Tuesday, May 8, 2018

किसान हूँ मैं,

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किसान हूँ मैं 



किसान हूँ मैं ,परेशान हूँ मैं,
सरकार कोई भी हो, हैरान हूँ मैं||
कभी आकाश तो कभी धरती का कदरदान हूँ मैं,
कभी बेटे की पढाई,तो कभी बेटी की सगाई के लिए 
परेशान हूँ मैं,
क्योंकि किसान हूँ मैं||
कभी बारिस के ओलों,तो कभी आग के शोलों से 
कभी बैंक के ऋण से तो कभी भागदौड़ की भीड़ से
 हैरान हूँ मैं,
क्योकि किसान हूँ मैं,
कभी बगैर विकास के तो कभी विज्ञान के विनाश से 
मरता हूँ,
क्योकि किसान हूँ मैं,
जय-जवान जय-किसान का नारा है
क्योकि देश को इन्हीं का सहारा है |
लेकिन अनपढ़ गवार हूँ मैं ,
क्योकि किसान हूँ मैं,
कड़कती धूप हो या सर्द रातें ,
इतनी मेहनत से सभी हैं कतराते,
मदद के लिए ठोकरें खाता हूँ 
क्योंकि किसान हूँ मैं,
लेकिन देश के लिए मिसाल हूँ मैं||
-आशीष त्रिपाठी

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