Saturday, November 1, 2014

इंसाफ

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इंसाफ 

तुम सच्चे हो मुझे पता है
तुम अच्छे हो मुझे पता है
तुमने कुछ न किया ये सबको पता है
लेकिन चिल्लाने से चीखने से
कोई सुनता नहीं या सुनना नहीं चाहता
कोई गाली और डंडे से
कोई कलम और कोई आवाज़ से
तुम्हे गुनहगार साबित कर देगा
तब तुम क्या करोगे
अगर तुम्हे इंसाफ चाहिए तो
हाथ जोड़ो मत हाथो में कुछ रख लो
सबको सेक लो कुछ की मुट्ठी गरम कर दो
तो कुछ की जेबे गर्म कर दो
फिर तुम मत चीखना मत चिल्लाना
सिर्फ आँखों से देखना की
न जाने कितने कैंडल मार्च निकलेंगे
और न जाने कितने हाथो में तख्तियाँ लिए होंगे
फिर न कोई कलम और ना कोई आवाज़
और न ही किसी के डंडे और अंदाज़
तुम्हे डरा पायेंगे बल्कि
तुम्हे इंसाफ दिलाएंगे /

आशीष त्रिपाठी

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