देश के नेता नहीं है भ्रष्टाचारी ये मैं क्यों कह रहा हु आप सोच रहे होंगे क्योंकि जो दिखता है वो बिकता है ... के नाम पर सिर्फ नेताओ प्रशासन शासन और सरकारी अधिकारियो को भ्रष्टाचारी बता देना कहा की समझदारी है क्यों
क्योंकि एक चाय की दुकान में काम करने वाला नौकर जिसको दिन भर में मात्र 50 से 100 रूपए दिहाड़ी मिलती है वो भी दिन भर भ्रष्टाचार करके (उपरी आमदनी ) करके 20 से 30 या अधिक कमा लेता है क्या आप जानते है ये भी एक प्रकार का भ्रस्ताचार है
दूसरा ऑफिस में कामकरने वाला बन्दा भी क्या अपने को मिलने वाली पगार के हिसाब से kama ईमानदारी से करता है नहीं और न ही ईमानदारी से काम करने वाले को कम्पनी उतना वेतन देती है यानि दोनों ही भ्रस्ताचार फैला रहे है
तीसरा सड़क पर फल आया अन्य सामान बेचने वाले क्या आपसे सही कीमत लेकर आपको सही चीज़ देते है नहीं यानि वो भी भ्रष्टाचार फैला रहे है तो फिर सिर्फ नेता ही क्यों ...
साधू महात्मा जो सत्य का ढोंग करते है क्या वो सही शिक्षा अपने अनुयाइयो को देते है नहीं चाहे अभी हाल मे ही मथुरा में पकडे गए महाराज जी वो या दिल्ली में पकडे गया बाबा या फिर जिनका उपदेश आप अपने टीवी चैनेल्स पर देखते है .... सभी भ्रष्ट है
फिरे पुलिस प्रशाशन मुर्दा बाद क्यों
चौथा सरे लिहाज़ से चौथा खम्भा मीडिया क्या ये सही है सभी जानते है की आज की मीडिया की कलम में भर्ष्टाचार की कितनी स्याही भरी हुई है किसी ने कहा है की आज की मीडिया एक चाभी से चलने वाले खिलौने की तरह है जितना भरोगे उतना ही चलेगा नहीं भरोगे तो पाता नहीं कहा और कैसे चलेगा ...
फिर कुछ लोगो को ही भ्रष्टाचारी बता देना कहा की अक्लमंदी है