Wednesday, September 3, 2014

कुंडली रहस्य

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कुंडली के रहस्यों से पर्दा !

हिन्दू धर्म में बच्चे के जन्म के बाद पंडितो से उसके पारिवारिक जन कुंडली बनवाते है और उस कुंडली के द्वारा उसके भविष्य के बारे में समय समय पर जानकारिया भी पंडितो को कुंडली दिखाकर कर लेते है / विवाह के समय में भी हिन्दू धर्म में कुंडली मिलान आवश्यक माना जाता है /
क्या वास्तव में कुंडली मानव जीवन के जन्म से लेकर म्रत्यु तक के सभी पलो का लेखा जोखा समेटे हुए है ?
क्या कुंडली एक विज्ञानं है ?
क्या कुंडली एक रहस्य है ?
या फिर कुंडली सिर्फ अंधविश्वास का एक और माध्यम है ?
जिस प्रकार अंक ज्योतिष हस्त रेखा और ऐसे ही कई सारी ज्योतिष विधयाओ पर लोगो को जितना विश्वास है उससे कही ज्यादा लोगो को कुंडली पर विश्वास होता है / लेकिन हिन्दू धर्म के इतर कही भी कुंडली को मान्यता नहीं दी गई है या इस प्रकार की चीजों पर विश्वास ही नहीं करते है आखिर हिन्दू धर्म पर कुंडली को इतनी मान्यता क्यों दी जाती है !
कुंडली व्यक्ति के जन्म लेने के बाद दिन तारीख और साल date of birth समय time of birth स्थान plce of birth  के आधार पर तैयार की जाती है / जिसमे व्यक्ति के जन्म लेने पर उसके साथ साथ किन किन गृह नक्षत्रो का प्रभाव उस पर पड़ रहा था और समय समय पर उन गृह नक्षत्रो की दिशा के अनुसार उसके जीवन में क्या क्या उत्तार चड़ाव आयेंगे की जानकारी कुंडली के माध्यम से गणतीय के आधार पर की जाती है /
अगर कोई भी पंडित कुंडली की सही जानकारी रखता है तो उस व्यक्ति के जीवन में एक एक पल उसके व्यवहार उसके कैरियर के बारे में और यहाँ तक की कुंडली में सही जानकारी रखने वाला व्यक्ति उसकी म्रत्यु की भी जानकारी दे सकता है की किस पल और किस वजह से उस व्यक्ति की मृत्यु होगी /
कुल मिलाकर कुंडली में 9 गृह और १२ रशिया और नक्षत्रो का समावेश होता है / जिनकी चाल ( ग्रहों की चाल  ) के अनुसार ही व्यक्ति के जीवन में उतार चड़ाव आते रहते है /
कई बार कई मशहूर हस्तिया भी अपने नाम में सुधार करके सफलता प्राप्त करते है और कुछ तो कुंडली की विवेचना करवाकर असफलता से सफलता की सीडिया चड़ते नज़र आते है / टी वी इंडस्ट्री की एक मशहूर निर्देशिका अपने टी वी सीरियल में स्टार कास्ट की कुंडली मिलवाकर रोल फ़ाइनल करती है फिर कलाकार कितना भी अनुभवी क्यों न हो अगर दोनों की कुंडली नहीं मिलती है तो उनका रोल फ़ाइनल नहीं होता है / हस्त रेखा और अंक शास्त्र की गड़ना कभी कभी इधर उधर हो सकती है लेकिन अगर जन्म तिथि समय और स्थान एक दम सही है तो आपकी विवेचना करने वाला पंडित आपके जीवन के छुपे हुए रहस्यों की परते एक एक करके खोल सकता है और यहाँ तक की आप अपने पूर्व जन्म में क्या करते थे की भी जानकारी हो सकती है /
वही विवाह के समय कुंडली मिलान अति आवश्यक माना जाता है क्योंकि कुंडली 9 ग्रहों व 12 राशियों के समावेश अर्थात 108 की संख्या को बनाता है जो 10+08=18 बनती है / अगर कुंडली में वर व वधु के कुंडली मिलान पर गुणों  की संख्या 18 हो तो ऐसे मिलान को संतोषजनक माना जाता है / इसके इतर भी 108 की संख्या को बराबर बराबर 6 भागो में विभाजित करने पर भी संख्या 108 आती है / ये 6 की संख्या ईश्वर द्वारा  दी गई उर्जाओ का प्रतिनिधित्व करती है जैसे अग्नि जल वायु आकाश भूमि आत्मा आदि /
एक स्त्री और एक पुरुष की जब जन्म कुंडली मिलाई जाती है तो अगर गृह मैत्री मिल रही है और गुण 18 मिल रहे तो भी यह मिलन शुभ माना जाता है / ये गृह मैत्री बाकि गुणों के मिलान से भी ज्यादा आवश्यक मानी जाती है / जैसे किसी भी स्त्री और पुरुष के बीच  पूरी कुंडली मिल जाने के बाद शादी के बाद अक्सर झगड़े होते है घर में दोनों के आमने सामने आते ही किसी भी छोटी से छोटी बात पर बहस होने लगती है जो मुख्य गृह मैत्री के मिलान न होने का एक बड़ा कारण होती है / जैसे जल और अग्नि दोनों विरोधी तत्त्व है और कुंडली में स्त्री में अग्नि तत्व 72% और जल तत्व 50% है और वही पुरुष में अग्नि तत्त्व 30 % और जल तत्व 80% मौजूद है या ऐसे समझ ले की इन तत्वों की उर्जाये इतनी प्रतिशत तक स्त्री और पुरुष के शरीर में मौजूद है / तो ऐसे पति पत्नी के बीच भी झगड़ा होने की संभावनाए बनती है फिर गृह मैत्री का मिलान भी इनके झगड़े को काफी हद तक कम कर सकता है / जहा अग्नि तत्व क्रोध का प्रतिनिधित्व करता वही पर  जल तत्त्व शांति ठंडक का / और इसके अलग अगर स्त्री और पुरुष की कुंडली में अग्नि तत्व और जल तत्त्व 50% और 40% की मात्रा में है तो ऐसी कुंडली में झगडे न के बराबर होते है /

