जिसका डर था वही हुआ ना
आखिर यूक्रेन में रूस के निरंतर हमलावर होने के बाद जिसका डर था वही हो गया भारतीय छात्र कर्नाटक का रहने वाला नवीन शेखरअप्पा उस समय एक धमाके का शिकार हो गया जब एक पेट की आग बुझाने के लिए राशन की कतार में खड़ा था इस दर्दनाक हादसे का यह असर हुआ कि भारतीय छात्रों में भगदड़ मच गई है प्रत्येक छात्र छात्रा डरी सहमी है वह ऐसे स्थान की तलाश में भागते ही जा रहे हैं जहां उन्हें बम और मिसाइलों के धमाके ना सुनाई दें बहुत ही बुरे हालात हैं यहां उनके परिवारों के हालात भी बहुत बुरे हैं पल-पल वह टीवी मोबाइलों से अपने बच्चों के संपर्क में बने हुए हैं भारतीय दूतावास में लगातार फोन खनखना रहे हैं अधिकारी उड़ानों के विषय में बताते बताते परेशान हैं जिसमें एक ही निवेदन होता है कि कैसे भी हो सके उनके बच्चों को बचा कर ले आए यहां तक हालात यह हैं कि अभिभावक इस कदर उतावले हैं कि उनके बच्चों को जो भी सूरत हो सुरक्षित ले आया जाए भारतीय छात्र की मौत के बाद स्थितियां बहुत ही खराब हो गई है हालांकि भारत 3 दिन में उड़ाने बढ़ाने की तैयारी में जुट गया है किंतु यूक्रेन में फंसे छात्र छात्राओं की जो सूचना मिल रही है कि दहशत में बदहवास अवस्था में भागते भागते थक चुके हैं और व्यवस्थाएं ऐसी हैं कि भूखे छात्र छात्राओं को और प्यास भी परेशान करती जा रही है उसके बाद जैसे ही वे भूख प्यास मिटाने के लिए निकलते हैं वैसे ही धमाका हो जाता है बेचारे फिर से दुबक जाते हैं भारत सरकार करे भी तो करे क्या वह भली भांति जानता है किंतु वह हाथ पर हाथ धरे तो बैठा तो नहीं है उसके भी प्रयास जारी हैं फिर भी वहां के हालातों को देखते हुए भारत सरकार को प्रयास बढ़ाने चाहिए यही अपील के साथ मृत छात्र की आत्मा की शांति के साथ उनके परिवार को भी हिम्मत रखने की सांत्वना देता है |