Saturday, January 16, 2021

❖▩ஜआज का पंचांग 18 जनवरी 2021, सोमवार ❖▩ஜ

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❖▩ஜआज का पंचांग 18 जनवरी 2021, सोमवार ❖▩ஜ

🌞🛕 *जय रामजी की*🛕🌞 

 🏹 *जय माँ जगदम्ब भवानी*🏹

       *🐀🐘जय श्री गणेश🐘🐀*
          ▩ஜआज का पंचांग ۩۞۩ஜ

18 जनवरी 2021, सोमवार, विक्रमी सम्वत 2077, शाका 1942, पौष मास, शुक्ल पक्ष, माघ मास की प्रविष्टा 5, उत्तरायण, दक्षिणगोल, शिशिर ऋतु, तिथि पंचमी सुबह 9:14 तक तदनन्तर षष्ठी, नक्षत्र पूर्वाभाद्रपद सुबह 7:43 तक तदनन्तर उत्तराभाद्रपद, सूर्योदय 7:00 प्रातः , सूर्यास्त 5:46 सायं , राहुकाल प्रातः 7:30 से 9:00, पंचक विचार

🐏 *मेष (Aries):*आज पूरा दिन व्यस्त रहेंगे। किन्तु इच्छानुसार परिणाम न मिलने से कुछ अप्रसन्नता रहेगी। लोग आपका खुला विरोध कर सकते हैं। जीवनसाथी से किसी बात पर महभिन्नता होगी। आज आपको यात्राओं से बचना चाहिये। सिरदर्द हो सकता है।

🐂 *वृषभ (Tauras):*समाज की भलाई वाले कार्य करेंगे जिससे आपकी प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। IT और बैंकिंग से जुड़े लोगों को शानदार सफलता मिलेगी। उच्चाधिकारी आपसे खासे प्रसन्न रहेंगे। लम्बित कार्यों को पूरा करने में सफल रहेंगे। सन्तान की उपलब्धियों से गर्व की अनुभूति होगी।

👭 *मिथुन (Gemini):व्यापार में काफी अच्छा लाभ प्राप्त होगा। शोध कार्यों में विद्यार्थी काफी रुचि लेंगे। ऑफिस के कार्यों में काफी व्यस्त रहेंगे। जीवनसाथी से अच्छा तालमेल रहेगा। शासन और प्रशासन से जुड़े लोगों को सम्मान प्राप्त होगा।

🦀 *कर्क (Cancer):*आपकी आर्थिक स्थिति थोड़ी कमजोर हो सकती है। स्वास्थ्य को लेकर लापरवाही न करें। बॉस से झगड़ा हो सकता है। दिखावे से आपको बचना चाहिये। घर में बिना बुलाये मेहमान आ सकते हैं।

🦁 *सिंह (Leo):विद्यार्थी किसी नये कोर्स में प्रवेश ले सकते हैं। प्रणय जीवन में थोड़ी परेशानी आयेगी। स्वास्थ्य खराब होने की आशंका है। जीवनसाथी के साथ मतभेद हो सकता है। व्यर्थ में धन खर्च होगा। धन प्राप्ति में बाधायें आयेगी।

👧🏻 *कन्या (Virgo):*नौकरीपेशा लोगों को अच्छा लाभ प्राप्त होगा। मार्केटिंग क्षेत्र से जुड़े लोगों को बेहतरीन लाभ मिलेगा। शेयर मार्केट से जुड़े लोगों की आय बढ़ेगी। व्यापार में आपकी स्थिति सुदृढ़ होगी। अविवाहित लोगों को विवाह के प्रस्ताव मिल सकते हैं।

⚖ *तुला (Libra):*मनोनुकूल कार्य होने से उत्साहित रहेंगे। शत्रुओं पर भारी पड़ेंगे। अपने बलबूते कई समस्याओं को निपटा लेंगे। ऑफिस में सहयोगी लोग आपका समर्थन करेंगे। सिविल इंजीनियरिंग के छात्रों को नयी नौकरी के ऑफर मिल सकते हैं।

🦂 *वृश्चिक (Scorpio):*आपके नये दोस्त बन सकते हैं। रिश्तों में मजबूती आयेगी। आपका सामाजिक दायरा बढ़ सकता है। घर के सदस्यों की भावनाओं का ध्यान रखें। आय के नये स्तोत्र बना सकते हैं। धैर्यपूर्वक निर्णय लेंगे।

🏹 *धनु (Sagittarius):*अपने खर्चों को नियंत्रित रखें। गुस्से के कारण मित्र और परिजन आपसे मुख मोड़ सकते हैं। मन अप्रसन्न रहेगा। वाहन में खराबी आ सकती है। बाहर के जंकफूड खाने से आपको बचना चाहिये। पुराने रोगों के कारण परेशानी हो सकती है।

🐊 *मकर (Capricorn):*आज पूरे मनोयोग से काम करेंगे। कानूनी कार्यों में आपको सफलता मिलेगी। लोगों के बीच आपकी लोकप्रियता बढ़ेगी। आपका आत्मविश्वास और पराक्रम बढ़ेगा। व्यापार में वृद्धि होने के योग बन रहे हैं। आज पूरा दिन काफी ऊर्जावां रहेंगे।

