ऐ ज़िन्दगी तू क्या है बता न
कभी तेज़ तो कभी धीमी चलती है
तेरे साथ मस्त कैसे चलू बता न
दो चार मुलाकातों ने हमराह बना दिया
जिसने जन्म दिया उसे बेगाना बना दिया
क्यों ऐ ज़िन्दगी बता न
लोग कहते है कि प्यार अँधा होता है
लेकिन फिर क्यों प्यार देख कर होता है
क्यों ऐ जिंदगी बात न
ऊँगली पकड़ कर जिसने चलना सिखाया
आज उसी को उंगली दिखा कर शांत करा दिया
क्यों ऐ जिंदगी बता न