आत्महत्या दोहरे चरित्र की!
आजकल आत्महत्या के कई सारे मामले नित्य-न्यूज़ पेपर्स की सुर्खियाँ बनते है आत्महत्या के कारण भी बड़े अजीब इत्तेफाक रखते है जैसे 90% अंक लाने वाला छात्र आत्महत्या करता है बेरोजगारी से परेशान 24 वर्षीय छात्रा आत्महत्या करती है एक जिन्दा दिल IPS अधिकारी घरेलु झगडे से परेशान हो आत्महत्या जैसा कदंम उठाता है । ऐसे कई सारे मामले सामने आते है मनोवैज्ञानिक से लेकर मोटिवेशनल स्पीकर तक अलग अलग पक्ष रखते है लेकिन वास्तविक कारण कौन बताएगा परिवार के लोग ,मित्र या वो खुद जिसने आत्महत्या की है| मेरा मानना है कि गणित का अध्यापक गणित अच्छी तभी पढाता है जब वो उसका कई मर्तबा पढता और पढाता है|पंडित और वैध भी और डॉक्टर भी जब प्रतिदिन उस प्रोफेसन में रहते हुए सामना करते है तो उन्हें नकारात्मक व् सकारात्मक कहानी दोनों पता होती है ऐसे ही अगर या करने वाला बच जाये तो वह यह बता सकता है की क्या सोच कर उसने यह कदम उठाया ।
विश्व स्वास्थ संगठन की रिपोर्ट के अनुसार 30 करोड़ लोग पूरी दुनिया में अवसाद से पीड़ित है और 18% प्रतिवर्ष की दर से बढ़ रहे है । पहले आर्थिक तंगी आत्महत्या का प्रमुख कारण होता था लेकिन आज के समय मे युवा वर्ग जो समझदार है तरक्की कर रहा है और जिसके लिए लोग तरसते है वो सब भी उसके पास होता है लेकिन फिर भी वह आत्महत्या जैसे कदम उठा रहें हैं,कुछ मोटिवेशनल स्पीकर जिन्होंने लोगों की राह आसान की मंच से स्पीच दी । एक दिन अवसाद ने उनको भी घेर लिया और आत्महत्या जैसा कदम उन्होंने भी उठाया ऐसा क्यों? शायद यह सवाल ही है जो आत्महत्या करने वाले लोंगो के साथ ही दफ़न हो जाता है ।
एक 24 वर्षीय युवती प्रतियोगी परीक्षाओं में असफल होती है और उसे बेरोजगारी का डर सताता है और वह दीवार पर सुसाइड नोट लिखकर फंदे पर झूल जाती है क्या ऐसा हो सकता है कि आप 24 साल की उम्र में हार मान लें | एक आदिवाशी परिवार की आर्थिक तंगी के हालात ऐसे थे की लड़के की दादी ने आत्महत्या कर ली और कुछ दिनों बाद उसके चाचा ने भी और कुछ महीनो बाद परिवार और दो सदस्यों ने आत्महत्या की राह चुनी उस लड़के के परिवार के चार लोग आर्थिक तंगी के चलते हार मानकर जीवन लीला समाप्त कर चुके थे लड़के के माता-पिता कुछ चीज़ो को बेच कर उस लड़के को पढ़ाते है लड़का आईएस बनना चाहता था और वो दो दर्जन से ज्यादा प्रतियोगी परीक्षाओं में एक, डेढ़ और दो नंबर से फेल हो जाता था लेकिन हार नहीं मानी और लड़ा उस जीवन से जो उसे जीने के लिए मिला था और उसने जिया और ग्राम सेवक की नौकरी में चयनित भी हुआ |अपने माता-पिता जो बूढ़े हो चुके थे उनका सहारा बना ऐसा सख्स जो अपने ही परिवार में आर्थिक तंगी से चार-चार आत्महत्याएं देख चुका हो और खुद उन हालातों से संघर्ष करते हुयें आगे बढ़ा और दो दर्जन से ज्यादा परीक्षाओं में असफल भी हुआ उसके लिए तो प्रतिदिन आत्महत्या के द्वार खुले थे लेकिन उसने अपने जीवन को चुना पर निराश नहीं हुआ |
एक मुख्य कारण कि ईस्वर ने हमें जो दिया जीने के लिए और हमने फोकस किया उस पर जो हमें मिला नहीं ।आज दुनिया भर में 33% से ज्यादा लोग अपनी नौकरी से संतुष्ट नहीं है और 81% लोग अपने कार्य क्षेत्र को और निजी जिन्दगी के बीच संतुलन न बैठा पाने के कारण परेशान है दूसरा मुख्य कारण आत्महत्या करने का जो प्रमुखता से उभर कर आता है और लोग उस पर ध्यान नहीं दे पाते वह उनका लाइफ स्टाइल और उनका वास्तविक स्टाइल कहने का अर्थ मनुष्य का दोहरा चरित्र जिसमे वो जीता है और वही चरित्र एक दिन उनकी जान ले लेता है और वास्तविक चरित्र की हत्या कर देता है|
