तीसरे दौर की बातचीत के पूर्व जिस तरह से रूस और यूक्रेन के बीच एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं उससे यह तय हो गया है कि इस शांति समझौते की टेबल में 11 दिन बाद भी कोई निष्कर्ष निकलता नहीं दिख रहा है जिससे युद्ध विराम की स्थिति हाल फिलहाल तो नहीं दिख रही है बल्कि इस बात का सबसे बड़ा डर है कि अगर यह वार्ता विफल होती है तो उत्तेजना में रूस हमले और तेज कर सकता है विदित हो कि 11 दिन में सबसे ज्यादा नुकसान यूक्रेन के शहर ओडिशा खानकिव विनित्सिया का हुआ है इन्हीं ने सबसे ज्यादा आक्रमण झेले हैं हालांकि यूक्रेन की राजधानी कीव पर भी हमले तेज़ है जहां तक यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की ने रूस पर आरोप लगाया है कि रूसी सेना लगातार उनके ऊर्जा संयंत्रों पर कब्जे की कोशिश में लगा है जिससे रूस में दो यूक्रेनी परमाणु सयंत्रो पर कब्जा भी कर लिया है तथा वह लगातार तीसरे पर कब्जे की ओर बढ़ रहा है जबकि रूस का आरोप है कि यूक्रेन राष्ट्रपति ने न्यूक्लियर बम बनाने की ओर से जोर शोर से तैयारी करवा रहे हैं इस तरह के तीसरे वार्ता के पूर्व जिस तरह से आरोप-प्रत्यारोप चल रहा है उससे यह बात तो स्पष्ट है कि युद्धविराम के लिए दोनों देशों की बातचीत में रूस तो झुकने वाला नहीं है क्योंकि वह यूक्रेन पर हावी है वह अपनी हर शर्त को यूक्रेन पर थोपेगा ऐसी सूरत में यूक्रेन जैसा छोटा देश यह भली बात जानता है कि रूस से लड़ने की हैसियत में नहीं है किंतु युद्धविराम की समझौते की टेबल में वह भी चाहेगा कि रूस उसके सामने ऐसी बात रखें उसका भी सम्मान बना रहे कहने का आशय यह है कि उसकी भी सुनी जाए क्योंकि उसका नुकसान जो होना था वह हो चुका है लिहाजा नहीं लगता है कि यूक्रेन रूस की शर्तों पर सहर्ष हथियार डाल देगा बहरहाल दुनिया भर के देशों को तीसरे दौर की दोनों देशों के बीच होने वाली वार्ता में युद्धविराम की उम्मीद काफी कम लगती है किंतु फिर भी वह चाहते हैं कि 11 दिन के इस युद्ध का अब विराम हो जाना चाहिए बात तो वहीं पर आकर अटक गई कि क्या यूक्रेन रूस के सामने इस तीसरे दौर में हथियार डालकर उसकी सारी बातें तो शर्त मान लेगा ऐसा होता तो नहीं दिख रहा है किंतु हमारी यही गुजारिश और दुआ भी है कि युद्ध विराम होना चाहिए क्योंकि युद्ध में नुकसान ही नुकसान है |