ख़राब ग्रह और बाधक ग्रहों के उपाय :-
जानिए कुंडली में बाधक ग्रह कौन से होते हैं ।
प्रत्येक कुंडली में बाधक ग्रह अपनी एक भूमिका जरूर निभाता है ।इसका तात्पर्य यह है कि किसी भी कार्य में बाधा या रुकावट उत्पन्न करने वाला ग्रह ।
जबकि भारतीय ज्योतिष ग्रंथों में बाधक दोष या ग्रह का विस्तृत वर्णन नहीं मिलता है ।इसलिए यह शोध का विषय है। जब भी कुंडली के अध्ययन करते समय कोई ग्रह देखने में योग कारी व लाभकारी प्रतीत होता है परंतु वहीं गृह वास्तविकता में जातक को अशुभ फल दे रहा होता है ।ऐसा ग्रह ही कुंडली में बाधक ग्रह की भूमिका निभाता है ।
इसको ऐसे भी समझ सकते हैं कि जब भी कुंडली में चर स्वभाव की लग्न जैसे मेष कर्क तुला मकर क्रम संख्या में समझे तो 1,4,7 ,10 क्रमांक की लग्न हो तो एकादश भाव 11वे भाव को बाधक भाव कहते हैं और यहां स्थित राशि के स्वामी ग्रह को बाधक ग्रह कहते हैं जैसे मेष राशि के लिए बाधक भाव हुआ 11वां और यह राशि कुंभ है कुंभ राशि के स्वामी शनि हुए अर्थात मेष लग्न के लिए बाधक भाव 11वा और राशि कुम्भ उसके स्वामी हुए बाधक ग्रह शनि हुए।
ऐसे ही जन्म लग्न में स्थिर राशि वृष सिंह वृश्चिक कुंभ अर्थात 2,5,8, 11 क्रमांक वाली राशियां।
कुंडली में नवम भाव बाधक वा इसमें स्थित राशि स्वामी ग्रह बाधक रहता है जैसे वृष राशि का नवम भाव में क्रम आएगा मकर राशि मकर के स्वामी ग्रह हुए शनि शनि ग्रह होंगे तीसरी बात आती है इस अभाव राशि जिनकी राशियां है मिथुन कन्या मीन तथा क्रमांक राशि 369 12 दिन बाद लगभग होता है सप्तम भाव और बाधक राशि वाली बकरे हुआ उसका स्वामी वृष राशि मिथुन में सप्तम भाव हुआ बाधक और क्रम राशि यहां पर आती है अर्थात मकर और स्वामी ग्रह गुरु तो यहां पर गुरु ग्रह बाधा कहलाएंगे अब बाधक ग्रहों की दशा अंतर्दशा में यह ग्रह अशुभ फल प्रदान करते हैं जैसे रोग शोक हानी अपयश और दुख देते हैं यह परिवार से वियोग का भी कारण बन सकते हैं अर्थात इनकी दशा अंतर्दशा जब आएगी तो जातक अपने परिवार से दूर जा सकता है ज्योतिषी के अनुसार बाधक ग्रह तब प्रबल होता है जब वह छठे भाव के स्वामी से युक्त ऐसे जातक शत्रु द्वारा आर्थिक दहित सामाजिक रूप से कष्ट भोगता है बाधा भाव के स्वामी की अपने भाव से केंद्र या त्रिकोण में स्थित हैं तो वह बलवान स्थित में होगा और ऐसी अवस्था में बाधक ग्रह का दोस्त थोड़ा बढ़ जाता है वहीं आकर अशुभ स्थान 368 12 में बाधक ग्रह स्थित हो तो वह थोड़ा निर्बल स्थित में होगा इस प्रकार कुंडली में हम बाधक ग्रह की भूमिका को समझ सकते हैं अगर आप भी अपनी कुंडली में बाधक ग्रह को समझना चाहते हैं तो किसी योग्य ज्योतिषी से अपनी कुंडली का विश्लेषण कराने के बाद ही पीसी निष्कर्ष पर पहुंचे अगर आपको बाधक ग्रहों के उपाय समझने हो तो हमें कमेंट बॉक्स में लिखें हम आपकी कुंडली में बाधक ग्रह कौन हैं और उनसे संबंधित उपाय क्या हैं हम आपको कमेंट बॉक्स में बता देंगे ज्योति संबंधी यह जानकारी आपको कैसी लगी कमेंट द्वारा आप बताएं कल फिर मिलेंगे एक नई जानकारी के साथ तब तक के लिए नमस्कार
108 ग्राम की मात्र में दही
ले और जो बाधक या ख़राब ग्रह हो उससे सम्बंधित वस्तु दही में मिला दे दोनों का
मिश्रण 108 ग्राम से ज्यादा न हो |
ग्रह वार को और उस ग्रह को
होरा में शिव मंदिर जाय और शिव लिंग में 108 ग्राम दही को तीन भागो में शिव लिंग
पर चढ़ाए | पहली बार दही मिश्रण चदाये और शिव लिंग को गंगा जल से धोवे फिर दही
मिश्रण चढ़ाए फिर गंगा चल से शिव लिंग को साफ करे फिर तीसरी बार दही मिश्रण चढ़ाए और
गंगा जल से धोए और प्राथना करते जाए की हमारे ख़राब या बाधक ग्रह की बाधकता को दूर
करे और अंत में ॐ नमः शिवाय का ज़प करते हुए ग्रह से सम्बंधित 12 पुष्प शिव लिंग
में अर्पित कर दे |
ग्रह वस्तु फूल
सूर्य जावित्री लाल पुष्प
चन्द्र दही सफ़ेद
पुष्प
मंगल शहद लाल
पुष्प
बुध घी हरा
पुष्प
गुरु केशर साथ में हल्दी पीला पुष्प
शुक्र गुलाब जल सफ़ेद पुष्प
शनि सरसों का तेल नीला फूल