विश्व स्वास्थ संगठन की रिपोर्ट के अनुसार 30 करोड़ लोग पूरी दुनिया में अवसाद से पीड़ित है और 18% प्रतिवर्ष की दर से बढ़ रहे है । पहले आर्थिक तंगी आत्महत्या का प्रमुख कारण होता था लेकिन आज के समय मे युवा वर्ग जो समझदार है तरक्की कर रहा है और जिसके लिए लोग तरसते है वो सब भी उसके पास होता है लेकिन फिर भी वह आत्महत्या जैसे कदम उठा रहें हैं,कुछ मोटिवेशनल स्पीकर जिन्होंने लोगों की राह आसान की मंच से स्पीच दी । एक दिन अवसाद ने उनको भी घेर लिया और आत्महत्या जैसा कदम उन्होंने भी उठाया ऐसा क्यों? शायद यह सवाल ही है जो आत्महत्या करने वाले लोंगो के साथ ही दफ़न हो जाता है ।
एक 24 वर्षीय युवती प्रतियोगी परीक्षाओं में असफल होती है और उसे बेरोजगारी का डर सताता है और वह दीवार पर सुसाइड नोट लिखकर फंदे पर झूल जाती है क्या ऐसा हो सकता है कि आप 24 साल की उम्र में हार मान लें | एक आदिवाशी परिवार की आर्थिक तंगी के हालात ऐसे थे की लड़के की दादी ने आत्महत्या कर ली और कुछ दिनों बाद उसके चाचा ने भी और कुछ महीनो बाद परिवार और दो सदस्यों ने आत्महत्या की राह चुनी उस लड़के के परिवार के चार लोग आर्थिक तंगी के चलते हार मानकर जीवन लीला समाप्त कर चुके थे लड़के के माता-पिता कुछ चीज़ो को बेच कर उस लड़के को पढ़ाते है लड़का आईएस बनना चाहता था और वो दो दर्जन से ज्यादा प्रतियोगी परीक्षाओं में एक, डेढ़ और दो नंबर से फेल हो जाता था लेकिन हार नहीं मानी और लड़ा उस जीवन से जो उसे जीने के लिए मिला था और उसने जिया और ग्राम सेवक की नौकरी में चयनित भी हुआ |अपने माता-पिता जो बूढ़े हो चुके थे उनका सहारा बना ऐसा सख्स जो अपने ही परिवार में आर्थिक तंगी से चार-चार आत्महत्याएं देख चुका हो और खुद उन हालातों से संघर्ष करते हुयें आगे बढ़ा और दो दर्जन से ज्यादा परीक्षाओं में असफल भी हुआ उसके लिए तो प्रतिदिन आत्महत्या के द्वार खुले थे लेकिन उसने अपने जीवन को चुना पर निराश नहीं हुआ |
एक मुख्य कारण कि ईस्वर ने हमें जो दिया जीने के लिए और हमने फोकस किया उस पर जो हमें मिला नहीं ।आज दुनिया भर में 33% से ज्यादा लोग अपनी नौकरी से संतुष्ट नहीं है और 81% लोग अपने कार्य क्षेत्र को और निजी जिन्दगी के बीच संतुलन न बैठा पाने के कारण परेशान है दूसरा मुख्य कारण आत्महत्या करने का जो प्रमुखता से उभर कर आता है और लोग उस पर ध्यान नहीं दे पाते वह उनका लाइफ स्टाइल और उनका वास्तविक स्टाइल कहने का अर्थ मनुष्य का दोहरा चरित्र जिसमे वो जीता है और वही चरित्र एक दिन उनकी जान ले लेता है और वास्तविक चरित्र की हत्या कर देता है|
जैसे जैसे हम विकास कर रहे है वैसे ही हम एक कदम विनाश की और बड़ा रहे है | आज इंटरनेट पर हर तरह की सामग्री उपलब्ध है जैसे आत्महत्या करना बम्ब बनाना खाने से लेकर आध्यात्मिक ज्ञान तक | आज का युवा का दिमाग सिर्फ गलत दिशा की और पहले कदम बढ़ाता है | साथ ही आज कल का जीवन एकाकी हो गया है एकल परिवार प्रथा फ्लैट्स का रहन सहन और दुसरो से बेहतर दिखने की लालसा हमें अपनों से और अपने आप से दूऱ करती जा रही है क्योंकि दिखावे में हम अपने वास्तविक चरित्र को भूल जाते है | अच्छे कपडे पहनना अच्छी जगहों पर घूमना और बच्चो को अच्छे से अच्छे स्कूल में पढ़ाना , कही न कही हमें आर्थिक रूप से परेशां करने लगता है और हम अपने साथ हो रही समस्याओ में यु घिरते जाते है की हम अपनों से दूऱ हो जाते है |
