ईश्वर और भूत प्रेत
हम
सभी बचपन
से लेकर
बुढ़ापे तक
भूत प्रेत
और ईश्वर
के बारे
में सुनते
रहते है
/भूत प्रेत
और ईश्वर
का वास्तविक
रूप में
किसी ने
नहीं देखा
हा काल्पनिक
रूप में
हमारे द्वारा
तैयार किया
गया वो
रूप जो
हम हमेशा
देखना चाहते
है /
तो
क्या सच
में भूत
प्रेत है
और ईश्वर
भी है
ईश्वर जो
इस श्रष्टि
को चला
रहा है
वो तो है,
क्यों क्योंकि
हमारे धर्म ग्रंथो
में ईश्वर का जिक्र
है लेकिन
भूत प्रेत
का कही
नहीं /लेकिन
फिर भी
कुछ लोगो
का कहना
है की
भूत अच्छी
आत्माए और प्रेत बुरी आत्माए
होती है
/
क्या
वास्तव में
भूत है
या नहीं
अगर इस
पर चर्चा
की जाय
तो कभी
एक मत
नहीं होगा नई पीडी
का एक
मत और
हमारे पूर्वजो
का दूसरा
मत किसी
का मत
है मैने
देखा किसी
का मत
की मैने
तो आज
तक देखा
ही नहीं
/
फिर
सच क्या
है ?
असल
में भूत
हमारे द्वारा
तैयार किया
गया एस
चरित्र होता
है जिसे
हम बचपन
से सुनते
रहते है
कुछ जानी पहचानी बाते भूत के बारे में :-
०१:
भूत के
पैर उल्टे
होते है
२:भूत नाक
के सुर
बोलता है
३:-भूत रात
में और
अंधेरे में
अतत है
४:-
और भूत
हमेशा सफ़ेद
कपडे पहनता
है
ये
चार चीज़े
मन मस्तिष्क
में सदियों
से डाली
जा रही है या बसी हुई
है /यानि
भूत एक
काल्पनिक शक्ति
या चरित्र
है जिसे
हम सुन
कर महसूस
करते है
ठीक उस
तरह ही
जिस तरह
किसी के
द्वारा किसी
भी फिल्म
की स्टोरी
और पात्र
बताने के
बात वो
उस फिल्म
की कहानी
सुनना शुरू
कर देता
है हमारा
दिमाग तुरंत
ही सिनेमा
हाल में
हमे ले
जाता है
है अगर
बताने वाला
इन्सान हमे
सिनेमा हाल
से फिल्म
देख कर
आया है
ये बताया
है तो
अगर उसने
टेली विसन
से देखा
है तो
हम उस
जगह पर
अपने आप
पहुच जाते
है जहा
की वो
बात कर
रहा होता
है ठीक
उसी प्रकार
हमे जब
भूत और
प्रेत के
बारे में
जितना बताया
गया होता
है या
हमने सुना
होता है
ठीक उस
प्रकार का
ही चरीत्र
हमे अकेले
में अंधेरे
में सुनसान रास्ते में दिखाई देता
है न
की सभी
के बीच
में उजाले
में और
भीड़ भरे
इलाके में
/
बात
सभी ने
भूत के
बारे में
सुना है
किसी ने
नहीं देखा
जो ये
दावा करते
है उन्होने
देखा उस
समय उनके
साथ कोई था ही
नहीं सब
सुनी सुनाई
और काल्पनिक
बाते /
हमारा डर हमे
अकेले में
कुछ सुनने
के लिए
मजबूर करता
है और
हम अगर
पायल की छन छन सुनना चाहते
है तो
सुनते है
हम देखना
चाहते है
तो देखते है की शायद
वह से
कोई आ
रहा है
तो हमारे द्वारा तैयार
काल्पनिक चरित्र
वह से आता है
जहा से
हमने देखा
/ या कोई
हमे छू
रहा है
/वो एहसास
भी हम
ही चाहते
है /
भूत
आधारित फिल्मे
धारावाहिक और कहानिया वास्तव मे
इतनी रोमांचक
लगती है
की हम
उसमे इतना
खो जाते
है की
समय के
साथ वो
हमारे दिमाग
में रच बस जाती है /ठीक उसी
प्रकार कुछ
सालो पहले
जिस तरह
से कई
बच्चे शक्तिमान
धारावाहिक देखकर अपनी छत और
माकन से
गिर कर
मर गय
थे ठीक
उस प्रकार
से ही
ही / उन
बच्चो के
दिमाग में
शक्तिमान इस
प्रकार रच
बस गया
की उन्हे
लगा की
हम भी
एस कुछ करेंगे और
शक्तिमान आ
जायेगा / लेकिन
हुआ /
क्या
कई मासूम जिन्दगिया
चली गई
/
हमारा
शारीर हमारी
आत्मा और
हमारा मष्तिष्क
जो सोचता
है जो चाहता है
हम वही
देखते है
और वही
करते है
/यानि कुल मिलाकर हम
इस संसार
में भूत
नाम की
कोई चीज़
नहीं मान
सकते है
और जो
नहीं मानते
है उनके
पास भूत
नहीं आता
है //जब
हमे एक
उस ईश्वर
पर विश्वास
है और
हम हर
जगह पर
उस ईश्वर को ही महसूस कर रहे तो भूत को कहा से महसूस करेंगे !
जय शिव शंकर