Sunday, March 6, 2022

धमाके पर मुंह से बरबस निकलती हैं आहें

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जिन विषम परिस्थितियों में यूक्रेन से युद्ध जैसी बड़ी त्रासदी में बम धमाकों के बीच से निकलकर आए छात्र-छात्राओं की सलाम करना चाहिए क्योंकि  उन्होंने ऐसी विषम परिस्थितियों में अपने हौसले को कम नहीं होने दिया जहां तक जो बच्चे अभी भी वहां फंसे हुए हैं उनका तो हाल बुरा है ही साथ ही उनके भारत में मौजूद अभिभावकों को कितनी बुरे हालातो  से गुजरना पड़ रहा है उनके मुंह से बरबस यही है निकल रहा है कि बुद्धि मारी गई थी जो बच्चे का भविष्य बनाने के लिए धमाकों की भट्टी में झोंक दिया जिसमें अगर  पिता ने बच्चों को यूक्रेन जाने की पैरवी की है तो माँ ने उनका जीना हराम किए हुए हैं कि तुम ही ने बेटे या बेटी को आग की भट्टी में झोंका है अगर उसे कुछ हो गया तो जिंदगी भर माफ नहीं करूंगी ऊपरवाला किसी तरह से मेरे बच्चे को सुरक्षित वापस घर ला दे तभी दिल को चैन मिलेगा माताओं की इस समय बेहद दयनीय स्थिति है अज्ञात आशंकाओं से ग्रसित इनके कान आंखें टीवी चैनलों के पर्दे में लगी हैं कभी मोबाइल की तरफ देखते हैं मोबाइल की घंटी बजते ही अज्ञात आशंका से वो डरते हुए फोन उठाते हैं जिसमें बस एक ही बात होती है जैसे किसी करीबी का फोन आता है तो पूछ तो वह फोन पर ही बिलख पड़ती है बार-बार विदेश मंत्रालय फ़ोन मिलाया जा रहा है अधिकारी भी दिलासा देते देते परेशान है कि आखिर वह क्या करें उड़ाने तो अपनी तरफ से पूरी कोशिश में लगे हैं कि जल्द से जल्द पूरी भारत की दुरी तय की जाएं पायलट जैसे ही युक्रेन से उड़ान को इंडिया की सरजमी पर ब्रेक लेता है उस समय अभिभावकों के हालात देखने वाले होते हैं इस प्लेन में जिनके बच्चे नहीं आ पाते उनके बुरे हाल होते हैं रोते-रोते उनका बुरा हाल होता है और फिर से नई उम्मीद से अपने बच्चो की कुशल वापसी की प्रार्थना करने लग जाते है |

Posted By KanpurpatrikaSunday, March 06, 2022