⚱ *कुंभ (Aquarius)* आपके ऊपर कोई ज़िम्मेदारी आ सकती है। कब्ज के कारण सिरदर्द हो सकता है। छोटे बच्चों की पढ़ाई में ध्यान दें। ऑफिस में आपके जूनियर्स से विवाद होगा। लव लाइफ में तनाव की सम्भावना है। धन को लेकर समस्या हो सकती है।

🧜‍♀ *मीन (Pisces)रियल स्टेट से जुड़े लोगों को शानदार लाभ प्राप्त होगा। जॉब में नवीन अवसर प्राप्त होंगे। स्वास्थ्य बहुत ही अच्छा रहने वाला है। ललित कला में आप काफी रुचि लेंगे। शारीरिक रूप से काफी चुस्त-दुरुस्त रहेंगे।

*💥🌺🚩आपका दिन शुभ हो 🚩🌺💥*

     पंडित आशीष त्रिपाठी ज्योतिषाचार्य 

    *🎊🎉🎁 आज जिनका जन्मदिवस या विवाह वर्षगांठ हैं उन सभी मित्रो को कोटिशः शुभकामनायें🎁🎊🎉*
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       *😍आपका दिन शुभ हो😍*
     *🚩जयतु जयतु हिन्दुराष्ट्रम🚩*

Posted By KanpurpatrikaSaturday, January 16, 2021

सारे तीर्थ बार-बार गंगा सागर एक बार जाने क्यों

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गंगा सागर को तीर्थों का पिता कहा जाता है, कहने का तात्पर्य है कि गंगा सागर का अन्य तीर्थों की अपेक्षा अत्यधिक महत्व है। शायद यही कारण है कि जन साधारण में यह कहावत बहुत प्रचलित है कि- ''सब तीरथ बार-बार, गंगा सागर एक बार।'

' गंगा जिस स्थान पर समुद्र में मिलती है, उसे गंगा सागर कहा गया है। गंगा सागर एक बहुत सुंदर वन द्वीप समूह है जो बंगाल की दक्षिण सीमा में बंगाल की खाड़ी पर स्थित है। प्राचीन समय में इसे पाताल लोक के नाम से भी जाना जाता था। कलकत्ते से यात्री प्रायः जहाज में गंगा सागर जाते हैं। 

यहां मेले के दिनों में काफी भीड़-भाड़ व रौनक रहती है। लेकिन बाकी दिनों में शांति एवं एकाकीपन छाया रहता है। तीर्थ स्थान-सागर द्वीप में केवल थोड़े से साधु ही रहते हैं। यह अब वन से ढका और प्रायः जनहीन है। इस सागर द्वीप में जहां गंगा सागर मेला होता है, वहां से एक मील उत्तर में वामनखल स्थान पर एक प्राचीन मंदिर है।

 इस समय जहां गंगा सागर पर मेला लगता है, पहले यहीं गंगाजी समुद्र में मिलती थी, किंतु अब गंगा का मुहाना पीछे हट गया है। अब गंगा सागर के पास गंगाजी की एक छोटी धारा समुद्र से मिलती है। आज यहां सपाट मैदान है और जहां तक नजर जाती है वहां केवल घना जंगल। 

मेले के दिनों में गंगा के किनारे पर मेले के लिए स्थान बनाने के लिए इन जंगलों को कई मीलों तक काट दिया जाता है। गंगा सागर का मेला मकर संक्रांति को लगता है। खाने-पीने के लिए होटल, पूजा-पाठ की सामग्री व अन्य सामानों की भी बहुत-सी दुकानें खुल जाती हैं। 

सारे तीर्थों का फल अकेले गंगा सागर में मिल जाता है। संक्रांति के दिन गंगा सागर में स्नान का महात्म्य सबसे बड़ा माना गया है। प्रातः और दोपहर स्नान और मुण्डन-कर्म होता है। यहां पर लोग श्राद्ध व पिण्डदान भी करते हैं।

 कपिल मुनि के मंदिर में जाकर दर्शन करते हैं, इसके बाद लोग लौटते हैं ओर पांचवें दिन मेला समाप्त हो जाता है। गंगा सागर से कुछ दूरी पर कपिल ऋषि का सन् 1973 में बनाया गया नया मंदिर है जिसमें बीच में कपिल ऋषि की मूर्ति है। 

उस मूर्ति के एक तरफ राजा भगीरथ को गोद में लिए हुए गंगाजी की मूर्ति है तथा दूसरी तरफ राजा सगर तथा हनुमान जी की मूर्ति है। इसके अलावा यहां सांखय योग के आचार्य कपिलानंद जी का आश्रम, महादेव मंदिर, योगेंद्र मठ, शिव शक्ति-महानिर्वाण आश्रम और भारत सेवाश्रम संघ का विशाल मंदिर भी हैं।

