मंत्रों के जप का सही तरीका ,पूरी होगी मनोकामना
इस
तरह मंत्रों का जप करें आपकी हर मनोकामना पूरी होगी
भगवान राम ने माता शबरी के निवेदन पर उन्हें भक्ति का ज्ञान देते हुए कहा
है कि 'मंत्र जप मम दृढ़ विश्वासा! पंचम भजन सो वेद प्रकाशा!
अर्थात् मंत्र जप करना भी मेरी पांचवीं प्रकार की भक्ति है, ऐसा वेद भी कहते हैं। तात्पर्य यह है कि कोई भी प्राणी कल्याण कारक
मंत्रों को उस मंत्र के योग्य जपनीय माला द्वारा सविधि जप करके अपने कार्य को
सिद्ध करके इष्ट को प्राप्त कर सकता है।
मंत्रों का जप करने पर भी अगर सफलता नहीं मिलती है तो इसका एक बड़ा
कारण यह होता है कि लोग जिस मनोकाना की पूर्ति के लिए जप करते हैं उसके अनुकूल
माला का प्रयोग नहीं करते। इसलिए जप में माला का बड़ा महत्व बताया गया है।
जिस माला से जाप करना है उसका संस्कार व शुद्धि करना भी जरूरी है। एक पात्र
में पंचगव्य (गाय का दूध, दही, घी, गोबर
और गोमूत्र) लें। उसमें थोड़ी-सी कुशा डालें दें और इससे माला को शुद्ध करें। फिर
गायत्री मंत्र बोलते हुए माला को हिलाएं। इसके बाद पीपल के पत्तों पर माला को रखकर
गंगाजल से स्नान कराएं।
मंत्र जाप अथवा साधना करते समय सर्वप्रथम स्नानादि से निवृत होकर
आसन स्थापित करें। उसके बाद पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके दीप प्रज्ज्वलित करते
हुए यह मंत्र पढ़ें-
`दीपो ज्योतिः परं ब्रह्म दीपो
ज्योतिर्जनार्दनः। दीपो हरतु मे पापं, पूजा दीप नमोऽस्तुते।
शुभं करोतु कल्याणं आरोग्यं सुखसम्पदाम्। शत्रु बुद्धि विनाशाय पूजा दीप
नमोऽस्तुते।’
इसके बाद अपने इष्ट देव की पंचोपचार या षोडशोपचार पूजा करके जपनीय
माला के सुमेरु को दोनों नेत्रों के मध्य ब्रह्मरंध्र पर स्पर्श कराते हुए इस
मंत्र को बोलते हुए माला को अभिमंत्रित करें-
`ऊं मां माले महामाये सर्वशक्ति स्वरूपिणी। चतुर्वर्गस्त्वयि
न्यस्तस्तस्मान्मे सिद्द्धिदा भव।
ॐ अविघ्नम् कुरु माले त्वं गृह्णामि दक्षिणे
करे। जपकाले च सिद्ध्यर्थं प्रसीद मम सिद्धये।
ॐ अक्षमालाधिपतये सुसिद्धिं देहि
देहि सर्वमंत्रार्थसाधिनि साध्य-साध्य सर्वसिद्धि परिकल्पय परिकल्पय मे स्वाहा।’
जब जप पूर्ण हो जाए, तो पुनः उसी माला को
ब्रह्मरंध्र के मध्य रखें और यह मंत्र ' ॐ गुह्याति
गुह्यगोप्त्री त्वं गृहाणास्मत्कृतं जपं। सिद्धिर्भवतु मे देव त्वत
प्रसादान्महेश्वरि।' पढ़ते हुए प्रणाम करें। ऐसा करने से
आपके सभी इच्छित मनोरथ पूर्ण होंगे।
मनकों को अनामिका और अंगूठे के अग्र भाग को मिला कर उस के ऊपर रखें
और मध्यमा अंगुली से आगे चलाते रहें। अन्य किसी भी अंगुली का प्रयोग जप में निषेध
है।
कमलगट्टे
की माला धन प्राप्ति, पुत्रजीवा की माला संतान प्राप्ति तथ्ा
मूंगे की माला गणेश और लक्ष्मी की प्रसन्नता के लिए है। लाल चंदन की माला गणेशजी, मां दुर्गा और लक्ष्मीजी की साधना के
लिए प्रयुक्त होती है। वहीं तुलसी की माला वैष्णव भक्तों, राम और कृष्ण की उपासना हेतु उत्तम
मानी गई है।
स्फटिक
माला सौम्य प्रभाव से युक्त होती है। इसे धारण करने से चंद्रमा और शिवजी की कृपा
शीघ्र प्राप्त हो जाती है। हल्दी की माला का प्रयोग बृहस्पति ग्रह की शांति तथा
मां बगलामुखी के मंत्र जप के लिए श्रेष्ठ है। कमल के बीजों की माला से मां लक्ष्मी
की आराधना करें।
हनुमानजी
का मंत्र जप करने के लिए मूंगे की माला या तुलसी माला का प्रयोग श्रेयस्कर है।
चंद्रमा की पूजा के लिए मोती की माला प्रयोग करें। शिव मंत्र जाप के लिए रुद्राक्ष
की माला निश्चित की गई है। सूर्य की पूजा करने के लिए माणिक्य की माला ही सिद्ध
है।
माला
जप को लेकर लोगों में मन में कई धारणाएं हैं। कुछ लोगों का मानना है कि महिलाओं को
माला नहीं जपनी चाहिए। जबकि यह सत्य नहीं है। महिलाएं भी अपने इष्ट देव का ध्यान
करते हुए माला से मंत्र जप कर सकती हैं।