घर में दोनों पति और पत्नी का नौकरी करना और व्यस्त दिनचर्या, एक ही घर में रहते हुए हम हफ्ते में एक आध बार ही बातचीत कर पाते है | कहने को तो हमारे पास सबकुछ होता है दिखने में भी सब कुछ लेकिन वो सब काल्पनिक होता है और जब लोगो को उसके वास्तविक चरित्र के बारे में पता चलता है तो वो टूट जाता है | असल वो जो बाहर की लाइफ स्टाइल में लोगो को दिखा रहा था वो तो वो था ही नहीं वो तो कोई और ही था |
घर में दोनों पति और पत्नी का नौकरी करना और व्यस्त दिनचर्या, एक ही घर में रहते हुए हम हफ्ते में एक आध बार ही बातचीत कर पाते है | कहने को तो हमारे पास सबकुछ होता है दिखने में भी सब कुछ लेकिन वो सब काल्पनिक होता है और जब लोगो को उसके वास्तविक चरित्र के बारे में पता चलता है तो वो टूट जाता है | असल वो जो बाहर की लाइफ स्टाइल में लोगो को दिखा रहा था वो तो वो था ही नहीं वो तो कोई और ही था |
एक आई पी इस अधिकारी जो तेज़ तर्रार है दुसरो के लिए मिलनसार भी है जिसके नीचें काम करने वाले कर्मचारी उसकी एक आवाज़ में जी सॉब करके हाज़िर हो जाते है, जहा सड़क या चौराहे पर खड़े हो वह रुतबा और मान सम्मान भी मिल रहा है और अपने कार्यो के द्वारा वरिष्ठ अधिकारियो से भी सम्मान पाता है | एक चरित्र तो यह हो गया दूसरा चरित्र की जब वह घर जाता है तो निजी जिंदगी जिसमे पारिवारिक झगडे और अशांति घर में लड़ाई और कलह !जहा बाहर लोग उसकी बात सुनते है वही घर पर उसकी कोई नहीं सुनता | जहा वो पला पढ़ा बड़ा हुआ जिन्होंने उसे यहाँ तक पहुंचाया उस माँ से बात नहीं कर सकता ,लेकिन दूसरे चरित्र में वो दुसरो से हंस कर और अच्छे से मिलता है ऐसा इंसान जब अकेले बैठता है तब सोचता है की मैं हु क्या और अपने दोनों चरित्र को देखता है और सोचता है और काल्पनिक चरित्र उस पर हावी होता है और नकारात्मकता उसे घेर लेती है और वह नकारात्मकता के गहरे सागर में डूबने लगता है लाख कोशिशों के बाद भी वह बाहर नहीं निकल पाता नकारात्मकता के सागर में उसे दूर दूर तक कोई अपनां नहीं दिखाई देता जो उसे उस सागर से बाहर निकल ले और धीरे धीरे उस नकारत्मकता के सागर की गहराई में वो ऐसे डूब जाता है की अगर वो अब खुद भी चाहे तो बाहर नहीं निकल सकता | ऑफिस से लेकर घर तक और सड़क से लेकर अपने दिल तक उसे हर जगह नकारात्मकता ही दिखाई देती है और एक दिन वह व्यक्ति अपने दोहरे चरित्र की हत्या कर देता है जिसे लोग आत्महत्या कहते है|
दुनिया भर में एक तिहाई लोग हाइपर टेंशन की बीमारी से ग्रसित है दस करोड़ लोग अनिद्रा की बीमारी के कारन परेशां है कारन जिंदगी की भाग दौड़ में हम दुसरो से बेहतर कैसे दिखे और कैसे उनसे आगे निकल सके और कैसे अपने अधूरे शौक पुरे करे और उच्च वर्ग में शामिल हो जाए | यही सोच उन्हें रात दिन सताती है और उन्हें सोने नहीं देती और इसी उधेड़ बुन में सुबह हो जाती है और एक असफलता सपनो को तोड़ देती है और वो अपने को हारा हुआ मान लेता है | लोग उस पर हसेंगे ये सोचकर वो अपने को अकेला कर लेता है| ये वही लोग और समाज होता है जो किसी के सुख दुःख में पूछता नहीं है और इंसान उस समाज और लोगो की सोच कर अकेला समझने लगता है |
