Sunday, December 27, 2020

कुंडली में कितने भी अच्छे राजयोग ही क्यों न हो ग्रह का यह प्रभाव में योगों में कर देता है कमी

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*१, अस्त ग्रह से आप क्या समझते हैं?*
अस्त ग्रह से आशय उन ग्रहों से है, जो अंशात्मक रूप से सूर्य के इतने निकट होते हैं कि वह अपना प्रभाव खो देतें हैं।
फलदीपिका के अनुसार ग्रहों का सूर्य से इतना सामीप्य की वह सूर्य के तेज में दिखाई नहीं देते, उसे अस्त ग्रह कहते हैं।
*२, अस्त ग्रहों के क्या फल होते हैं?*
अस्त ग्रह अपने पूर्ण फल देने मे अक्षम होते है।
*३, कोई भी ग्रह अस्त कब होता है?*
*चन्द्रमा*  सूर्य से 12° आगे या पीछे हो तो अस्त होता है। यह अमावस्या का समय होता है।
*मंगल*  यह सूर्य से 17° आगे या पीछे अस्त रहता है।
*बुध*  मार्गी होने पर सूर्य से 14° दूर हो तो अस्त होता है। यदि वक्री हो तो 12° दूरी पर अस्त होता है। कहि अध्ययन में आया था कि बुद्ध को अस्त  का दोष नहीं लगता।
*बृहस्पति*  सूर्य से 11° दूरी तक अस्त होता है।
*शुक्र*  मार्गी होनेपर सूर्य से 10° दूरी पर अस्त होता है, किंतु वक्री होने पर 8° तक अस्त होता है।
*शनि* सूर्य से 15° डिग्री तक आगे पीछे होने से अस्त होते हैं।

*ध्यान देवें* सौर मंडल में जो ग्रह पृथ्वी की अपेक्षा सूर्य से निकट हैं, उन्ही के वक्री होने पर अस्त बिंदु भिन्न होगा।
*४, किसी कुंडली में दो से अधिक ग्रह अस्त हो तो उस कुंडली के बल को कैसे देखें?*
किसी भी कुंडली में दो से अधिक ग्रहों के अस्त होने पर कुंडली प्रभाव हीन सी हो जाती है। उस अवस्था में कुंडली में कितने भी अच्छे राजयोग ही क्यों न हो उनके प्रभाव में अल्पता आ ही जाती है।
ऐसी कुंडली वाले जातकों में अनुभव किया है कि उनके जीवन में संघर्ष अधिक रहता है। क्योंकि तीन ग्रह के अस्त होने पर अधिकांशतः ग्रह व भाव उनके प्रभाव में होते हैं। जैसे यदि ये तीनो ग्रह 2-दो राशियों के स्वामी हो तो 50% कुंडली के बल में न्यूनता आ जाती है। अब अन्य ग्रह नवमांश में इनकी राशियों में है तो वह भी फल देने मे शिथिल होंगे।

सूर्य केवल अपने साथ विराजित ग्रह को ही अस्त नहीं करता । वह अपने से एक घर आगे व एक घर पीछे बैठे ग्रहों को भी अस्त करता है।
जैसे :- सिंह राशि मे सूर्य 4° का है व बृहस्पति मिथुन राशि में 25° के हैं, तो बृहस्पति अस्त होंगे।
राहु व केतु छाया ग्रह हैं। अतः यह अस्त नहीं होते वरन सूर्य को ग्रहण लगा देते हैं। पर इसके लिए दोनों ग्रहों का पारस्परिक, डिग्रिकल बलाबल देखना चाहिए। की कौन सा ग्रह बलवान है।

*अस्त ग्रहों का प्रभाव* कुंडली में कोई ग्रह कितना भी योग कारक हो पर वह नवमांश में अस्तग्रहों की राशि में है, तो वह अपना पूर्ण फल नही देपाता।

*अस्त ग्रह अपने कारकों के फल व जिन भावों का स्वामी हो उनके कारकों के फल में न्यूनता कर देतें है।*
*अर्थात उनका पूर्ण फल नही मिलता। कदाचित इसीलिए 6, 8, 12 का स्वामी अस्त होने पर कुछ विद्वानों द्वारा इसे अच्छा माना जाता है।*
*पर कोई भी भाव पूर्णतया शुभ या अशुभ नही होता है, इसका भी ध्यान रखना आवश्यक है।*

इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि सूरज के उपस्थिति में अग्नि की लौ दिखती नही, अर्थात उसका प्रकाश नहीं दिखता, पर यदि हमारा हाथ चला जाए तो जलाता अवश्य है।

*अस्त बुध विचार, शुभ या अशुभ*  बुध सदैव सूर्य से 28° आगे या पीछे रहता है। अधिकांशतः यह सूर्य के साथ ही होता है। जो बुध आदित्य योग बनता है। परंतु बुध आदित्य योग का फल तभी मिलता है, जब बुध व सूर्य का अंतर 10° से 14° के मध्य हो। बुध का अशुभ प्रभाव सूर्य के अधिक निकट होने से  लगभग 3 से 4 डिग्री पर मिलता है। बुध मार्गी होकर सूर्य से पीछे हो या वक्री होकर सूर्य से आगे हो तब बुध बलहीन हो जाता है। क्योंकि इस स्थिति में वह सूर्य की ओर बढ़ रहा होता है।
अस्त बुध, सूर्य के साथ होने पर सूर्य जिस भाव का स्वामी हो उसके अनुसार फल देता है।

कुंडली में सूर्य योग कारक हो, तथा मारक व 6, 8, 12 भावों का स्वामी न हो तो बुद्ध उत्तम फल देता है।
सूर्य मेष, सिंह व धनु लग्न में योगकारक होने से बुध उत्तम फल देगा।
कन्या, मकर व मीन लग्न में सूर्य त्रिक भाव का स्वामी होने से यहाँ बुध अशुभ होता है, या वह शुभ फल नही दे पाता है।
सूर्य जब किसी शुभ भाव का स्वामी हो, योगकारक हो, तब बुध अस्त होने के पश्चात भी अपनी दशा-अंतर्दशा में सफलता देता है। बुध जब अस्त के साथ वक्री भी हो, तब जातक को समस्याओं से सामना होता है। कुंडली में जब बुध, सूर्य से 2 से 3 डिग्री की दूरी पर हो तब भी जीवन मे समस्याएं आती है।
सूर्य 6, 8, 12 का स्वामी न हो और बुध अशुभ भाव का स्वामी हो, तथा वक्री न हो तो अस्त बुध अच्छा फल देता है।
गुरु शुक्र से युति या गुरु की दृष्टि होने पर भी अस्त बुध शुभ प्रभाव देता है।

अब जो रह गया था। बारहों भाव के स्वामी लग्न से लेकर व्यय भाव तक किस भाव के स्वामी के अस्त होने से क्या फल मिलेगा?

ज्योतिषाचार्य*
*राजेश कुमार सरवैया*
*महासमुंद, छत्तीसगढ़*
*9009959989*

यहाँ समझने वाली बात यह है, कि त्रिक भवो के स्वामी अस्त होने पर उनके अशुभत्व में कमी आएगी। जिससे यह स्थिति जातक के लिए लाभदायक सिद्ध होगी, पर जैसा की हम जानते हैं कोई भी भाव पूर्णतः अशुभ या शुभ नहीं होता। सभी भाव मे कुछ शुभ व कुछ अशुभत्व होता है।
जैसे हम लग्न को ही लें, यह जातक के लिए शुभ है, क्योंकि शरीर के अनुपस्थिति में तो धर्म भी नहीं होता, किंतु यही कुटुम्ब भाव, मामा के लिए षष्ठ भाव व अष्टम भाव  पत्नी का परिवार अर्थात ससुराल के लिए शुभ नही है। क्योंकि इस भाव का  उनसे द्विद्वादश व षडाष्टक सम्बन्ध बन रहा है। अतः छठे भाव का स्वामी अस्त होगा तो मामा के सुख में भी कमी कर सकता है, अष्टम भाव का स्वामी अस्त होगा तो पैतृक संपत्ति के लाभ में गूढ़ ज्ञान में व ससुराल से मिलने वाले लाभ में अल्पता हो सकती है। द्वादश भाव का स्वामी अस्त होने से शैया सुख में कमी, विदेश गमन या बाहरी क्षेत्र से लाभ में कमी भी हो सकती है। अब कौन सा अस्त ग्रह क्या फल देगा यह तो निश्चित है, पर यह पूर्णतः कुंडली विश्लेषक के विवेक पर निर्भर करता है कि हम सत्यता के कितने समीप पहुँच सकते हैं। अन्य भावों के स्वामी अस्त होने पर मुख्यतः शुभ प्रभाव में कमी करेंगे पर उनसे भी कुछ अच्छे फल प्राप्त होंगे, जिसका विश्लेषण हमारे विवेक पर निर्भर करेगा।