कुंडली में मांगलिक दोष :-

1.     कुण्डली में जब प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम अथवा द्वादश भाव में मंगल होता है तब मंगलिक दोष लगता है
2.     कुण्डली में चतुर्थ और सप्तम भाव में मंगल मेष अथवा कर्क राशि के साथ योग बनाता है तो मंगली दोष लगता है
ऐसे ही कुंडली में मांगलिक दोष काफी अहम् माना जाता है अगर कुंडली में मंगल किस भाव अर्थात कितने प्रतिशत मंगल स्त्री की कुंडली में है और कितने प्रतिशत मंगल पुरुष की कुंडली में है अगर स्त्री की कुंडली में मंगल का प्रतिशत ज्यादा है और पुरुष की कुंडली में मंगल का प्रतिशत कम है तो ऐसे विवाह में पुरुष को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है ये नुकसान व्यापर में आर्थिक या शारीरिक भी हो सकता है / कहने का मतलब ये है की जिसकी कुंडली में मंगल ज्यादा होगा वो कम प्रतिशत वाली मंगली कुंडली को नुकसान पहुचायेगा / इसलिए ही मांगलिक स्त्री या पुरुष का विवाह मांगलिक स्त्री व पुरुष से ही शुभ माना जाता है /
कई पंडितो से बात करने की के बाद भी मेरा ये सवाल की आखिर ये मांगलिक दोष में ऐसा क्या होता जो किसी भी व्यक्ति के मन में ऐसा डर पैदा कर देता है क्या ये अन्धविश्वास है या कुछ और समझना मुश्किल था लेकिन काफी खोज बीन के बाद मालूम पड़ा की इन मांगलिक दोषों को शांत भी किया जा सकता है कुछ उपायों को करके और ये उपाय है  मंगला गौरी और वट सावित्री का व्रत सौभाग्य प्रदान करने वाला है. जिस लड़की की कुण्डली में मंगल दोष होता है वह अगर विवाह से पूर्व गुप्त रूप से घट( घडे ) से अथवा पीपल के पेड़ से विवाह करले फिर जिस व्यक्ति के मांगलिक दोष न हो से शादी करे तो दोष नहीं लगता है.
प्राण प्रतिष्ठित विष्णु प्रतिमा से विवाह के बाद अगर स्त्री शादी करती है तब भी मांगलिक दोष नष्ट हो जाता है.
मंगलवार के दिन व्रत रखकर सिन्दूर से हनुमान जी की पूजा करने एवं हनुमान चालीसा का पाठ करने से मांगलिक दोष शांत हो जाता है ऐसे कुछ उपाय बताय गय है जिनसे मांगलिक दोष शांत हो जाता है लेकिन सवाल अभी भी वही है की आखिर मांगलिक दोष में एसा क्या होता है जो किसी को भी शादी के बाद इतना कष्ट हो सकता है / किसी भी व्यक्ति के मांगलिक होने  का मतलब है की उस व्यक्क्ति के अन्दर मंगल गृह पर मौजूद मीथेन गैस की मात्रा कितने प्रतिशत है जो मंगल दोष के भाव से सम्बंधित है जिसे ज्योतिषी बताते है / अभी हाल में ही  अमरीका द्वारा मंगल ग्रह पर भेजे गए रोवर क्युरियोसिटीपर लगे एक खोज-यंत्र ने मंगल  गृह पर मीथेन गैस की मौजूदगी का पता लगाया है।

जो इस बात की पुष्टि करता है की मांगलिक दोष से क्या अर्थ है  अब आप सोच रहे होंगे की मीथेन गैस से मांगलिक दोष तो मान लेते है लेकिन इससे दुसरे व्यक्ति के शरीर में क्यों फर्क पड़ेगा जिसका जवाब इस सूत्र से समझ सकते है

