क्या है प्यार ?
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आज की २१ सदी में प्यार होना लडके और लड़की के बीच में आम बात है लेकिन ये आम बात कभी कभी दो ज़िन्दगियो और कई परिवारों और पीदियो की दुश्मनी और जान लेने का कारण तक बन जाती है /कभी दोस्त कभी फ्रेंड तो कभी घर के रिश्तेदार से ही हो जाता है प्यार क्यों ?
क्या प्यार कोई दवा है या कोई दुआ है क्या है ये प्यार ?
और क्यों हो जाता है हमे किसी और से प्यार /
आज के समय में लडके लड़कियों को एक दुसरे तीसरे और चौथे और न जाने कितनो से दिन महीनो और सालो के हिसाब से प्यार हो जाता है /
प्यार करने वाले बदलते रहते है क्यों ?
प्यार न दिखाई पड़ता है न ही उसे हम है छू सकते है न ही हवा और खुशबू की तरह उसकी सुगन्ध महसूस कर सकते है \
बस यु ही प्यार हो जाता है किसी ने कहा है की इश्क यानि प्यार और मुश्क यानि खुशबु छुपाए नही छुपते , तो ये दिखाई भी कैसे पड़ते है ,कोई कहता है की शैतानी आँखों की और गलती दिमाग सज़ा बेचारे दिल को भुगतनी पड़ती है /तो कोई कहता है की इश्क और गम एक ही सिक्के के दो पहलू है जिसको उछालने पर कई चक्कर घुमाने के बाद हमेशा गम ही हाथ में आता है /ये गम जहा आंशुओ के रूप में गुमशुम निगाहों के रूप में दिखाई पड़ जाता है वही प्यार आँखों की चहल कदमी और चेहरे की ख़ुशी से मालूम पड़ जाता है ./
लेकिन ऐसा क्या होता है की जन्म देनी वाले माँ पिता से ज्यादा कोई और अच्छा लगने लगता है उनके प्यार देने के बाद हमे किसी और का प्यार ज्यादा अच्छा लगने लगता है /अपने बच्चो की प्रत्येक जरूत को पूरा करने के बाद भी चलना। और बोलना खाना खिलाना सिखाने के बाद भी बच्चे अपने मम्मी पापा के प्यार को भुला देते है और चन्द दिनों के प्यार में उनको प्यार के देवता नज़र आते है /
आखिर माता पिता के प्यार में कमी रह गई थी क्या, या फिर उस लडके या लड़की के प्यार में माँ बाप के प्यार के मुकाबले ज्यादा शक्ति थी /
लेकिन क्या बच्चो की जरूरते को पूरा करना ही प्यार है ?
क्या अच्छी शिक्षा दिलवाना प्यार है ?
क्या अच्छे कपडे दिलवाना प्यार है ?
या अच्छी सोसाइटी में रहना प्यार है नहीं नहीं ये प्यार नहीं ये तो बच्चो की अवश्यक्ताओ को पूरा करना है यहाँ प्यार तो है ही नहीं ये तो बच्चो की अवश्यक्ताओ की पूर्ति थी/ उनके कहने और न कहने पर हर जरोरतजरोरत को पूरा जरूर किया लेकिन हमने उन्हे जरुरी प्यार तो दिया ही नहीं /
कई लडके लडकियों से बात करने पर ये बात सामने आई की वो लड़का
या
लड़की ज्यादा प्यार करते है जिन्हे घर से कम प्यार मिला या जिनके माता पिता घर पर बच्चो को कम समय देते है / ये प्यार शारीर में खून की तरह ही जरुरी है जब शरीर में खून की कमी होती है तो डाक्टर खून चडाने के लिए बोलते है और हम उसी ब्लड ग्रुप का खून चडाते है / लेकिन जब प्यार की शक्ति या उर्जा शरीर में कम होती है तो वो उर्जा प्यार की हमे बाहर से लेने पड़ती है /जो प्यार का नाम कहलाता है /अब ये कैसे पता चले