*ज्योतिषाचार्य*
*राजेश कुमार सरवैया*
*महासमुंद, छत्तीसगढ़*
*9009959989*

🙏🕉जय श्री कृष्ण🕉🙏

Posted By KanpurpatrikaSunday, December 27, 2020

❖▩ஜआज का पंचांग,29 दिसम्बर 2020,मंगलवार,❖▩ஜ

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❖▩ஜआज का पंचांग,29 दिसम्बर 2020,मंगलवार,❖▩ஜ

🌞🛕 *जय रामजी की*🛕🌞 

 🏹 *जय माँ जगदम्ब भवानी*🏹

       *🐀🐘जय श्री गणेश🐘🐀*
       ▩ஜआज का पंचांग ۩۞۩ஜ

29 दिसम्बर 2020, मंगलवार, विक्रमी सम्वत 2077, शाका 1942, मार्गशीर्ष मास, शुक्ल पक्ष, पौष मास की प्रविष्टा 15, उत्तरायण, दक्षिणगोल, शिशिर ऋतु, तिथि चतुर्दशी सुबह 7:55 तक तदनन्तर पूर्णिमा, नक्षत्र मृगशिरा रात्रि 5:32 तक तदनन्तर आर्द्रा, सूर्योदय 6:53 प्रातः , सूर्यास्त 5:30सायं, राहुकाल अपरान्ह 3:00 से 4:30

श्रीदत्तात्रेय जयन्ती, श्रीसत्यनारायण व्रत, त्रिपुरभैरव-जयन्ती

 🌞 🛕 *राशिफल*🛕🌞 

🐏 *मेष (Aries):*दिन बहुत ही अच्छा रहने वाला है। व्यवसायिक यात्रा हो सकती है। आत्मसम्मान और पराक्रम में वृद्धि होगी। बेरोजगार युवाओं को जॉब में सफलता मिलेगी। कार्यक्षेत्र की स्थिति काफी अनुकूल रहने वाली है। किसी मांगलिक कार्यक्रम में सम्मिलित हो सकते हैं।

🐂 *वृषभ (Tauras):*खानपान का ध्यान रखना बहुत आवश्यक है। आपका मन आनन्दित रहेगा। मित्रों और रिश्तेदारों के साथ अपने सम्बन्ध अच्छे रखें। रात में कहीं डिनर पर जा सकते हैं। धैर्य और व्यवहारिक निर्णय लेना चाहिये। मानसिक बेचैनी दूर होगी।

👭 *मिथुन (Gemini):पारिवारिक जीवन में प्रेम और आनन्द रहेगा। मेहनत का लाभ प्राप्त होगा। वैवाहिक जीवन में आनन्दमग्न रहेंगे। कारोबार में लाभ प्राप्त होगा। रुके हुये काम आज पूरे हो सकते हैं। वरिष्ठ जनों से परामर्श प्राप्त होगा।

🦀 *कर्क (Cancer):*कोई बड़ा सौदा लाभप्रद होगा। व्यस्तता के चलते शरीर में थकावट हो सकती है। मन में कलुषित विचारों का प्रभाव रहेगा। भावुक होकर निर्णय न लें। शत्रु आपके विरुद्ध सक्रिय हो सकते हैं। स्वास्थ्य कमजोर रहेगा।

🦁 *सिंह (Leo):विद्यार्थी नये कोर्स को जॉइन कर सकते हैं। बच्चों का व्यापार में सहयोग मिलेगा। अविवाहितों को वैवाहिक प्रस्ताव मिल सकते हैं। आय के नये स्तोत्र विकसित कर सकते हैं। आर्थिक दृष्टि से दिन बहुत ही अच्छा रहने वाला है। बॉस आपसे बहुत प्रसन्न रहने वाला है।

👧🏻 *कन्या (Virgo):*भाग्य का पूरा साथ मिलेगा। किसी पारिवारिक कार्य में व्यस्त रहेंगे। जल्दबाज़ी में कोई निर्णय न लें नहीं तो परेशानी हो सकती है। मनोरञ्जन पर धन खर्च होगा। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। सीनियर्स से आपको प्रशंसा प्राप्त होगी।

