Wednesday, June 20, 2018

जिंदगी कुछ रूठ सी गई है

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Posted By KanpurpatrikaWednesday, June 20, 2018

अंजान मुसाफ़िर हु

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Posted By KanpurpatrikaWednesday, June 20, 2018

मेरे कफन में जेब न थी

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मेरे कफन में जेब न थी
ऐसा होगा जब नियत जिसकी खराब होगी
उसके कफन में जेब जरूर होगी
उसके कर्म और अधर्म जमीं पर दिखाई देंगे
क्योंकि उसका कफन मौत की गवाही देंगे 
ले जयेगा अपने साथ वो सब कुछ 
क्योंकि उसकी कमाई का इस धरती पर बोझ न होगा 
वो बंदिशे वो नफ़रतें वो जुल्म न होंगे 
क्योंकि उसका इस जमी पर कोई निशान न होगा 
न गम होगा न गमगीन कोई होगा 
क्योंकि अब हर बुरा इंशा जमीदोज होगा 
चले जाते थे जो मुस्कराते हुए उनकी चौखट पर 
उनकी इस मुस्कराहट का कोई चश्मदीद न होगा 
वो बस्तिया वो महल वो रजवाड़े
अब कोई न बचा पायेगा किसी बहाने 
खुश है हम कि ईमानदारी हमे विरासत में मिली
इसलिए ही हमारी जिंदगी दूसरों से ज्यादा चली 
हसरते हमारी भी थी राजे रजवाड़े की
लेकिन याद आती थी माँ बाप के मेहनतकश पख्वारो की 
न चीखती थी न चिल्लाती थी वो तो हर गम में मुस्कराती थी
उसकी नसीहते उसकी कहानिया और इबादते ही थी 
कि मेरे मरने के बाद मेरे कफन में जेब न थी 

Posted By KanpurpatrikaWednesday, June 20, 2018