की हमारे बच्चे के शरीर में कितना है और कितना प्यार हमने उसे दिया ये कैसे पता चले इसकी तो कोई मशीन भी नहीं आती / लेकिन अमेरिका में हुई एक घटना जिसमे जन्म के एक हफ्ते के बाद नवजात शिशु की मौत हो जाती है वेंटी लेटर पर खने के बाद भी डाक्टर उसे नहीं बचा पाए और उसे मृत घोषित कर दिया लेकिन उस माँ ने जिसने जन्म दिया था नहीं मानी और उसे अपने सीने से लगा कर इतना प्यार दिया की वो शिशु फिर से जिन्दा हो गया / ये डाक्टरों लिए आश्चर्य की बात थी / लेकिन ये एक चमत्कार था ,क्योंकि ईश्वर भी उस माँ के प्यार के आगे झुक गया /
प्यार शरीर में खून ,नसों और हड्डियों ,मांस में बहने वाली वो उर्जा है जो हमेशा शरीर को स्वस्थ और हमे खुश रखती है ,खून तो शारीर को बाहर से मजबूत बनाने में मदद करता है लेकिन प्यार शरीर को अन्दर से मजबूत बनाने में मदद करता है,प्यार एक प्रकार की उर्जा तरंगे होती है जिसकी जरुरत प्रत्येक शरीर को होती है /और वो उर्जा तरंगे हमे हमारे अपनों से ज्यादा मिलती है तब हम अपनों से ज्यादा प्यार करते है और वही उर्जा तरंगे हमे दूसरो से मिलती है तो हम दूसरो से ज्यादा प्यार करते है /
आज के समय में क्या है जो बच्चे दूसरो से ज्यादा प्यार करते है अपनों की तुलना में उनके यहाँ होता क्या है की बचपन से ही माँ बाप का प्यार कम मिलता है वो कैसे ?
जो बच्चे फॅमिली प्लानिंग। से पहले ही आ गए उनसे माँ कम प्यार करती है क्योंकि वो अपनों जिंदगी का एंजोयमेंट उसकी वजह से खो चुके होते है दूसरा की बच्चो को खुद चुप न करवाकर दूसरो का सहारा लेना देखो न बच्चा क्यों रो रहा है चुप ही नहीं हो रहा है मेरी समझ में ही नहीं आ रहा है जो माँ - माँ होकर बच्चे को न चुप करवा सके जिसने जन्म दिया है जिसका शरीर का ही अंश है वो अपने ही अंश का दर्द नहीं समझ पा रहे है/ और बच्चे रात में माँ और डैड की नींद न ख़राब कर दे इसलिएडायपर्स है न , डायपर्स का प्रयोग करने लगते है / विदेश में हुई एक घटना में माता पिता अपने बच्चे को रात में सोने से पहले पैरासिटामाल की दुगनी खुराख देते थे ताकि बच्चा रात में उन्हे परेशान न करे / ऐसे मामले में माता पिता को जेल तक जाना पड़ा था /
बच्चा और बड़ा हुआ तो ड्राई फ्रुड देना चुप करवाने के लिए खिलौने और बड़ा हुआ तो कार्टून टी वी चालू कर के बैठाल दिया /अब बच्चा खुद ही शांत हो गया अब उसे माँ से ज्यादा कार्टून अच्छे लगने लगे/
बहूत से घरो में इन सब कामो के लिए बच्चो के लिए आया लगी हुई है जो बच्चो की देखभाल करती है न की उसे प्यार देती है / अब इतनी सब बातो से ये मालूम पड़ा की जो उर्जा तरंगे माता पिता के शरीर से निकल कर बच्चो तक जानी थी वो तो पहले डायपर्स ने रोक ली क्योंकि बच्चा अगर रात में चार बार भी गीला करता तो माँ या पिता या दोनों उसे चुप करवाकर फिर से. सुलाते ये प्यार होता दोनों का अपने बच्चे के लिए जो नहीं पंहुचा बच्चो तक /फिर बड़ा हुआ रोया तो कार्टून और बहार की चीजों से चुप हो गया , अगर आप खुद