⚖ *तुला (Libra):*पुराने मित्रों से लाभ प्राप्त होगा। प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता मिल सकती है। आर्थिक दृष्टि से दिन बहुत अच्छा रहने वाला है। व्यापार में नये प्रयोग कर सकते हैं। कारोबारी यात्रा हो सकती है। तनाव से मुक्ति मिलेगी।

🦂 *वृश्चिक (Scorpio):*कुछ लोग आपकी आलोचना कर सकते हैं। अपनी क्षमताओं का सही उपयोग नहीं कर पायेंगे। प्रेम सम्बन्धों में धोखा मिल सकता है। अति उत्साह में कोई गलती न हो इसका ध्यान रखें। कुछ नया खोजने की कोशिश करेंगे।

🏹 *धनु (Sagittarius):*भागदौड़ अधिक रहेगी। पुराने सम्पर्कों का अच्छा लाभ उठा पायेंगे। कानूनी अड़चनों से मुक्ति मिलेगी। प्रेम सम्बन्धों को वैवाहिक सहमति मिल सकती है। आपकी प्रतिष्ठा समाज में बढ़ेगी। धर्म-कर्म में आपका मन लगेगा। चाहिये। रुके हुये कार्य शुरू होने की सम्भावना है।

🐊 *मकर (Capricorn):*आनन्द और मनोविनोद में आपकी रुचि रहेगी। ऑफिस में आपको अच्छी ज़िम्मेदारी मिल सकती है। किसी बड़ी कम्पनी से जॉब ऑफर हो सकती है। पारिवारिक व्यवसाय में लाभ प्राप्त होगा। सेहत बहुत ही अच्छी रहेगी।

⚱ *कुंभ (Aquarius)* परिवार के लोगों के लिये ख़रीदारी कर सकते हैं। तकनीकी क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिये दिन शानदार रहने वाला है। प्रतिभाशाली छात्रों का अच्छा लाभ प्राप्त होगा। जॉब में स्थानांतरण हो सकता है। पुरानी योजनाओं का लाभ मिलेगा।

🧜‍♀ *मीन (Pisces):*अपनी गलतियों से सीखने का प्रयास करें। पेटदर्द की समस्या हो सकती है। आपको सोच-विचार में अधिक समय बर्बाद नहीं करना चाहिये। परिवार के लोग आपसे परेशान हो सकते हैं। किसी सहकर्मी के कारण तनाव हो सकता है।

*💥🌺🚩आपका दिन शुभ हो 🚩🌺💥*

     पंडित आशीष त्रिपाठी ज्योतिषाचार्य 

    *🎊🎉🎁 आज जिनका जन्मदिवस या विवाह वर्षगांठ हैं उन सभी मित्रो को कोटिशः शुभकामनायें🎁🎊🎉*
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       *😍आपका दिन शुभ हो😍*
     *🚩जयतु जयतु हिन्दुराष्ट्रम🚩*

Posted By KanpurpatrikaSunday, December 27, 2020

सूर्य का हमारे जीव पर प्रभाव और अन्य ग्रहों से युति का फल

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सूर्य का हमारे जीव पर प्रभाव और अन्य ग्रहों से युति का फल 
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सूर्य      
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यह जगतपिता है,इसी की शक्ति से समस्त ग्रह चलायमान है,यह आत्मा कारक और पितृ कारक है,पुत्र राज्य सम्मान पद भाई शक्ति दायीं आंख चिकित्सा पितरों की आत्मा शिव और राजनीति का कारक है.मेष राशि में उच्च का एवं तुला में नीच का ना जाता है,चन्द्रमा देव ग्रह है,तथा सूर्य का मित्र है,मंगल भी सूर्य का मित्र है,गुरु सूर्य का परम मित्र है,बुध सूर्य के आसपास रहता है,और सूर्य का मित्र है,शनि सूर्य पुत्र है लेकिन सूर्य का शत्रु है,कारण सूर्य आत्मा है और आत्मा का कोई कार्य नही होता है,जबकि शनि कर्म का कारक है,शुक्र का सूर्य के साथ संयोग नही हो पाता है,सूर्य गर्मी है और शुक्र रज है सूर्य की गर्मी से रज जल जाता है,और संतान होने की गुंजायस नही रहती है,इसी लिये सूर्य का शत्रु है,राहु विष्णु का विराट रूप है,जिसके अन्दर सम्पूर्ण विश्व खत्म हो रहा है,राहु सूर्य और चन्द्र दोनो का दुश्मन है,सूर्य के साथ होने पर पिता और पुत्र के बीच धुंआ पैदा कर देता है,और एक दूसरे को समझ नही पाने के कारण दोनो ही एक दूसरे से दूर हो जाते है,केतु सूर्य का सम है,और इसे किसी प्रकार की शत्रु या मित्र भावना नही है,सूर्य से सम्बन्धित व्यक्ति पिता चाचा पुत्र और ब्रहमा विष्णु महेश आदि को जाना जाता है,आत्मा राज्य यश पित्त दायीं आंख गुलाबी रंग और तेज का कारक है।

