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आज हम जिस युग में जी रहे हैं वह 21वीं शताब्दी है लेकिन जो युग है वह कलयुग है ।कलयुग के विषय में हमारे धर्म ग्रंथो में अनेक बातें लिखी गई हैं ।जो निरंतर प्रत्येक 10 साल के अंतर पर हमें कलयुग का आभास करा भी देती है। और यह सौंदर्य पिशाच इन प्रत्येक 10 सालों में और ताकतवर होता जा रहा है । वर्तमान में या यूं कहें कि 70 साल पहले जो पिशाच छोटा था आज 70 साल में पहले से विशाल हो गया है । लेकिन हम सब इस सौंदर्य पिशाच से अनजान है और यह सौंदर्य पिशाच समय के साथ में धीरे-धीरे हमे खत्म करता जा रहा है। हमारे पुराणों में उल्लेख किया जाता है इस कलयुग के अंतिम समय में एक व्यक्ति औसत आयु 20 वर्ष के करीब होगी और महिलाएं 12 से 15 वर्ष की आयु में मां भी बन जाएंगे। बच्चे एक साल में बोलना और स्कूल जाना सीख जाएंगे। शायद आप इन सब बातों पर यकीन न करे ।लेकिन सौंदर्य पिशाच के कई साक्ष्य सबूत हमें टेलर रूप में आज भी दिखाई पड़ जाते हैं। वर्तमान युग में वर्तमान से भूतकाल अर्थात करीब 200 साल के पुराने इतिहास को देखें तो बहुत कुछ बदल चुका है ।खान-पान से लेकर रहन-सहन बोलचाल संस्कार और संस्कृति सभी कुछ बदल चुका है । अगर से हम मनुष्य की औसत आयु की बात करें तो वर्तमान की तुलना में भूतकाल से करें तो खुद ही पता चल जाएगा। जहां आज के इंसान की औसत आयु 60 वर्ष है पहले यह औसत आयु 100 वर्ष या उससे भी अधिक हुआ करती थी ।बच्चे जहां 5 वर्ष 5 माह के बाद ही स्कूली शिक्षा लेते थे आज 2 वर्ष मे स्कूल जाने लगते है । बोलना बैठना और ऐसी कई चीजें 1 वर्ष के अंतराल में ही सीख जाते हैं अर्थात कलयुग के अंत में औसत आयु जो धर्म ग्रंथो में जो उल्लेखित है 20 वर्ष होगी जो अभी 60 वर्ष है तो यह संभव हो सकता है बच्चे स्कूल जाना 6 माह या 1 वर्ष में जाएगा तो 5 माह 5 वर्ष से आज 2 वर्ष हो गया यानी यह संभव हो जाएगा तो कलयुग आने का यह कलयुग का संभावित वर्णन लिखा हुआ है वह कहीं नहीं ट्रेलर के रूप में आज हमारे सामने आ ही जाता है। कलयुग के अंत में लिखी गई है बात सच होती दिखती है जैसे लड़के और लड़कियां जहां 10 वर्ष की आयु के बाद समझदार होते थे और सामाजिक गतिविधियां सीखते थे आज उस उम्र में या उससे पहले कई ऐसी चीजें सीख जाते हैं जो सामाजिक रूप से कतई ठीक नहीं होती लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह सब संभव कैसे हो पा रहा है। यह यह संभव हो पा रहा है उस पिशाच के द्वारा जो धीरे-धीरे विशाल होता जा रहा है और हमें आगोश में लेता जा रहा है । जो दिन प्रतिदिन बड़ा होता जा रहा है और नष्ट कर रहा है हमारे विचारों को संस्कृती को और धरोहरों को प्रेम को ।हम चाह कर भी उसका मुकाबला नहीं कर पा रहे और ना ही कर सकते हैं ।ऐसे दिन पर दिन हमें अपने जाल में वह सौंदर्य पिशाच फांसता जा रहा है और हम फंसते जा रहे हैं आंखें बंद करके हम जैसे जानते ही नहीं है और जानना भी नहीं चाहते हैं क्योंकि यह से सौंदर्य पिशाच ने हमें ऐसा बना दिया है कि हम कुछ सोच भी नहीं सकते। माता-पिता का दिमाग ऐसा कर दिया है कि वह अपने बच्चों से प्यार कम और नफरत ज्यादा करने लगते हैं और अपने बच्चों को नफरत ईश्वर के प्रति सोच और गुस्से से लबरेज कर रहे हैं। कौन है यह सौंदर्य पिशाच और क्या हम सब जानते हैं इस बारे में नहीं आप में से कोई नहीं जानता इस सौंदर्य पिशाच को। क्योंकि सौंदर्य पिशाच पहले यह एक की संख्या में हुआ करते थे आज है परमाणु बम की तरह अनेक संख्या में हमारे बराबर और हमसे बड़े होकर कहीं ना कहीं हमारे साथ घुल मिल चुके हैं ।एक व्यक्ति में एक से अधिक दो या तीन सौंदर्य पिशाच निवास करते हैं समय-समय पर यह अपना रूप भी बदल कर सामने आ जाते हैं ।लेकिन हम चाह कर भी वह सौंदर्य पिशाच को नहीं देख पाते हैं ।आगे हम बताएंगे कैसे उस सौंदर्य पिशाच से बचा जा सकता है और कैसे हम अपनी संस्कृति संस्कार और धरोहरों को बचा सकते हैं ।