CH4+2O2--->Co2+2H2O

जो इस सूत्र को नहीं समझ पाए है उनके लिए बता दू की यहाँ पर मीथेन गैस ch ch4  है और o2 oxygen , co2  कार्बन डाई आक्साइड , h20  पानी है /
जब मीथेन गैस और ऑक्सीजन गैस का मिश्रण होता है तो ये कार्बन डाई आक्साइड और पानी बना देते है जिसका सीधा सा अर्थ है की जिस व्यक्ति के भी मांगलिक दोष है का मतलब है की उसमे मीथेन गैस की मात्रा मौजूद है जो कुंडली की विवेचन के बाद मालूम पड़ता है की मंगल किस भाव में है यानि उन ग्रहों कि स्थित के आधार पर उस व्यक्ति के शरीर में मीथेन गैस कितनी मात्रा में बन रही है / अब ऐसे व्यक्ति की शादी जिसे मांगलिक दोष है ( मीथेन गैस की )  किसी ऐसे व्यक्ति से करा दी जाती है जिसे मांगलिक दोष नहीं है ( o2 oxygen )  fereअब फेरे यानि की उर्जाओ का आदान प्रदान गैसों के बीच क्रिया जो CH4 + 2O2 ---> CO2 + 2H2O  सामने वाले के शरीर  में कार्बन डाई आक्साइड गैस और पानी की मात्रा का बड़ जाना / जो काफी सारी समस्याओ को सीधा बुलावा देना है /
अब ऐसे व्यक्ति की शादी अगर पीपल के पेड़ से करा दी जाय तो पीपल हम सब जानते है की पीपल को हिन्दू धर्म में सबसे ज्यादा पूज्यनीय माना जाता है और ये भी जानते है की पीपल का पेड़ सबसे ज्यादा आक्सीजन देता है अब भी मीथेन गैस (मांगलिक व्यक्ति के साथ )के साथ क्रिया होगी तो परिणाम वही आयेंगे और इसका सीधा सा मतलब है की कुछ ही दिनों के बाद वो पेड़ सुख जायेगा बेकार हो जायेगा और ऐसा देखा भी गया है  जो एक सत्य है / 

क्यों लेते है अग्नि के सामने फेरे ?

हिन्दू धर्म में कुंडली मिलान के बाद अग्नि के सामने विवाह की रस्म पूरी की जाती है क्योंकि हिन्दू धर्म पूरा की पूरा विज्ञानं पर आधारित है और इस कारण ही कुंडली मिलान  से लेकर विवाह तक सब जगह विज्ञानं ही मौजूद है जो अग्नि के सामने लिए गए 7 फेरे भी विज्ञानं पर आधारित है / हिन्दू धर्म में शादी की मान्यता तो दी गई है लेकिन  तलाक जैसा कोई भी शब्द नहीं दिया गया है सम्बन्ध विच्छेद ?
कारण जब भी हम हिन्दू रीति के अनुसार विवाह करते है तो वर और वधु को एक कपड़े के माध्यम से जोड़ा जाता है और अग्नि के सामने मंत्रोचारण के साथ 7 फेरे लिए जाते है / जो एक दुसरे के शरीर की उर्जाओ का आदान प्रदान की क्रिया होती है पहले लड़का आगे चलता है और फिर लड़की अब जब शरीर की उर्जाओ को ही अच्छी तरह से मिला दिया गया हो जिस प्रकार शक्कर और जल को मिला दिया जाय और उसके बाद कोई उनको अलग करने के लिए कहे तो क्या होगा नहीं हो सकता इसलिए हिन्दू धर्म में तलाक जैसा कोई वाक्य नहीं जोड़ा गया है / यही कारण है की पति और पत्नी अलग अलग रह लेते थे लेकिन कभी उनके बीच  सम्बन्ध विच्छेद नहीं होता था लेकिन अब जमाने के साथ तलाक और डिवोर्स जो प्राय मुस्लिम और ईसाई धर्म से है का प्रचलन बड गया है /
ऐसे में सवाल उठता है की जब शादी हिन्दू धर्म से की गई पूरे सात फेरे लेकर फिर ऐसा कैसे हो गया तलक क्यों हो गया , इसका कारण कुंडली मिलान भी हो सकता है की ठीक से न मिलाई गई हो  अच्छा लड़का और अच्छी लड़की के चक्कर में कभी लोग इन सब बातो से किनारा कर लेते है और दुसरे धर्म की बात करने लगते है उसके बाद शादी के बाद जो भी कर्म होते है जैसे बिंदी लगाना सिंदूर भरना मांग में चूड़ी पहनना आदि कई सारे चीजे है  जो विवाह के बाद मननी पड़ती है को भी लोग अब फैशन में ले आये और ज्यादा इन बातो को नहीं मानते है जो भी एक बड़ा करना है तलाक  का /
इसलिए कुंडली विज्ञानं है और हिन्दू धर्म भी विज्ञानं पर आधारित है कुछ लोगो ने जरुर अपनी दुकाने चलाने के लिए कई सारे अन्धविश्वासो को जन्म देकर धर्म का क्षय किया है /
इस लेख में लिखे विचार हमारे अपने है और ये हमारी अपनी राय है इससे किसी का भी सहमत होना जरुरी नहीं है / लेख ईश्वर और इन्सान किताब के अंश है जिसके सर्वाधिकार सुरक्षित है /

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