सूर्य और चन्द्र की युति/दृष्टि फल
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सूर्य और चन्द्रमा अगर किसी भाव में एक साथ होते है,तो कारकत्व के अनुसार फ़ल देते है,सूर्य पिता है और चन्द्र यात्रा है,पुत्र को भी यात्रा हो सकती है,एक संतान की उन्नति बाहर होती है।

सूर्य और मंगल की युति/दृष्टि फल
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मंगल के साथ एक साथ होने पर मंगल की गर्मी और पराक्रम के कारण अभिमान की मात्रा बढ जाती है,पिता प्रभावी और शक्ति मान बन जाता है,मन्गल भाई है,इसी लिये एक भाई सदा सहयोग मे रहता है,मन्गल रक्त है,इसलिये ही पिता पुत्र को रक्त वाली बीमारिया होती है,एक दूसरे से एक सात और एक बारह में भी यही प्रभाव होता है,स्त्री की कुन्डली में पति प्रभावी होता है,लेकिन उसके ह्रदय में प्रेम अधिक होता है।

सूर्य और बुध युति/दृष्टि फल
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बुध के साथ होने पर पिता और पुत्र दोनो ही शिक्षित होते है,समाज में प्रतिष्ठा होती है,जातक के अन्दर वासना अधिक होती है,पिता के पास भूमि भी होती है,और बहिन काफ़ी प्रतिष्ठित परिवार से सम्बन्ध रखती है,व्यापारिक कार्यों के अन्दर पिता पुत्र दोनो ही निपुण होते है,पिता का सम्बन्ध किसी महिला से होता है।

सूर्य और गुरु युति/दृष्टि फल
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गुरु के साथ होने पर जीवात्मा का संयोग होता है,जातक का विश्वास ईश्व्वर में अधिक होता है,जातक परिवार के किसी पूर्वज की आत्मा होती है,जातक के अन्दर परोपकार की भावना होती है,जातक के पास आभूषण आदि की अधिकता होती है,पद प्रतिष्ठा के अन्दर आदर मिलता रहता है।

सूर्य और शुक्र की युति/दृष्टि फल
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शुक्र के साथ होने पर मकान और धन की अधिकता होती है,दोनो की युति के चलते संतान की कमी होती है,स्त्री की कुन्डली में यह युति होने पर स्वास्थ्य की कमी मिलती है,शुक्र अस्त हो तो स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पडता है।

सूर्य और शनि की युति/दृष्टि फल
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शनि के साथ होने पर जातक या पिता के पास सरकार से सम्बन्धित कार्य होते है,पिता के जीवन में जातक के जन्म के समय काफ़ी परेशानी होती है,पिता के रहने तक पुत्र आलसी होता है,और पिता के बाद खुद जातक का पुत्र आलसी हो जाता है,पिता पुत्र के एक साथ रहने पर उन्नति नही होती है,वैदिक ज्योतिष में इसे पितृ दोष माना जाता है,जातक को गायत्री के जाप के बाद सफ़लता मिलने लगती है।

सूर्य और राहु की युति/दृष्टि फल
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सूर्य के साथ राहु का होना भी पितामह के बारे में प्रतिष्ठित होने की बात मालुम होती है,एक पुत्र की पैदायस अनैतिक रूप से भी मानी जाती है,जातक के पास कानून से विरुद्ध काम करने की इच्छायें चला करती है,पिता की मौत दुर्घटना में होती है,या किसी दवाई के रियेक्सन या शराब के कारण होती है,जातक के जन्म के समय पिता को चोट लगती है,जातक को सन्तान भी कठिनाई से मिलती है,पत्नी के अन्दर गुप चुप रूप से सन्तान को प्राप्त करने की लालसा रहती है,पिता के किसी भाई को जातक के जन्म के बाद मौत जैसी स्थिति होती है।

