Sunday, March 13, 2011

कानपुर में चली गोली, बरसी लाठियां ....

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कानपुर में चली गोली, बरसी लाठियां ....

भारत छोड़ो आंदोलन को अपनी आंखों से देखने वाले शहर में अब चंद लोग ही बचे हैं। आज भी जब यह उन लम्हों को याद करते हैं तो गौरव की अनुभूति करते हुए अतीत में खो जाते हैं। ऐसे ही एक वयोवृद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं भगवंतनगर विधानसभा क्षेत्र (उन्नाव) से पूर्व विधायक भगवती सिंह विशारद। कानपुर के धनकुट्टी इलाके में किराये के मकान में रहने वाले श्री विशारद का जन्म 30 सितंबर 1921 में हुआ था। भारत छोड़ो आंदोलन को लेकर विशारदजी ने बताया कि धनकुट्टी से जनसैलाब जुलूस की शक्ल में आगे बढ़ा। इसके बाद जुलूस मूलगंज चौराहे, मेस्टन रोड होते हुए बड़ा चौराहा पहुंचा। मालरोड पर अंग्रेज पुलिस ने आंदोलनकारियों पर लाठी बरसायी। फायरिंग भी हुई जिसमें कई लोग घायल हुए। घर में घायलों का इलाज हुआ। विशारद जी बताते हैं कि डिप्टी पड़ाव के बीके सिंह, जगदीश दुबे बम बना लेते थे। यहां धनकुट्टी में इसके लिए एक कमरा ले रखा था। बम बनाने में जिस रसायन का प्रयोग होता था उससे पीला पानी निकलता था जो बाहर नाली में बहता था। पुलिस को शक न हो, इसलिए बमों को सुरक्षित रखने के लिए नौघड़ा में किराये का मकान लिया गया था। रामचंद्र नाम का एक आदमी बम लेने के लिए आता था। यह बम कनस्तर में रखा जाता था। इसे छिपाने के लिए ऊपर से खाद्य पदार्थ डाल दिया जाता था। उन्होंने कहा कि भारत छोड़ो आंदोलन में शहर से हजारों गिरफ्तारियां दी गयी। जिला जेल भर गयी थी। टेंट लगाकर सत्याग्रहियों को रखा गया। कई लोगों को बस्ती व अन्य जिलों की जेल में भेजा गया था। जेल में लोग सुबह राष्ट्रीय ध्वज की वंदना करते थे। जिससे अंग्रेज जेलर खफा होता था। विशारद जी ने बताया उनको एक साल की सजा हुई थी जबकि दस रुपये का जुर्माना लगा था।

ये लेख कानपुर डाट बुसी डाट इन से लिया गया है

http://kanpur.busi.in/category/From-History-Of-Kanpur.aspx

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