Monday, December 15, 2014

चीखती है दिल्ली की नारी

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ये दिल्ली की मेहरबानी है
की वो भारत की राजधानी है
यहाँ पर महिला बड़ी बेचारी है
जिसके कंधो पर खुद की लाज की जिम्मेदारी है
क्या नेता और क्या समाज सेवक
सभी है हालत के आगे बेबस
कभी बस में लुटी है इज्ज़त तो
कभी घर में ही हो जाती है बेईज्ज़त
कभी आफिस में तो कभी स्कूल में
कभी खुले में तो कभी बंद कमरों में
चीखती है दिल्ली की नारी
सड़क से लेकर अदालत तक
और भ्रूण से लेकर म्रत्यु तक
हमेशा लडती ही दिखती है ये नारी
कभी बेचारी तो कभी बेसहारा
क्या यही है नारी शक्ति नारा

Posted By KanpurpatrikaMonday, December 15, 2014

Monday, December 1, 2014

पक्षियों को कौन बना रहा है आत्मघाती ......

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काबुल:-बेहद चौकाने वाली खबर काबुल से जहा पुलिस ने एक अपक्षी को मर्गिराया जब उस पक्षी को उड़ते समय उसके शारीर से टार सा कुछ लटकता मिला /
जब पक्षी नीचे गिरा तो सभी पुलिस अधिकारी हैरान थे /फरयाब प्रान्त के पुलिस अधिकारियो ने ये बताया की ये एक ऐसा पक्षी है जो खास कर तुर्कमेनिस्तान के आस पास वाले इलाके में पाया जाता है / अफगानिस्तान पुलिस के मेजर जनरल अब्दुल नबी इलहाम ने सोमवार को ये जानकारी दी ये मामला तब सामने आया है जब अमेरिकी की नाटो सेना लगभग वह से हटाई जा रही है / मार गिरे गई पक्षी के शरीर से जीपीएस और डेटोनेटर
विस्फोटक आदि बंधे थे / ये सभी चीज़े एक विशेष प्रकार की जाकेट के द्वारा पक्षी के श्री से बंधे गे थे /

Posted By KanpurpatrikaMonday, December 01, 2014

Tuesday, November 18, 2014

बताओ मैं हु कौन

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बताओ मैं हु कौन ?

जहा दिन में भी अँधियारा छाए 
बिजली बिन पानी न आए
एक बार आप कानपुर तो आए !

जहा रोज़ रोज़ी रोटी है टूटती 
गरीब ही नहीं आमिर की किस्मत है फूटती 
आपको कानपुर की क्यों नहीं सूझती !

जहा सड़के न सही गड्डे है मिलते 
जहा बिना ट्रेफिक के है सब भिडते 
आप कानपुर में क्यों नहीं घूमते !

जहा घर से लेकर गंगा तक है गन्दगी 
जहा पर अब भाई भाई की नहीं है बनती 
फिर आपके कानो में कानपुर की जूं क्यों नहीं रेंगती !

जहा मीले और फैक्ट्रिया सब हो गई है बंद 
यहाँ गलियों से लेकर सड़के तक है तंग 
आपका विकास कानपुर आ कर क्यों हो जाता है मंद !
 
यहाँ मसाला थूकने में शर्ते है लगती 
यहाँ से ही कैंसर की जड़े है निकलती 
अब आप ही बताए  आपकी कानपुर से क्यों नहीं बनती ?

Posted By KanpurpatrikaTuesday, November 18, 2014

Tuesday, November 11, 2014

नई राहे

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नई राहे

न अमीरों को सताता हु
न गरीबो को रुलाता हु
मैं तो अपनी मंजिल की राहे खुद ही पाता हु
जब निकलता हु यादो की राहों पर
तो बेवफ़ाओ को पाता हु
आँखों ही आँखों में इज़हार हो जाता था
मगर लफ्जों के निकलते ही बेवफ़ा हो जाता था
देखता था जब भी मैं चाँद को
तो मुझको वो हमेशा बेदाग नज़र आता था
लाख नुख्स थे मेरी प्यार की राहों में
पर कमी न थी मेरे चाहने वालो की
जब देखता था चांदनी रात में आसमान को
तो एक नहीं कई चाँद नज़र आते थे
जो मेरी यांदो के सहारे जमीं पर उतर आते थे
लोग लाख वेवफ़ा मुझे कहे
लेकिन हर बार प्यार की नई राहे मैं ही तो ढूंढ पाता हु

Posted By KanpurpatrikaTuesday, November 11, 2014

Saturday, November 1, 2014

इंसाफ

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इंसाफ 

तुम सच्चे हो मुझे पता है
तुम अच्छे हो मुझे पता है
तुमने कुछ न किया ये सबको पता है
लेकिन चिल्लाने से चीखने से
कोई सुनता नहीं या सुनना नहीं चाहता
कोई गाली और डंडे से
कोई कलम और कोई आवाज़ से
तुम्हे गुनहगार साबित कर देगा
तब तुम क्या करोगे
अगर तुम्हे इंसाफ चाहिए तो
हाथ जोड़ो मत हाथो में कुछ रख लो
सबको सेक लो कुछ की मुट्ठी गरम कर दो
तो कुछ की जेबे गर्म कर दो
फिर तुम मत चीखना मत चिल्लाना
सिर्फ आँखों से देखना की
न जाने कितने कैंडल मार्च निकलेंगे
और न जाने कितने हाथो में तख्तियाँ लिए होंगे
फिर न कोई कलम और ना कोई आवाज़
और न ही किसी के डंडे और अंदाज़
तुम्हे डरा पायेंगे बल्कि
तुम्हे इंसाफ दिलाएंगे /

आशीष त्रिपाठी

Posted By KanpurpatrikaSaturday, November 01, 2014

Monday, October 20, 2014

रे पथिक रुक जा तनिक

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पथिक

एक पथिक चाल पड़ा निडर ....

लेकर दृढ़ संकल्प

नहीं पता ले जायेगा किस और

समय का चक्र

सहसा उसकी रहा में आया एक तूफान

भ्रमित हुआ वो पथिक

पथ हुआ अंजान

बदलो की गरज़ना सी आई एक आवाज़

रे पथिक रुक जा तनिक

कर ले तू विश्राम

जानता था वो पथिक ये काल का है पाश

पथिक बोला पथ पर पहुचकर

होगा मेरा विश्राम

रुक गई बदल की गरज़ं

थम गया तूफान

ह्रदय में था पथिक के

एक नया अरमान ....

Posted By KanpurpatrikaMonday, October 20, 2014

Sunday, October 19, 2014

ए ख़त तू बता दे

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ए ख़त तू बता दे तुझमे लिखा क्या है 


एक स्याही तू तो बता लिखा तुझसे क्या गया 


लिफाफे जिसको लेकर आया तू बडे इत्मीनान से 


आखिर उस मजमून में ख़ुशी या गम तू ही  बता दे 


लिखा है मेरे प्यार में इत्मीनान से जिसने मोहब्बत 


ऐ कागज़ तुम्हे तो पता ही होगा 


वफ़ा से भरा ख़त है या बेवफ़ाई लिखी उसमे है  


पड़ना आता अगर हमे खतो को 


तो मोहब्बत हम शब्दों से करते !


आशीष त्रिपाठी


Posted By KanpurpatrikaSunday, October 19, 2014