सूर्य और केतु की युति/दृष्टि फल
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केतु और सूर्य का साथ होने पर जातक और उसका पिता धार्मिक होता है,दोनो के कामों के अन्दर कठिनाई होती है,पिता के पास कुछ इस प्रकार की जमीन होती है,जहां पर खेती नही हो सकती है,नाना की लम्बाई अधिक होती है,और पिता के नकारात्मक प्रभाव के कारण जातक का अधिक जीवन नाना के पास ही गुजरता है।

सूर्य चन्द्र और मंगल की युति फल
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सूर्य चन्द्र और मंगल के एक साथ होने पर पिता के पास खेती होती है,और उसका काम बागवानी या कृषि से जुडा होता है,पिता का निवास स्थान बदला जाता है,जातक को रक्त विकार भी होता है,माता को पिता के भाई के द्वारा कठिनाई भी होती है,माता या सास को गुस्सा अधिक होता है,एक भाई पहले किसी कार्य से बाहर गया होता है।

सूर्य चन्द्र और बुध की युति/दृष्टि फल
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सूर्य चन्द्र बुध का साथ होने पर खेती वाले कामो की ओर इशारा करता है,पिता का सम्बन्ध किसी बाहरी महिला से होता है,एक पुत्र का मन देवी भक्ति में लगा रहता है,और वह अक्सर देवी यात्रा किया करता है,एक पुत्र की विदेश यात्रा भी होती है,पिता जब भी भूमि को बेचता या खरीदता है,तो उसे धोखा ही दिया जाता है।

सूर्य चन्द्र और गुरु की युति/दृष्टि फल
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सूर्य के साथ चन्द्र और गुरु के होने पर जातक का पिता यात्रा वाले कामो के अन्दर लगा रहता है,और अक्सर निवास स्थान का बदलाव हुआ करता है,जातक पिता का आज्ञाकारी होता है,और उसे बिना पिता की आज्ञा के किसी काम में मन नही लगता है,जातक का सम्मान विदेशी लोग करते है।

सूर्य चन्द्र और शुक्र की युति/दृष्टि फल
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सूर्य के साथ चन्द्र और शुक्र के होने से भी पिता का जीवन दो स्त्रियों के चक्कर में बरबाद होता रहता है,एक स्त्री के द्वारा वह छला जाता है,जातक की एक बहिन की शादी किसी अच्छे घर में होती है,पिता पुत्र के द्वारा कमाया गया धन एक बार जरूर नाश होता है,किसी प्रकार से छला जाता है,जातक की माता के नाम से धन होता है,जमीन भी होती है,मकान भी होता है,मकान पानी के किनारे होता है,या फ़िर मकान में पानी के फ़व्वारे आदि होते है,जातक के अन्दर या पिता के अन्दर मधुमेह की बीमारी होती है।

सूर्य चन्द्र और शनि युति/दृष्टि फल
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सूर्य के साथ चन्द्र और शनि होने के कारण एक पुत्र की सेवा विदेश में होती है,पिता का कार्य यात्रा से जुडा होता है,सूर्य पिता है तो शनि कार्य और चन्द्र यात्रा से जुडा माना जाता है,शनि के कारण माता का स्वास्थ खराब रहता है,उसे ठंड या गठिया वाली बीमारिया होती है।

सूर्य चन्द्र और राहु युति दृष्टि फल
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सूर्य के साथ चन्द्र और राहु होने से पिता और पुत्र दोनो को ही टीवी देखने और कम्प्यूटर पर चित्रण करने का शौक होता है,फ़ोटोग्राफ़ी का शौक भी होता है,दादा काफ़ी विलासी रहे होते है,उनका जीवन शराब या लोगों की आफ़तों को समाप्त करने के अन्दर गया होता है,अथवा आयुर्वेद के इलाजो से उन्होने अपना समय ठीक बिताया होता है,एक पुत्र का अनिष्ट माना जाता है,चन्द्र गर्भ होता है,तो राहु मौत का नाम जाना जाता है,राहु चन्द्र मिलकर मुस्लिम महिला से भी लगाव रखते है,पिता का सम्बन्ध किसी विदेशी या मुस्लिम या विजातीय महिला से रहा होता है।