 रामायण में एक कथा मिलती है जिसके अनुसार कपिल मुनि किसी अन्य स्थान पर तपस्या कर रहे थे। ऐसे ही समय में अयोध्या के सूर्यवंशी राजा सगर एक अश्वमेध यज्ञ का अनुष्ठान करने लगे। उनके अश्वमेध यज्ञ से डरकर इंद्र ने राक्षस रूप धारण कर यज्ञ के अश्व को चुरा लिया और पाताल लोक में ले जाकर कपिल के आश्रम में बांध दिया। 

राजा सगर की दो पत्नियां थीं- केशिनी और सुमति। केशिनी के गर्भ से असमंजस पैदा हुआ और सुमति के गर्भ से साठ हजार पुत्र। असमंजस बड़ा ही उद्धत प्रकृति का था। वह प्रजा को बहुत पीड़ा देता था। अतः सगर ने उसे अपने राज्य से निकाल दिया था। 

अश्वमेध का घोड़ा चुरा लिये जाने के कारण सगर बड़ी चिंता में पड़ गये। उन्होंने अपने साठ हजार पुत्रों को अश्व ढूंढने के लिए कहा। साठों हजार पुत्र अश्व ढूंढते ढूंढते-ढूंढते पाताल लोक में पहुंच गये। 

वहां उन लोगों ने कपिल मुनि के आश्रम में यज्ञीय अश्व को बंधा देखा। उन लोगों ने मुनि कपिल को ही चोर समझकर उनका काफी अपमान कर दिया। अपमानित होकर ऋषि कपिल ने सभी को शाप दिया- 'तुम लोग भस्म हो जाओ।

' शाप मिलते ही सभी भस्म हो गये। पुत्रों के आने में विलंब देखकर राजा सगर ने अपने पौत्र अंशुमान, जो असमंजस का पुत्र था, को पता लगाने के लिए भेजा। अंशुमान खोजते-खोजते पाताल लोक पहुंचा। वहां अपने सभी चाचाओं को भस्म रूप में परिणत देखा तो सारी स्स्थिति समझ गया। 

उन्होंने कपिल मुनि की स्तुति कर प्रसन्न किया। कपिल मुनि ने उसे घोड़ा ले जाने की अनुमति दे दी और यह भी कहा कि यदि राजा सगर का कोई वंशज गंगा को वहां तक ले आये तो सभी का उद्धार हो जाएगा। अंशुमान घोड़ा लेकर अयोध्या लौट आया। यज्ञ समाप्त करने के बाद राजा सगर ने 30 हजार वर्षों तक राज्य किया और अंत में अंशुमान को राजगद्दी देकर स्वर्ग सिधार गये। अंशुमान ने गंगा को पृथ्वी पर लाने का काफी प्रयत्न किया, लेकिन सफल नहीं हो पाया। अंशुमान के पुत्र दिलीप ने दीर्घकाल तक तपस्या की। 

लेकिन वह भी सफल नहीं हो पाया। दिलीप के पुत्र भगीरथ ने घोर तपस्या की। गंगा ने आश्वासन दिया कि मैं जरूर पृथ्वी पर आऊंगी, लेकिन जिस समय मैं स्वर्गलोक से पृथ्वी पर आऊंगी, उस समय मेरे प्रवाह को रोकने के लिए कोई उपस्थित होना चाहिए। 

भगीरथ ने इसके लिए भगवान शिव को प्रसन्न किया। भगवान शिव ने गंगा को अपनी जटा में धारण कर लिया। भगीरथ ने उन्हें पुनः प्रसन्न किया तो शिवजी ने गंगा को छोड़ दिया।

 गंगा शिवजी के मस्तक से सात स्रोतों में भूमि पर उतरी। ह्रानिदी, पावनी और नलिनी नामक तीन प्रवाह पूर्व की ओर चल गये, वड.क्ष, सीता तथा सिंधु नामक तीन प्रवाह पश्चिम की ओर चले गये और अंतिम एक प्रवाह भगीरथ के बताए हुए मार्ग से चलने लगा। 

भगीरथ पैदल गंगा के साथ नहीं चल सकते थे, अतः उन्हें एक रथ दिया गया। भगीरथ गंगा को लेकर उसी जगह आये जहां उनके प्रपितामह आदि भस्म हुए थे। गंगा सबका उद्धार करती हुई सागर में मिल गयी। भगीरथ द्वारा लाये जाने के कारण गंगा का एक नाम भागीरथी भी पड़ा। 

जहां भगीरथ के पितरों का उद्धार हुआ, वही स्थान सागर द्वीप या गंगासागर कहलाता है। गंगा सागर से कुछ दूरी पर कपिल ऋषि का सन् 1973 में बनाया गया नया मंदिर है जिसमें बीच में कपिल ऋषि की मूर्ति है। उस मूर्ति के एक तरफ राजा भगीरथ को गोद में लिए हुए गंगाजी की मूर्ति है तथा दूसरी तरफ राजा सगर तथा हनुमान जी की मूर्ति है।
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Posted By KanpurpatrikaSaturday, January 16, 2021