कहने को तो यह #सिल्वर #स्क्रीन है लेकिन कही न कही वह स्क्रीन #डार्क ब्लैक भी है। #सुशांत की #मौत ने जहां #बॉलीवुड में कई #दशक पहले #आत्महत्या कर जान देने वाली #दिव्या #भारती की याद दिला दी तो वही #गुलशन कुमार #हत्याकांड को फिर से ताजा कर दिया।
अगर बात करे #बॉलीवुड की #सिल्वरस्क्रीन पर चमकने की तो यहां किसको चमकाना और किसको मिटाना है यह ऊपर बैठे #'आका ' तय करते है। #आशिकी फिल्म में #अनु अग्रवाल और #राहुल राय की जोड़ी ने फिल्म को #सुपर-डुपर हिट करा दिया, नवजवानो के दिलों में #आशिकी फिल्म सर चढ़ कर बोल रही थी, लेकिन उसके बाद न #राहुल रॉय को #हिट फिल्म मिली न ही अनु अग्रवाल को। वैसे ही जैसे #लगान फिल्म में #आमिर खान के साथ #ग्रेसी सिंह ने जबरदस्त #अभिनय कर #सुर्खियाँ तो बटोरी लेकिन उसके बाद जैसे #गायब ही हो गईं।
यह कुछ उदारहण हैं की #सिल्वर स्क्रीन असल में #ब्लैक #स्क्रीन है जहां जो दीखता है वो बिकता नहीं और जो बिकता है वो दिखता नहीं। बेचना क्या है और दिखाना क्या है, यह ऊपर बैठे आका तय करते है और अगर उन आकाओं की #लाइन से #लाइन मिला कर आप नहीं चलते ,तो शायद आप की #लाइफलाइन भी न चल पाए। न जाने कितने #स्टार #चमकते #सितारों की तरह आए और कहा अंधेर में गुम हो गए, पता ही नहीं चला। न जाने कितने अँधेरे से आए और सितारों की तरह चमक रहे हैं।
अगर यह कहा जाए कि #सुशांत सिंह #राजपूत ने #आत्महत्या कर ली #डिप्रेशन में आकर तो यह कहना गलत हो सकता है कि जो #संघर्ष की #सीढ़ी चढ़ कर ऊपर गया हो, वह कभी #आत्माहत्या नहीं कर सकता। हां, उसे #सुसाइड करने के लिए #उकसाया जा सकता है।
अगर #कैरियर की चिंता से कोई ज्यादा #डिप्रेशन में आ जाए तो वह जाएगा जिसकी अपनी #पत्नी हमेशा #लाइम लाइट में रहती हो ,जिसके #पिता हमेशा चर्चा में रहते हो और वह बंदा ज्यादा कुछ उस #सिल्वर #स्क्रीन में अपने बलबूते न कर पाया हो, क्या उसे #डिप्रेशन नहीं हो सकता, हो सकता है लेकिन नहीं हुआ क्योंकि उसको मालूम है की उसको करना क्या है। लेकिन यहां जो #आत्महत्या कर रहा है वह #आत्महत्या न करके अपने #करियर को यूं ही खत्म नहीं कर सकता क्योंकि वो जनता है की उसका करियर तो अब #परवान चढ़ा है। मैं अपने ही करियर को क्यों ख़त्म करू और यह बात मैं किसी से कह भी नहीं सकता तो करू तो क्या करू एक तरफ #कुआं है तो दूसरी तरफ #खाई ,जो सही समझ में आया वह चुन लिया, जिस उम्र में संघर्ष होता है उस उम्र में कोई #डिप्रेशन में जा रहा है अर्थात उसके ऊपर इतना #प्रेशर है की वह करे क्या, किसको बताए कि वह #दोहरे #चरित्र में जी रहा है और दोहरे चरित्र में सबसे #हंसता-बोलता है लेकिन वही जो ब्लैक स्क्रीन का चरित्र है, उसे वो पसंद नहीं आता। अब उन दोनों चरित्रों में लड़ाई होती है और जीतता है वो नकली चरित्र जिसके #सोशल #मीडिया में अनगिनत #फलोवेर्स व दोस्त हैं जिसको काफी लोग #पसंद करते है ंलेकिन सच क्या है ये तो वो जानता है जो गया या वो जानता है जिसने उसे भेजा है।
वो लोग ऐसे सफेदपोश हैं जिनके सभी से अच्छे सम्बन्ध हैं और इस खेल में सभी शामिल हैं। उनकी थ्योरी है- “हमाम में सब नंगे हैं, जो नहीं हैं, उनको नंगा करो क्योंकि अगर एक भी पकड़ा गया तो सभी पकड़े जाएँगे।” उन्होंने खुलासा किया कि कास्टिंग डायरेक्टर वगैरह कट/कमीशन स्ट्रेटेजी पर काम करते हैं और शिकार के रूप में ऐसे नॉन-मुम्बइया अभिनेताओं को ढूँढ़ते हैं, जिनका न कोई कनेक्शन हो और न ही ज्यादा संपत्ति हो।
#सवाल #कई है #लेकिन #जवाब #एक ही है - #ॐ शांति।
Ashish C Tripathi