सूर्य चन्द्र और केतु की युति/दृष्टि फल
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सूर्य चन्द्र केतु के साथ होने पर पितामह एक वैदिक जानकार रहे होते है,नानी भी धार्मिक और वैदिक किताबों के पठन पाठन और प्रवचनो से जुडी होती है,माता को कफ़ की परेशानी होती है,जातक के पास खेती करने वाले या पानी से जुडे अथवा चांदी का काम करने वाले हथियार होते है,वह इन हथियारो की सहायता से इनका काम करना जानता है,चन्द्रमा खेती भी है और आयुर्वेद भी है एक पुत्र को आयुर्वेद या खेती का ज्ञान भी माना जाता है.शहरों मे इस काम को पानी के नलों को फ़िट करने वाला और मीटर की रीडिंग लेने वाले से भी जोडा जाता है.सरकारी पाइपलाइन या पानी की टंकी का काम भी इसी ग्रह युति मे जोडा जाता है।

सूर्य मंगल और चन्द्र की युति फल
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सूर्य के साथ मंगल और चन्द्र के होने से पिता पराक्रमी और जिद्दी स्वभाव का माना जाता है,जातक या पिता के पास पानी की मशीने और खेती करने वाली मशीने भी हो सकती है,जातक पानी का व्यवसाय कर सकता है,जातक के भाई के पास यात्रा वाले काम होते है,जातक या पिता का किसी न किसी प्रकार का सेना या पुलिस से लगाव होता है।

सूर्य मंगल और बुध युति फल
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सूर्य के साथ मन्गल और बुध के होने से तीन भाई का योग होता है,अगर तीनो ग्रह पुरुष राशि में हो तो,सूर्य और मन्गल मित्र है,इसलिये जातक के दो भाई आज्ञाकारी होते है,बुध मन्गल के सामने एजेन्ट बन जाता है,अत: इस प्रकार के कार्य भी हो सकते है,मंगल कठोर और बुध मुलायम होता है,जातक के भाई के साथ किसी प्रकार का धोखा भी हो सकता है।

सूर्य मंगल और गुरु युति फल
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सूर्य मन्गल और गुरु के साथ होने पर जातक का पिता प्रभावशाली होता है,जातक का समाज में स्थान उच्च का होता है,जीवात्मा संयोग भी बन जाता है,सूर्य और गुरु मिलकर जातक को मंत्री वाले काम भी देते है,अगर किसी प्रकार से राज्य या राज्यपरक भाव का मालिक हो,जातक का भाग्योदय उम्र की चौबीसवें साल के बाद चालू हो जाता है,जातक के पिता को अधिकार में काफ़ी कुछ मिलता है,जमीन और जागीरी वाले ठाठ पूर्वजों के जमाने के होते है।

सूर्य मंगल और शुक्र की युति का फल
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सूर्य मन्गल और शुक्र से पिता के पास एक भाई और एक बहिन का संयोग होता है,पिता की सहायतायें एक स्त्री के लिये हुआ करती है,जातक का चाचा अपने बल से पिता का धन प्राप्त करता है,जातक की पत्नी के अन्दर अहम की भावना होती है,और वह अपने को दिखाने की कोशिश करती है,एक बहिन या जातक की पुत्री के पास अकूत धन की आवक होती है,जातक के एक भाई की उन्नति शादी के बाद होती है।

सूर्य मंगल और शनि की युति का फल
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सूर्य के साथ मंगल और शनि के होने से जातक की सन्तान को कष्ट होता है,पिता के कितने ही दुश्मन होते है,और पिता से हारते भी है,जातक की उन्नति उम्र की तीस साल के बाद होती है,जीवन के अन्दर संघर्ष होता है,और जितने भी अपने सम्बन्धी होते है वे ही हर काम का विरोध करते है,भाई को अनिष्ट होता है,स्थान परिवर्तन समस्याओं के चलते रहना होता रहता है,कार्य कभी भी उंची स्थिति के नही हो पाते है,कारण सूर्य दिन का राजा है और शनि रात का राजा है दोनो के मिलने से कार्य केवल सुबह या शाम के रह जाते है,केवल पराक्रम से ही जीवन की गाडी चलती रहती है।

सूर्य मंगल और राहु की युति का फल
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सूर्य मन्गल के साथ राहु के होने से इन तीनो का योग पिता की कामों में किसी प्रकार की इन्डस्ट्री की बात का इशारा देता है,जातक की एक भाई की दुर्घटना किसी तरह से होती है,जातक का अन्तिम जीवन परेशानी में होता है,पुत्र से जातक को कष्ट होता है,कम्प्यूटर या फ़ोटोग्राफ़ी का काम भी जातक के पास होता है।

