Saturday, September 19, 2020

नशा और नशे बाज़ ,एक उलझा हुआ जाल

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सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या करने बाद बहस शुरू हुई कि यह आत्महत्या है या फिर हत्या,केस की जांच पडताड़ के बीच यह  मामला दो राज्यो की अस्मिता बन गया । विवाद और बड़ गया जब बिहार पुलिस को बी एम सी ने 14 दिन क्वारन्टीन रहने को कह दिया।
टी वी चैनल से लेकर सोशल मीडिया तक मे इस मामले को राष्ट्रीय स्तर का बना दिया। मामला अब सुशांत की हत्या और आत्म हत्या से बढ़ कर राजनीति की गलियों में प्रवेश करते जा रहा था।
दिनप्रतिदिन न्यूज़ चैनल को इस मामले में टीआरपी बढ़ती मिल रही थी वही राजनीति गलियारों में उन्हें राजनीति और जो चर्चा से बाहर थे उन्हें भी इस मामले में लाइम लाइट होने तक भरपूर मौका मिल रहा था।
कुल मिलाकर सुशांत की हत्या आत्महत्या से सब अपने अपने उल्लू को सीधा करने में लगे हुए थे।
शायद काफी दिनों बाद महीनों तक कोरोना के चलने वाली ख़बर जो हाथ लगी थी इस मौके को कोई कैसे छोड़ सकता था। मामला और पेचीदा हो गया जब सुशांत केस में ड्रग्स का मामला सामने आया।केस सी बी आई के हाथ मे था लेकिन जांच का रुख अब ड्रग्स और नशे के कारोबार की ओर बढ़ गया। अभिनेत्री समेत कई ड्रग माफिया और ड्रग का सेवन करने वाले जेल जा चुके थे लेकिन केस एक बार फिर बॉलीवुड से पुलिस राजनीति सी बी आई से होता हुआ और वापस बॉलीवुड के रण क्षेत्र में आ चुका था।  अब बॉलीवुड दो गुटों में बट चुका था ।कोई बाहर वाले तो कोई थाली में खा कर छेद करने की बात करने लगा ।बात सिर्फ इतनी सी थी कि बॉलीवुड में कौन नशे का सेवन करता और कौन नही करता।
कहने को तो कोई भी पाक साफ नही होगा लेकिन मौका अपनी छवि आम जनता के बीच मे भुनाने का था तो कोई भी  इस हाथ लगे मौके को कैसे छोड़ देता। 
केस वही था सुशांत की हत्या या आत्महत्या।
बात अब नशे और नशे के सौदागरों पर आकर शुरू हो गई थी। कोई भी आम मजदूर रिक्शेवाले या दिहाड़ी मजदूर जो 8 से 10 घंटे तक मजदूरी करता है वह काम शुरू होने से पहले नशे का सेवन करता या फिर खत्म होने के बाद ये बात आम है और सभी इस बात से परिचित भी है।
वही बॉलीवुड में अभिनेता और अभिनेत्री से लेकर क्रू मेंबर तक जो 8 8 घंटे की शिफ्ट  में लगातार काम करते रहते है स्वभाविक सी बात है कि वह अपनी थकावट दूर करने के लिए किसी न किसी प्रकार के नशे का सेवन जरूर करते होंगे।  अंतर इतना कि कुछ सामने आ जाते है और ज्यादा संख्या वाले छुपे ही रह जाते है।
यह बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री है यहाँ नशे की ही नही किसी भी किस्म के मुद्दे को उठाएंगे तो छोटे से लेकर बडे तक सभी इसकी जद में आ जाएंगे।मामला कास्टिंग काउच का हो मी टू का हो डी2 गैंग या अन्य माफियाओ का पैसा फिल्मो में लगता हो शोषण हो या किसी को काम दिलाना हो या नही ।
सब की सब हमाम में नंगे है। यह कहावत बॉलीवुड में 100 प्रतिशत सटीक बैठती है। येक ऐसा जाल है जो उलझा भी है इसमें फॅसे भी सभी है।

Posted By KanpurpatrikaSaturday, September 19, 2020