पथिक
एक पथिक चाल पड़ा निडर ....
लेकर दृढ़ संकल्प
नहीं पता ले जायेगा किस और
समय का चक्र
सहसा उसकी रहा में आया एक तूफान
भ्रमित हुआ वो पथिक
पथ हुआ अंजान
बदलो की गरज़ना सी आई एक आवाज़
रे पथिक रुक जा तनिक
कर ले तू विश्राम
जानता था वो पथिक ये काल का है पाश
पथिक बोला पथ पर पहुचकर
होगा मेरा विश्राम
रुक गई बदल की गरज़ं
थम गया तूफान
ह्रदय में था पथिक के
एक नया अरमान ....
0 टिप्पणियाँ:
Post a Comment