राशिचक्र – सूर्य जिस मार्ग से चलता हुआ
आकाश में प्रतीत होता है उसे कान्तिवृत्त कहते हैं | अगर इस कान्तिवृत्त को
बारह भागों में बांटा जाये तो हर एक भाग को राशि कहते हैं अतः ऐसा वृत्त
जिस पर नौ ग्रह घूमते हुए प्रतीत होते हैं (ज्योतिष में सूर्य को भी ग्रह
ही माना गया है ) राशीचक्र कहलाता है | इसे हम ऐसे भी कह सकते हैं की
पृथ्वी के पूरे गोल परिपथ को बारह भागों में विभाजित कर उन भागों में पड़ने
वाले आकाशीय पिंडों के प्रभाव के आधार पर पृथ्वी के मार्ग में बारह किमी के
पत्थर काल्पनिक रूप से माने गए हैं |
अब हम जानते हैं की एक वृत्त ३६० अंश में
बांटा जाता है | इसलिए एक राशी जो राशिचक्र का बारहवां भाग है, ३० अंशों की
हुई | यानी एक राशि ३० अंशो की होती है | राशियों का नाम उनकी अंशो सहित
इस प्रकार है |
अंश | राशी |
०-३० | मेष |
३०-६० | वृष |
६०-९० | मिथुन |
९०-१२० | कर्क |
१२०-१५० | सिंह |
१५०-१८० | कन्या |
१८०-२१० | तुला |
२१०-२४० | वृश्चिक |
२४०-२७० | धनु |
२७०-३०० | मकर |
३००-३३० | कुम्भ |
३३०-३६० | मीन |
नक्षत्र – आकाश में तारों के समुदाय को
नक्षत्र कहते हैं | आकाश मंडल में जो असंख्य तारिकाओं से कही अश्व, शकट,
सर्प, हाथ आदि के आकार बन जाते हैं, वे ही नक्षत्र कहलाते हैं | (जिस
प्रकार पृथ्वी पर एक स्थान से दूसरे स्थान की दूरी मीलों में या कोसों में
नापी जाती है उसी प्रकार आकाश मंडल की दूरी नक्षत्रों में नापी जाती है |)
राशि चक्र ( वह वृत्त जिस पर ९ ग्रह घूमते हुए प्रतीत होते हैं | ) को २७
भागों में विभाजित करने पर २७ नक्षत्र बनते हैं |
पृथ्वी के कुल ३६० कला के परिपथ को नक्षत्रों के लिए २७ भागों में बांटा गया है ( जैसे राशियों के लिए १२ भागों में बांटा गया है |) अतः प्रत्येक नक्षत्र ३६०/२७ = १३ मिनट २० सेकंड = ८०० अंश का होगा | इसके उपरान्त भी नक्षत्रों को चार चरणों में बांटा गया है | प्रत्येक चरण १३ मिनट २० सेकंड/ ४ = ३ मिनट २० सेकंड = २०० अंश का होगा | क्योंकि एक राशि ३० अंश की होती है अतः हम कह सकते हैं कि सवा दो नक्षत्र अर्थात ९ चरण अर्थात ३० अंश की एक राशि होती है |
पृथ्वी के कुल ३६० कला के परिपथ को नक्षत्रों के लिए २७ भागों में बांटा गया है ( जैसे राशियों के लिए १२ भागों में बांटा गया है |) अतः प्रत्येक नक्षत्र ३६०/२७ = १३ मिनट २० सेकंड = ८०० अंश का होगा | इसके उपरान्त भी नक्षत्रों को चार चरणों में बांटा गया है | प्रत्येक चरण १३ मिनट २० सेकंड/ ४ = ३ मिनट २० सेकंड = २०० अंश का होगा | क्योंकि एक राशि ३० अंश की होती है अतः हम कह सकते हैं कि सवा दो नक्षत्र अर्थात ९ चरण अर्थात ३० अंश की एक राशि होती है |
नक्षत्रों के नाम –
१. अश्विनी २. भरिणी ३. कृत्तिका ४. रोहिणी
५. मृगशिरा ६. आर्द्रा ७. पुनर्वसु ८. पुष्य
९. आश्लेषा १०. मेघा ११. पूर्वा फाल्गुनी १२. उत्तरा फाल्गुनी
१३. हस्त १४. चित्रा १५. स्वाति १६. विशाखा
१७. अनुराधा १८. ज्येष्ठा १९. मूल २०. पूवाषाढा
२१. उत्तराषाढा २२. श्रवण २३. धनिष्ठा २४. शतभिषा
२५. पूर्वाभाद्रपद २६. रेवती
अभिजीत को २८वां नक्षत्र माना गया है |
उत्तराषाढ़ की आखिरी १५ घाटियाँ और श्रवण की प्रारंभ की ४ घाटियाँ, इस
प्रकार १९ घटियों के मान वाला अभिजीत नक्षत्र होता है | यह समस्त कार्यों
में शुभ माना जाता है |
सूक्ष्मता से समझाने के नक्षत्र के भी ४ भाग किये गए हैं, जो चरण कहलाते हैं | प्रत्येक नक्षत्र का एक स्वामी होता है |
अश्विनी – अश्विनी कुमार भरणी – काल कृत्तिका – अग्नि
रोहिणी – ब्रह्मा मृगशिरा – चन्द्रमा आर्द्रा – रूद्र
पुनर्वसु – अदिति पुष्य – बृहस्पति आश्लेषा – सर्प
मघा – पितर पूर्व फाल्गुनी – भग उत्तराफाल्गुनी – अर्यता
हस्त – सूर्य चित्रा – विश्वकर्मा स्वाति – पवन
विशाखा – शुक्राग्नि अनुराधा – मित्र ज्येष्ठा – इंद्र
मूल – निऋति पूर्वाषाढ़ – जल उत्तराषाढ़ – विश्वेदेव
श्रवण – विष्णु धनिष्ठा – वसु शतभिषा – वरुण
पूर्वाभाद्रपद – आजैकपाद उत्तराभाद्रपद – अहिर्बुधन्य रेवती – पूषा
अभिजीत – ब्रह्मा
नक्षत्रों के फलादेश भी स्वामियों के स्वभाव गुण के अनुसार जानना चाहिए |
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