सूर्य मंगल और केतु की युति का फल
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सूर्य मन्गल और केतु के साथ होने से जातक के परिवार में हमेशा अनबन रहती है,जातक को कानून का ज्ञान होता है,और जातक का जीवन आनन्द मय नही होता है उसका स्वभाव रूखापन लिये होता है,नेतागीरी वाले काम होते है,एक पुत्र को परेशानी ही रहती है,जातक के शरीर में रक्त विकार हुआ करते है।

सूर्य बुध और चन्द्र की युति का फल
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सूर्य के साथ बुध और चन्द्रमा की युति होने से पिता का जीवन बुद्धि जीवी कामो में गुजरता है,पिता कार्य के संचालन में माहिर होता है,जातक या जातक का पिता दवाइयों वाले कामों के अन्दर माहिर होते है,चन्द्रमा फ़ल फ़ूल या आयुर्वेद की तरफ़ भी इशारा करता है,इसलिये बुध व्यापार की तरफ़ भी इशारा करता है,जातक की शिक्षा में एक बार बाधा जरूर आती है लेकिन वह किसी न किसी प्रकार से अपनी बाधा को दूर कर देता है।

सूर्य बुध और मंगल की युति का फल
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सूर्य के साथ बुध और मन्गल के होने से जातक के पिता को भूमि का लाभ होता है,जातक की शिक्षा मे अवरोध पैदा होता है,जातक के भाइयों के अन्दर आपसी मतभेद होते है,जो आगे चलकर शत्रुता में बदल जाते है।

सूर्य बुध और गुरु की युति का फल
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सूर्य बुध और गुरु का साथ होने से जातक जवान से ज्ञान वाली बातों का प्रवचन करता है,योग और उपासना का ज्ञानी होता है,पिता को उसके जीवन के आरम्भ मे कठिनाइयों का सामना करना पडता है,लेकिन जातक के जन्म के बाद पिता का जीवन सफ़ल होना चालू हो जाता है,जातक का एक भाई लोकप्रिय होता है,पिता को समाज का काम करने मे आनन्द आता है और वह अपने को सन्यासी जैसा बना लेता है।

सूर्य बुध और शुक्र की युति का फल
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सूर्य के साथ बुध और शुक्र के होने से जातक की एक संतान बहुत ही शिक्षित होती है,उसके पास भूमि भवन और सवारी के अच्छे साधन होते है,पिता के जीवन में दलाली बाले काम होते है,वह शेयर या भवन या भूमि की दलाली के बाद काफ़ी धन कमाता है,जातक या जातक के पिता को दो स्त्री या दो पति का सुख होता है,जातक समाज सेवी और स्त्री प्रेमी होता है।

सूर्य बुध और शनि की युति का फल
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सूर्य बुध के साथ शनि के होने पर जातक के पिता के साथ सहयोग नही होता है,पिता के पास जो भी काम होते है वे सरकारी और बुद्धि से जुडे होते है,बुद्धि के साथ कर्म का योग होता है,जातक को सरकार से किसी न किसी प्रकार की सहायता मिलती है,राजकीय सेवा में जाने का पूरा पूरा योग होता है।

सूर्य बुध और राहु की युति का फल
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सूर्य बुध के साथ राहु के होने से जातक एक पिता और पितामह दोनो ही प्रसिद्ध रहे होते है,पिता के पास धन और भूमि भी होती है,लेकिन वह जातक के जन्म के बाद धन को दवाइयों या आकस्मिक हादसों मे अथवा शराब आदि में उडाना चालू कर देता है,एयर लाइन्स वाले काम या उनसे सम्बन्धित एजेन्सी वाले काम भी मिलते है,यात्राओं को अरेन्ज करने वाले काम और सडकॊ की नाप जोख के काम भी मिलते है,जातक को पैतृक सम्पत्ति कम ही मिल पाती है।

सूर्य बुध और केतु की युति का फल
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सूर्य के साथ बुध और केतु होने से जातक के मामा का परिवार प्रभावी होता है,पिता या जातक को कोर्ट केशो से और बेकार के प्रत्यारोंपो से कष्ट होता है,पिता के अवैद्य संबन्धों के कारण परिवार में तनाव रहता है,जातक को इन बातो से परेशानी होती है।

पं देवशर्मा
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Posted By KanpurpatrikaSunday, December 27, 2020