चुप करवाते तो कम से कम पांच मिनट तो उसे अपने सीने से चुप करवाते प्यार की उर्जा तरंगे उस तक पहुचती लेकिन नहीं अपने फिर उसके हिस्से का प्यार नहीं दिया /अब शरीर में प्यार की कमी तो होगी ही न ! फिर काम वाली आया जो पैसे लेकर बच्चो की देख भाल कर रही है या वो स्कूल जो बच्चो की देख भाल करने के लिए खोले गए है वो पैसे लेकर भी वो उर्जा तरंगे अपने शारीर से नहीं निकाल सकते जो बच्चो को अपने माता पिता से मिलनी थी /
आपकी प्यार की उर्जा जब जब बच्चो को पड़ती है तब तब बच्चे उनसे दूर हो जाते है और ऐसे न जाने कितने मौके होते है दिन में जब हम उन्हे जरुरी प्यार नहीं दे पाते आवश्यकता तो पूरी कर देते है, ऐसे धीरे धीरे उनके शरीर में प्यार की कमी होने लगती है और बच्चा जब बड़ा होता है तो उसका शरीर प्यार की उर्जा तरंगो की आवश्यकता महसूस करता है जो उसके शारीर के लिए जरुरी होती है और जब उस बच्चे की ओर कोई प्यार भरी निगाहों से देखता है इन्ही आँखों से प्यार की उर्जा तरंगे भेजता है तो शरीर उन्हे स्वीकार कर लेता है और हमे प्यार हो जाता है उससे और हमे वो अच्छा लगने लगता है /और माता पिता के प्यार की उर्जा तरंगे तो पहले से ही कम थी अब वो प्यार दूसरो ने पूरा किया तो उसे ज्यादा मनाने लगते है माता पिता से ज्यादा क्योंकि शरीर में जिसका प्यार ज्यादा होगा
शरीर
उस ओर ही खिचेगा ,और उसकी ही बात ज्यादा मानेगा /अब आप सालो बाद जब आपके लड़का या लड़की प्यार के जाल में फस जाते है और आप ये कहते नज़र आते है की मेरे प्यार में कहा कमी रहा गई थी तो आप बखूबी जानते है की कमी कहा रह गई थी /अब अगर
शरीर
में जरुरी चीजों की कमी होगी तो
शरीर
उनकी मांग करता है और बहार से अगर मिल रही है तो
शरीर
उन्हे ले लेता है /लेकिन वो बच्चे जिन्हे घर से पूरा प्यार मिलता है उन्हे न बहार की चीजे अच्छी लगती है न बहार के लोग अब अगर उनकी ओर कोई प्यार से देखता भी है तो उनका
शरीर
उन प्यार की उर्जा तरंगो को ग्रहण ही नहीं करता है /क्योंकि उनके
शरीर
में पहले से ही प्यार है अपने माता पिता का और बहरी व्यक्ति का माता पिता के प्यार से टकराकर वापस चाला जाता है /हमे हमारे माता पिता से ज्यादा प्यार कोई नहीं दे सकता क्योंकि माता पिता का प्यार अतुलनीय है औरों के प्यार से तौला नहीं जा सकता है /और इस दुनिया में माता पिता और उनके प्यार जैसा कोई है ही नहीं /इसलिए अगर हम बचपन से बच्चो का अपना प्यार दे रहे है जो प्यार बच्चो को स्पर्श करने से उन तक पहुच रहा है वो कार्टून खिलौनों से नहीं मिल सकता /और ऐसे बच्चो की आंखे किसी से मिलकर दो चार नहीं होती है बल्कि माता पिता का वो प्यार उन्हे अन्दर से मजबूत बना देता है की वो ऐसे ही अपना दिल और दिमाग किसी को न दे दे /क्योंकि माँ और पिता का प्यार ही निःस्वार्थ है बाकि तो प्यार स्वार्थ वश करते है इसका एहसास जब सब कुछ ख़त्म हो जाता है तब होता है /
ASHISH TRIPATHI KANPUR
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