कहीं भी पुलिस या प्रशासन ने किसी प्रदर्शनकारी के साथ सख्ती कतई नहीं की. लेकिन ज्यादातर जगहों पर इस पुरे राष्ट्रीय प्रयास को स्थानीय तौर पर बच्चों के खेल की तरह ही क्यों समझा जा रहा है?

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