Monday, May 4, 2020

जब कोरोना काल में भूत हुए क्वॉरेंटाइन

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 जैसा की सर्वविदित है वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से सभी प्रकार के कामकाज ठप पड़े हैं कहीं पर भी अगर नजर दौड़ आएंगे तो आवश्यक सेवाओं के अतिरिक्त सब रुका हुआ है। ऐसे में अगर हम शांत मन से 2 माह पीछे की जिंदगी या यूं कहें कि दौड़ती हुई जिंदगी पर नजर डालें तो समझ आएगा हम कहां और किन हालातों और आपाधापी में जिंदगी गुजार रहे थे ।
मंदिर मस्जिद गुरुद्वारों और चर्च में हजारों की भीड़ रोजाना दर्शनार्थ जाती थी लेकिन अब सब जगह सन्नाटा है प्रार्थनाएं और पूजा-पाठ तो हो रहा है लेकिन बगैर भीड़ के। ईश्वर सबके साथ है बगैर किसी आडंबर के ।
वहीं अगर आडंबर की बात की जाए और आप सभी भी उस भाग दौड़ भरी जिंदगी पर नजर डालें तो हम देखेंगे कि चौराहों पर कुछ न कुछ पड़ा मिल जाता था। कोई रात के अंधेरे में उतारा करता, नींबू काटता या डालता मिल या दिखाई दे जाता था । कई लोगों पर भूत आते थेऔर  तीन लोगों ने पकड़कर इन बाबाओं के पास ले जाते थे । ताकि झाड़-फूंक के द्वारा उन्हें ठीक किया जा सके। कई घरों में किसी पड़ोसी या अपने रिश्ते दारो द्वारा ही कुछ कराया गया ऐसे भी लोग सभी धर्मों में मिल जाते थे । इन लोग अर्थात भूतों का इलाज ढोंगी तांत्रिक बाबाओ  के पास होता था । कोई बेहोश होता था ,कोई सड़क पर ऐसे ही दौड़ जाता था, किसी को घर के अंदर ही डर लगता था ।
ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब सब कुछ बंद है तो दुष्ट आत्माओं व भूत भी इस कोरोना संकट  में कहीं ना कहीं क्वॉरेंटाइन हो गए हैं । क्या करोना काल में इन बाबाओं के द्वारा कृतिम भूत भी इन बाबाओं के साथ लॉक डाउन में जहां तहां फस गए हैं।
 व्यापार , नौकरी हो या किसी व्यक्ति पर उन भूतों की छाया अब क्यों नहीं पड़ रही है । जबकि कोरोना काल में सभी प्राकृतिक का खूबसूरत नजरों से आनंद उठा रहे हैं। ऐसे में यह कृतिम भूत क्या सच में क्वॉरेंटाइन हो गए हैं । अब जब जिंदगी ठहर सी गई तो मानना पड़ेगा कि हम सब एक ऐसे काल्पनिक चरित्र में जी रहे थे जिसमें वहां से निकलने का समय हमारे आपके पास था ही नहीं।
 ऐसे ही अगर हम झोलाछाप डॉक्टर से लेकर प्राइवेट क्लीनिक नर्सिंग होम पर ही नजर डालें और देखें कि इन सब जगह पर गंभीर और सामान्य बीमार लोगों की भीड़ रहा करती थी और इन की मेहरबानी से ही वहां भीड़ पैथोलॉजी सेंटर पर भी पहुंच जाया करती थी। अगर हड्डी टूटने के केस छोड़ दें तो वह सामान्य  और गंभीर बीमार मरीज उतनी संख्या में झोलाछाप डॉक्टर से लेकर प्राइवेट क्लीनिक में नहीं दिख रहे हैं ,कारण क्या है इसका ।
 हम अवसाद व बीमार थे टेंशन या भागदौड़ भरी जिंदगी और काम पटेंशन  से बीमार थे या फिर बाहर का खानपान की वजह से हम बीमार हो रहे थे। यह सोचने वाली बात है इस विषय पर भी हम सभी को एक बड़ा चिंतन करने की जरूरत है ,कि आखिर एक छींक, सिर दर्द, खांसी और ऐसी छोटी-छोटी बीमारियों जिसे अभी हम नजरअंदाज कर रहे हैं और शारीरिक व्यायाम के द्वारा ठीक भी कर ले रहे हैं ।
उन बीमारियों पर हम रोजाना कितना पैसा ऐसे ही खर्च कर देते थे । क्या हम सब अब वह खर्च बचा सकते हैं।
 जैसे हम सभी अभी घर में रहकर ही बाहर के खाने का स्वाद घर में बने खाने से ले रहे हैं और हमारी आदत थी चौराहे पर जाकर ठेले पर पानी के बताशे और पिज्जा बर्गर का आर्डर कर ही पेट भरता था।
और चाह कर भी  हम वह अपनी आदत नहीं छोड़ पा रहे थे। यह जानते हुए की वह खाना भी उतना अच्छा नहीं है फिर भी क्या कारण था।
 यह भी इन दिनों में हमें सोचना होगा पान मसाला हो या फिर शराब या अन्य नशे की वस्तुएं।  हम उन पर भी बेतहाशा पैसा बर्बाद कर रहे थे ।वलेकिन एक ही बहाना था क्या करें छूटता ही नहीं।  दिनभर जी तोड़ मेहनत करने के बाद हम उस मेहनत के पैसों को अपने परिवार की जरूरतों पर कम और नशे में कहीं ना कहीं ज्यादा खर्च कर देते थे ।बेशक अभी इन वस्तुओं पर रोक है हम अनजाने डर से घर पर ही हैं ।कोशिश जरूर नशा करने वाले कर रहे हैं ।लेकिन  इन्हें कोरोना के डर ने रोक रखा है। तो क्या हम आगे भी अपने जीवन को इस नशे की लत से दूर करके अपने परिवार के लिए एक बेहतर भविष्य की कल्पना कर पाएंगे।
 बेशक हम सभी के अंदर एक इच्छाशक्ति की कमी थी। लेकिन इस कोरोना महामारी ने हमें एक मौका दिया । जो सालों साल शायद किसी को नहीं मिलता, लेकिन कहीं ना कहीं हम अपने को सौभाग्यशाली माने कि हम इस युग और इस भारतवर्ष में है जहां स्वस्थ भी हैं और सुरक्षित भी है, ताकि हम अपने आने वाले कल को और बेहतर मुकाम दे सकें ।
स्वस्थ रहें सुरक्षित रहें

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