ये दिल्ली की मेहरबानी है
की वो भारत की राजधानी है
यहाँ पर महिला बड़ी बेचारी है
जिसके कंधो पर खुद की लाज की जिम्मेदारी है
क्या नेता और क्या समाज सेवक
सभी है हालत के आगे बेबस
कभी बस में लुटी है इज्ज़त तो
कभी घर में ही हो जाती है बेईज्ज़त
कभी आफिस में तो कभी स्कूल में
कभी खुले में तो कभी बंद कमरों में
चीखती है दिल्ली की नारी
सड़क से लेकर अदालत तक
और भ्रूण से लेकर म्रत्यु तक
हमेशा लडती ही दिखती है ये नारी
कभी बेचारी तो कभी बेसहारा
क्या यही है नारी शक्ति नारा