वर्तमान में सोशल मीडिया में फोटो शेयरिंग की तस्वीरें अपने को बेहतर दिखाने की होड़ मची है विभिन्न स्थानों पर घूमने जाना और फोटो शेयर करना और दुसरो को दिखाना की देखो हम अपनी इस काल्पनिक दुनिया में कैसे एंजोय कर रहे है | जबकि वो एक छोटे से घर में रह रहे होते है उनकी असल जिंदगी जैसे वो सोशल मीडिया में दिखा रहे थे वैसी नहीं थी| कही घूमने जाने के लिए पैसे उधार लेते है या एडवांस या फिर कहीं से और इंतज़ाम करतें है और बाद में आर्थिक संकट उन्हें घेर लेता है | यह संकट पति पत्नी की कई बार झगड़े की वजह भी बन जाता है और एकाकी जीवन पहले से ही जी रहे थे अब कौन हो जिससे हम अपनी बाते कहे क्योंकि सोशल मीडिया में तो हम आज भी राजा दिखा रहे है लेकिन असल में वैसा है ही नहीं |
मोबाइल फ़ोन लेकर एक ही घर में चार लोग घंटो अकेले बैठे रहते है एक ही घर में रहते हुए भी सभी वहां पर नहीं होते, सभी अपनी काल्पनिक दुनिया में गोते लगा रहे होते है और जब हकीकत उन्हें दिखती है तो डिप्रेशन उन्हें घेर लेता है | और जब उनके खर्चे और आवश्यकताएं पूरी नहीं होती तो आत्महत्या दोहरे चरित्र की !
अत्महत्या या डिप्रेशन से कैसे बचा जाए ये बड़ा सवाल है नित्य ऐसे मामले प्रकाश में आ रहे है जहा छोटे से बच्चे माँ की डांट से और बड़े आर्थिक तंगी और बेरोजगारी की वजह से आत्महत्या कर रहे है |
डिप्रेशन हमें घेर न पाए इसके लिए हमें हमेशा एक ऐसे दोस्त को अपने पास रख़ना चाहिए जिससे हम अपनेँ दिल की हर एक बात कर सके और बता सके |
डिप्रेशन से बचने का सबसे सफल काम यह है की हम जब भी किसी को कुछ कह न पाए जैसे अपने से बड़े आपको डांटते है तो आप चुपचाप सुन ते है लेकिन कुछ कह नहीं सकते गुस्सा ज्यादा आता है लेकिन दिखा नहीं सकते और कही न कही हम अंदर ही अंदर सोचने लगते है |
ऐसे में सबसें सफल इलाज है जो हम खुद कर सकते है की हम एक कागज़ और पेन ले और अपने से बड़ो से जो भी कुछ कह सकना चाहते थे सब पूरा गुस्सा उस पर लिख डालिये सच मानिये आपका गुस्सा और डिप्रेशन आधा हो जायेगा और उस कागज़ को जला दीजिये अपनी हर एक बात को ईश्वर से से बता दीजिये |
कभी भी अपने आप को अकेला न होने दे न ही ऐसा सोचे की आप अकेले है और आप की कोई नहीं सुनता क्योंकि बात करने से ही बात बनती है |
क्योंकि जब हम ऐसा सोचते है तो नकारात्मक ऊर्जा हमें घेर लेती है और हम अवसाद में चले जाते है | जिंदगी को हमेशा जीत कर जिए और मौत को हमेशा हराकर मारें |
क्योंकि जो चला जाता है उसे अपनों के खोने का खुद मालूम ही नहीं होता दुःख तो उसे होता है जिसका अपना चला जाता है उस पिता से पूछो जिसके कंधे पर बेटे की अर्थी निकलती है उस माँ से पूछो जिस बेटे को उसने पाल पोष कर बड़ा किया और वो उसकी आँखों के सामने ही चला गया | अब उनके पास जीने के लिए बचा ही क्या जिसको लेकर घर बनाया सपने संजोये अब वो हो नहीं तोई क्या जीए |
ज़िन्दगी मिली है जीने को
तू क्यों चुनता है मौत को
जिस माँ ने जन्म दिया
आगे बडकर सपने उसके पुरे करने को
क्यों छोड़ गया तू उसको अधमरा जीने को ।
यह लेख आपको कैसा लगा कमेन्ट जरूर करे।
आपका
पंडित आशीष त्रिपाठी ।