मदर्स डे पर माँ का सवाल ?
कल मदर्स दे पर शिवम् की माँ बहुत खुश थी मदर्स दे पर क्या उसके एक
दिन पहले और एक दिन बाद तक उसकी ख़ुशी देखने लायक थी लेकिन झूठी खुसी और तसल्ली कब
तक टिकती है यही हुआ है शिवम् की माँ के साथ | वर्धा आशाराम में रह रही शिवम् की
माँ के साथ अन्य वृद्ध माताएं शिवम् की माँ को यही समझा रही थी की तेरा बेटा
तब भी बहुत बढ़िया है जो साल में एक बार मदर्स डे पर ही सही तेरे साथ एक दिन बिताता
तो है ,झूठ ही सही फोटो के लिए ही सही तेरे पास आता तो है | यहाँ पर तो आखिरी बार बेटा
कब आया था यह तक भी याद नहीं है |
शिवम् की माँ आँखों के आंसू पोछते हुए आप लोग सही हो लेकिन क्या करे
हमने एक ही बेटे का सपना देखा था की पैसो को लेकर दो भाई आपस में झगड़े न इसलिए एक बेटों
को सब कुछ देंगे ताकि वो कभी परेशां न हो |अपने हर सपने को रोककर उसके सारे सपने
पूरे किये ,अपनी ख्वाहिशो को ख़त्म कर के उसकी ख्वाहिशे पूरी की | कि एक ही तो बेटा
है बुढ़ापे का सहारा बनेगा | लेकिन बेटे की शादी के बाद रोज़ रोज़ की लड़ाई की मरने के
बाद जब सब कुछ हमारा होगा तो अपने सामने ही दे दो न सब कुछ क्या सब कुछ लेने के
बाद हम क्या घर से निकाल देंगे | हमने भी इनसे कह कर की बेटा सही तो कह रहा है |
क्या मालूम था कि सब कुछ नाम करने के बाद हम किसी पर आश्रित हो जायेंगे | हम अपने
लिए अपने बेटे से पैसे मांगे तो बहु को बुरा लगे और इस गम में ही ये चल बसे | और
इनके जाने के बाद शिवम् की माँ रोते हुए अपना सब कुछ होते हुए भी यहाँ हूँ | ये एक
नहीं हजारो शिवम् की माँ जैसो की सच्चाई है |
हम तो ऐसे न थे फिर आज कल के बहु बेटे ऐसा क्यों कर रहे है | सभी माताएं मदर्स दे
पर यही सवाल पूछ रही है ?
हमसे का भूल हुई जो ये सजा हमका मिली
क्या गलती होती है माँ से बता दे मेरे बेटे
क्यों छोड़ते हो हमें,बीच मझधार पर यूँ अकेले
पड़ना,लिखना,बड़ा किया हमारा फर्ज था
लेकिन तुमने हमें निकला तो कौन सा कर्ज था
चुका देते हर कर्ज और फर्ज लेकिन बताया तो होता
अभी देर न हुयी है कल तो हमारी ही भीड़ में होगे
तब यही सवाल तुम्हे भी कचोटेगा
जब तुम्हारा बेटा भी तुम्हे बीच मझधार में छोड़ेगा
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